मम्मी-पापा नहीं बन पा रहे हैं, तो ये 5 कारण हो सकते हैं इनफर्टिलिटी के लिए जिम्मेदार, जानिए कैसे करना है समाधान

इनफर्टिलिटी से गुजर रहे कपल्स की जिंदगी आम लोगों की तुलना में काफी कठिन होती है। क्योंकि आज भी इनफर्टिलिटी को बायोलॉजिकल प्रॉब्लम की जगह व्यक्तिगत समस्या की तरह देखा जाता है। यहां हैं इस रास्ते में आने वाली चुनौतियों से उबरने के 5 तरीके।
Secondary infertility
इनफर्टिलिटी से ज्यादा परेशान न हों. चित्र शटरस्टॉक।
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 20 Oct 2023, 09:44 am IST
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भारतीय समाज में बांझपन यानी इनफर्टिलिटी को महिलाओं की गलती कहा जाता है। यदि कोई कपल पैरेंट्स नहीं बन पा रहे हैं तो इसमें अभी तक केवल महिला को दोष दिया जाता है। साथ ही यदि बात इलाज की आती है तो बिना सोचे समझे महिला को इसका शिकार बनाया जाता है। हालांकि, जब तक इनफर्टिलिटी की समस्या को सही से समझा नहीं जाएगा तब इस समस्या से उभर पाना मुश्किल है। क्योंकि कई बार पुरुषों में समस्या होने के कारण भी महिला कंसीव नहीं कर पाती। तो चलिए जानते हैं, इनफर्टिलिटी से जुड़ी कुछ जरूरी बातें (Causes and challenges of infertility) साथ ही जानेंगे इससे उभरने के प्रभावी उपाय।

इनफर्टिलिटी (Infertility) हर कपल्स के लिए एक बड़ी समस्या होती है। ऐसे में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। यह एक लंबा इंतजार है और इसे सकारात्मक मानसिकता की जरूरत होती है।

इनफर्टिलिटी की समस्या में कपल्स को इन 6 चीजों को लेकर होती है परेशानी

1. दांपत्य जीवन का स्थायी न होना

यदि आप इनफर्टिलिटी की समस्या से परेशान हैं, तो आपके लिए एक स्थाई शादीशुदा जिंदगी सबसे ज्यादा मायने रखती है। इनफर्टिलिटी की समस्या के साथ कपल के लिए एक-दूसरे को स्वीकार करना आसान नहीं होता है। ऐसे में ज्यादातर कपल्स एक दूसरे को दोष देते हैं। इसके साथ ही दंपति पर परिवार और समाज का दवाब होता है, जिसके कारण और अधिक तनाव पैदा हो सकता है।

2. इलाज करवाने में हिचकिचाहट

महिलाओं की तुलना में पुरुष इनफर्टिलिटी से जुड़ी समस्यायों को लेकर जांच करवाने में हिचकिचाहट महसूस करते हैं। फर्टिलिटी कंसलटेंट इसका इलाज तब तक नहीं कर सकते जब तक कि एक उचित जांच न की जाए। ऐसे में ज्यादातर कपल्स के बीच इलाज को लेकर भी कई बार अनबन हो जाता है। यदि आप 1 साल से ज्यादा समय से कंसीव करने की कोशिश कर रही हैं, और इसमें असफल हो रही हैं तो विशेषज्ञ की सलाह लेना बहुत जरूरी है।

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चिकित्सक की मदद जरूर लें। चित्र : शटरस्टॉक

3. जागरूकता की कमी

इनफर्टिलिटी की समस्या को लेकर कई लोग ऐसे हैं जिन्हें पूरी जानकारी नहीं होती और जानकारी के अभाव में लोग लंबे समय तक इस समस्या को नजरअंदाज करते रहते हैं। इसके साथ ही सही समय पर विशेषज्ञ से संपर्क नहीं करते जिस वजह से परेशानी और ज्यादा बढ़ जाती है।

कई बार कपल्स बायोलॉजिकल कारणों का पता लगाए बगैर ही अपनी इस समस्या को हल करने में लग जाते हैं और अंत में असफलता प्राप्त होती है। इसलिए जब आपको अपने इनफर्टिलिटी का अनुभव होता है तो उसी वक्त विशेषज्ञ से मिलकर राय ले और अपना इलाज चालू करवाएं।

4. खुलकर बातचीत न कर पाना

हर रिश्ते में सबसे जरूरी है खुलकर बातचीत कर पाना। अब चाहे वह आपकी खुशी हो या आपके रिश्ते के बीच में चल रही समस्या। एक दूसरे को सुनना, एक दूसरे को समझना और एक दूसरे को स्वीकार करना सबसे जरूरी है। एक हेल्दी रिलेशनशिप के लिए कम्युनिकेशन का बना रहना बहुत जरूरी है।

परंतु फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याओं को लेकर शुरुआत में सभी कपल्स बात करने में किसकी चाहत महसूस करते हैं, जिस वजह से यह समस्या दिन-प्रतिदिन यह समस्या गंभीर होती जाती है और इसका इलाज भी मुश्किल हो जाता है। साथ ही कभी कबार यदि एक पार्टनर इसकी शुरुआत भी करता है, तो दूसरा कहीं न कहीं पीछे हट जाता है।

5. परिवार के सदस्यों के साथ संबंध खराब होने का डर

बांझपन को बायोलॉजिकल समस्या के बजाय एक सामाजिक मुद्दा बना दिया गया है। ऐसी स्थिति में कपल्स को अपनी बीमारी के साथ-साथ समाज और परिवार का सामना भी करना पड़ता है। खासकर महिलाओं को अनादर और आलोचनाओं का पात्र बना दिया जाता है। यह स्थिति महिलाओं के लिए खास कर काफी कठिन हो जाती है।

भले ही यह समस्या पुरुषों में हो परंतु फिर भी बांझपन का कारण महिलाओं को ही माना जाता है। इसके साथ ही कई तरह की शर्मनाक सबलों का शिकार भी बनना पड़ता है।

इन 5 तरीकों से इनफर्टिलिटी के कारण आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकती हैं

1. बातचीत करें

संवाद किसे भी अच्छे रिश्ते की नींव होती है। जीवनसाथी एक ऐसे व्यक्ति होते है, जिनसे हम अपनी मन की कोई भी बात बिना हिचकिचाहट के कह सकते हैं। भले ही आप दोनों का दृष्टिकोण अलग-अलग हो परंतु बात करके एक दूसरे की भावना एवं जरूरतों को समझें और उसका समर्थन करें। यह आपको इनफर्टिलिटी की समस्या से उबरने में मदद करेगा।

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बातचीत के साथ काउंसिलर की मदद आपके रिश्ते का स्पार्क लौटा सकती, चित्र:शटरस्टॉक

2. क्वालिटी टाइम बिताएं

अपने व्यस्त कार्यक्रम से पाटनर के लिए समय जरूर निकालें। यदि आप दोनों के बीच किसी तरह की समस्या चल रही है, तो एक साथ बैठकर उस पर बात विचार करना और एक दूसरे के साथ समय बिताने से आपके बीच की दूरी कम होती है और यह आपके रिश्ते में सकारात्मक बदलाव लेकर आता है।

हर दिन एक-दूसरे के लिए समय निकालना, भले ही वह थोड़े समय के लिए ही क्यों न हो, रिश्ते में बहुत सारे सकारात्मक बदलाव ला सकता है। उन चीजों को करने में समय बिताएं जिनमें आप दोनों रुचि रखते हैं। ऐसे में साथ में यात्रा करें और एक दूसरे को स्पेशल फील करवाएं। यह सभी चीजें फर्टिलिटी पर काफी असर डालती है।

3. सपोर्ट करना है जरूरी

यदि कपल्स में से किसी एक के कारण इनफर्टिलिटी की समस्या हो रही है, तो उन्हें इस स्थिति में कभी भी अकेला न छोड़े और न ही उन्हें बार-बार इस चीज का एहसास दिलाती रहें। यदि इनफर्टिलिटी जैसी कोई समस्या आ रही है तो यह किसी अकेले की नहीं, यह आप दोनों की समस्या है।

साथ ही यह समझे कि सामने वाले व्यक्ति को भी बच्चे की चाहत होगी और वह भी ठीक आपकी तरह भावनात्मक दुख से गुजर रहा होगा। ऐसी स्थिति में पार्टनर का सपोर्ट इसलिए भी ज्यादा जरूरी है क्योंकि इसे समाज में आज भी व्यक्तिगत खराबी के रूप से देखा जाता है। इसलिए इस कठिन यात्रा में एक दूसरे का समर्थन करें और एक दूसरे के साथ खड़े रहे।

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पोस्टपार्टम डिप्रेशन के उपचार के तरीके आजमाए ।चित्र : शटरस्टॉक

4. इनफर्टिलिटी को स्वीकार करने में देरी न करें

यदि आप इनफर्टिलिटी की समस्या में आने वाली चुनौतियों से बचना चाहती है तो सबसे पहले इसे खुद स्वीकार करना होगा। मेल पार्टनर हो या फीमेल पार्टनर यदि किसी को भी अपने अंदर इनफर्टिलिटी से जुड़े किसी तरह की समस्या नजर आ रही है, तो पहले इसे खुद स्वीकार करें और फिर तुरंत अपने पार्टनर को बताएं। ऐसी चीजों में हिचकिचाहट और झिझक आपकी परेशानी को और ज्यादा बढ़ा सकती हैं।

5. विशेषज्ञ की सलाह लें

इनफर्टिलिटी की समस्या में विशेषज्ञ की सलाह लेने से बेहतर कुछ नहीं है। इस स्थिति में उजागर होने वाली चिंता, भ्रम, और आशंका का जवाब सिर्फ एक फर्टिलिटी एक्सपर्ट के पास जाकर मिल सकता है। इसलिए सबसे पहले विशेषज्ञ से संपर्क करें और जांच करवा कर देखें कि किन्हें और क्या समस्या आ रही है। साथ ही यह कपल्स को इलाज के लिए शारीरिक और भावनात्मक रूप से तैयार होने में भी मदद करता है।

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