आपने ध्यान दिया होगा कि जब हम तनाव में होते हैं तो इसका हमारे शरीर पर सबसे ज्यादा पड़ता है। हमें सिरदर्द या बदन दर्द जैसी समस्या होने लगती है या शरीर में कमजोरी महसूस होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारा मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा होता है। जिससे कोई भी बाहरी समस्या दोनों स्वास्थ्य को बराबर रूप से प्रभावित करती है।
इसलिए कहा जाता है कि अगर आपका मन प्रसन्न है तो आपकी तन भी स्वस्थ रहेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि तनाव का असर हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसके कारण महिलाओं को पीरियड्स के दौरान कई समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन अब प्रशन्न आता है कि पीरियड्स का तनाव (stress effect on periods) से कैसे संबंध है? क्या यह सच में पीरियड्स मीस होने का कारण बन सकता है?
इस विषय पर गहनता से जानने के लिए हमने बात कि बिजनौर की ऑब्स्टेट्रिशियन और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ नीरज शर्मा से। जिन्होने इस समस्या के कारण और निवारण पर गहनता से बात की।
हमारा शारीरिक स्वास्थ्य भी मानसिक स्वास्थ्य के अनुरूप काम करता है, जिसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है।
गायनेकोलॉजिस्ट डॉ नीरज शर्मा के मुताबिक इस समस्या का मुख्य कारण हार्मोन का अनियमित होना है। इससे पिट्यूटरी ग्लैंड में पाए जाने वाले रिप्रोडक्टिव हार्मोन रिलीज होना कम हो जाते हैं। जो पूरी मेंस्ट्रुअल साइकिल को डिसर्ब कर देते हैं।
तनाव के कारण हमारी मेंस्ट्रुअल साइकिल पर गहरा प्रभाव पड़ता है। डॉ नीरज शर्मा के अनुसार इसके कारण महिला को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि –
तनाव होने पर पीरियड्स इररेगुलर भी हो सकते हैं। ऐसे में पीरियड्स का बीच में रुकना या समय से पहले या लेट होने की समस्या हो सकती है।
अन्य समस्याओं के साथ जरूरत से ज्यादा दर्द होना भी इस समस्या में शामिल है। ऐसे में महिला को साधारण दिनों की तुलना में ज्यादा दर्द हो सकता है।
कुछ दिनों में बार-बार पीरियड्स आना भी इस समस्या में शामिल हो सकता है। इसमें एक बार पीरियड्स रुक कर कुछ दिनों में फिर से शुरू हो जाता है।
अमेननोरिया की स्थिती एक ऐसी स्थिति है। जिसमें व्यक्ति का लम्बे समय या कुछ समय के लिए पीरियड्स रुक जाते हैं।
डॉ नीरज शर्मा के मुताबिक इस समस्या के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –
पिट्यूटरी ग्लैंड मस्तिष्क में पाए जाने वाला आवश्यक ग्लैंड है, जिससे सभी हार्मोन रिलीज होते हैं, तनाव लेने से पिट्यूटरी ग्लैंड पर सीधा असर पड़ता है। जो हार्मोन डिसर्ब होने का कारण बन जाता है।
हमारा स्ट्रेस लेवल भी इस समस्या के ज्यादा या कम होने का कारण बन सकता है। कम तनाव होने पर पीरियड्स कुछ समय के लिए इररेगुलर हो सकते हैं। लेकिन लंबे समय तक तनाव रहने से पीरियड्स मिस या बंद हो जाते हैं।
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम एक प्रकार का सिंड्रोम है, जिसमें अधिक तनाव होने पर पीरियड्स के इररेगुलर होने की समस्या होने लगती है। साथ ही पीरियड्स आने से पहले उल्टी, कमजोरी, थकावट और अजीब महसूस होना जैसे समस्याएं भी होने लगती है।
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इस समस्या के समाधान पर बात करते हुए एक्सपर्ट नीरज शर्मा का कहना था कि लाइफस्टाइल में बदलाव समस्या का जल्द समाधान कर सकता है। जैसे कि –
मेडिटेशन और योगासन करने से आपका मन शांत होगा और हार्मोन बैलेंस होने में भी मदद मिलेगी।
इस समस्या में स्लीप पैटर्न पर ध्यान देना सबसे ज्यादा जरूरी है, क्योंकि अधूरी नींद बॉडी का मेटाबोलिज्म बिगाड़ सकता है। जिसका सीधा असर मेंस्ट्रुअल साइकिल पर पड़ सकता है। इसलिए पर्याप्त नींद लेना शुरू करें।
एक्सपर्ट के मुताबिक विटामिन डी के साथ अन्य पोषक तत्वों की कमी इस समस्या का कारण बन सकती है। इसलिए बैलेंस डाइट लेना शुरू करें। साथ ही एल्कोहॉल और कैफिन से परहेज भी रखें।
अगर लाइफस्टाइल में बदलाव के बावजूद आपकी समस्या बनी हुई है तो बिना देरी किए डॉक्टर से सम्पर्क करें। ऐसे में आपको एंटी एंजायटी और एंटी डिप्रेशन की दवाएं लेने की आवश्यकता भी हो सकती है।
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