पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्ही समस्याओं में से एक है पीएमएस यानि प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम(PMS)। यह ज्यादातर महिलाओं को होने वाली बहुत पुरानी समस्या है। लेकिन इसे अभी तक बीमारी नहीं समझा गया है।
इसी वजह से इसके बारे में कम जागरूकता है क्योंकि स्त्रियों को लग सकता है कि मूड स्विंग, पेट दर्द या उलटी की समस्या ये सब तो पीरियड्स में होता ही है। लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है। अगर ऐसे लक्षण बढ़ जाते है और हमेशा आपको इनका सामना करना पड़ता है तो हो सकता है कि आपको पीएमएस हो.. आइये जानते है इसके बारे
पीएमएस यानि प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम, एक शारीरिक-मानसिक स्थिति है, जो महिलाओं में पीरियड्स के कुछ दिन पहले देखी जाती है और हर महिला में इसके अलग लक्षण होते हैं। हालांकि, इसका असली कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि ये हार्मोन्स में असंतुलन की वजह से होता है, परंतु इस असंतुलन का सही कारण कोई नहीं जानता।
कई महिलाओं को पीरियड्स के दौरान शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिससे उनकी व्यक्तिगत जिंदगी और करियर पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
पीएमएस के दौरान शरीर का फूलना, पानी इकट्ठा होना, ब्रेस्ट में सूजन, सिर दर्द, पीठ दर्द, जोड़ों का दर्द और मसल्स का दर्द, एक्ने, वजन बढ़ना जैसे लक्षण शामिल है। इनके साथ-साथ मूड स्विंग्स होना, चिंता, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, मीठा और नमकीन खाने की इच्छा, नींद न आना, जी घबराना आदि भी हो सकते हैं।
ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप पीएमएस के लक्षणों में सुधार कर पाएंगी जैसे, गर्म पानी से नहाना या अपना पसंदीदा खाना खाना, जो चिकित्सीय उपचार के साथ आपको इससे लड़ने में मदद करंगे| इस लेख में हम ऐसी ही टिप्स के बारे में बताएंगे जो आपको इससे निजात पाने में मदद करेंगे।
सुनिश्चित करें कि आप अपने शरीर को पोषण दे रही हैं। एक ऐसा आहार लें जो शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करे। कुछ शोध बताते हैं कि पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और विटामिन-D युक्त आहार पीएमएस के खतरे को कम कर सकते हैं। विटामिन-B1 और विटामिन-B2 में उच्च आहार पीएमएस के जोखिम को कम कर सकते हैं।
समग्र तौर पर इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ दिनों तक अपने भोजन को ट्रैक करें।
व्यायाम संतुलित जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसलिए अपने संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए वर्कआउट ज़रूरी है। यह महत्वपूर्ण है कि जब अपको पीएमएस हो तो तब तो एक्सरसाइज करें ही, बल्कि रोज़ व्यायाम करें। नियमित व्यायाम से प्रीमेन्स्ट्रुअल सिरदर्द, स्तन में सूजन, कब्ज, दस्त, और उल्टी में मदद मिल सकती है।
तनाव और प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम एक कभी न रुकने वाली साइकिल है। यदि थोड़ी चिंता या तनाव आपके पीएमएस पैटर्न का हिस्सा है, तो योग, श्वास व्यायाम, या माइंडफुलनेस के साथ अपनी नसों को शांत करने का प्रयास करें। कुछ प्रकार की बिहेवियर थेरेपी प्रीमेंस्ट्रुअल लक्षणों में मदद कर सकती है, लेकिन इसमें अधिक शोध की आवश्यकता है।
मैग्नीशियम की कमी से चिंता, अवसाद, चिड़चिड़ापन और मांसपेशियों में कमजोरी जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है। मैग्नीशियम सुप्प्लिमेंट या मैग्नीशियम युक्त आहार लेना पीएमएस के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है। मैग्नीशियम के साथ विटामिन B6 लेना और भी फायदेमंद हो सकता है।
हम रोबोट नहीं हैं। इंसान होने का एक स्वाभाविक हिस्सा अलग-अलग भावनाओं को महसूस करना है। पीएमएस के साथ मूड स्विंग को जोड़ने से पहले, समग्र स्वास्थ्य और कल्याण जैसे दैनिक मनोदशा के अन्य महत्वपूर्ण भविष्यवाणियों पर विचार करें।
इन सभी टिप्स को जीवन में अपनाने से पीएमएस के लक्षण नियंत्रित किये जा सकते हैं लेकिन, ग्यानाकोलोगिस्ट की सलाह लेना बेहद ज़रूरी है!
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