यौन स्वास्थ्य (Sexual Health) पर बनी रहने वाली फुसफुसाहट का खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ता है, जो अनजाने में एचआईवी/ एड्स (HIV/AIDS) के शिकार हो जाते हैं। अब भी कुछ लोग मल्टीपल रिलेशन्स को गर्व से साझा करते हैं। जबकि एड्स पर बात करते उन्हें झिझक महसूस होती है। यह दिखाता है कि स्वस्थ समाज के रूप में हम अभी कितने पिछड़े हुए हैं। एचआईवी/एड्स ऐसा संक्रामक रोग है, जिसके बारे में कहा जाता है कि जानकारी ही बचाव है। इसलिए इससे संबंधित आपके जितने भी सवाल हैं, हम उनके जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं।
जवाब : खून चढ़ाने के दौरान एचआईवी संक्रमित खून का इस्तेमाल होने से।
एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाना।
एचआईवी से ग्रसित मां से भी यह वायरस बच्चे में जा सकता है।
किसी डॉक्टर द्वारा संक्रमिक सूईं या सिरिंज का इस्तेमाल करने से।
नाई या टैटू की शॉप पर इंफेक्टेड चीजों के इस्तेमाल से
जवाब : पुरुषों की तुलना में महिलाओं में एचआईवी के लक्षण थोड़े अलग होते हैं। कई लक्षण तो इतने मामूली लगते हैं, जिन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है। महिलाओं में एचआईवी के प्रमुख लक्षणों में पूरे शरीर पर लाल चकत्ते पड़ना, पीरियड्स रुक जाना, फ्लू या हल्का बुखार होना, हद से ज्यादा थकान होना, भूख कम लगना,शामिल हैं।
भारतीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार एड्स होने के बाद भी व्यक्ति एक समान और स्वस्थ जीवन जी सकता है। एचआईवी होना जीवन का अंत नहीं होता। यदि संक्रमित व्यक्ति सही चिकित्सीय मदद एवं स्वस्थ जीवन शैली का पालन कर लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकता है।
जवाब : जी हां यदि आप एचआईवी पॉजिटिव हैं, तो आपके बच्चे को गर्भावस्था के दौरान यह संक्रमण होने की संभावनाएं होती हैं। हालांकि अब चिकित्सा जगत में हुई तरक्की के बाद बच्चों में गर्भावस्था के दौरान इस संक्रमण को होने से रोका जा सकता है। इसमें Tenofovir, Lamivudine और Efavirenz ट्रीटमेंट का उपयोग किया जा सकता है।
यूनिसेफ (Unicef) की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में लगभग हर मिनट और 40 सेकेंड में 20 साल की कम उम्र का एक युवा और बच्चा एचआईवी से संक्रमित हो रहा था। पिछले साल एचआईवी से पीड़ित बच्चों की कुल संख्या 2.8 मिलियन थी।
जवाब : विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लोगों को इसके लक्षणों की जानकारी नहीं होती। इस वजह से यह काफी तेजी से फैलता है। बहरहाल कंडोम के बाद इसकी संभावना थोड़ी कम है, लेकिन हां यह पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। ऐसा तब होता है जब सेक्स के दौरान कंडोम, खिसक जाए, फट या लीक हो जाए।
जवाब : एड्स का न ही कोई इलाज है और न ही इसकी कोई वैक्सीन अभी तक बन पाई है। इसका एक ही उपाय है बचाव। इसमें सुरक्षित यौन सम्बन्ध शामिल हैं। जीवाणुरहित (स्टरलाइज़्ड) सुई का उपयोग करें। बचाव के तरीके सीख कर और जागरूक हो कर हम इससे निपट सकते हैं।
जवाब : कुछ दवाओं के कॉम्बिनेशन से साइड इफ़ेक्ट होने का जोखिम होता है। ऐसे में यदि आप किसी अन्य बीमारी से भी झूझ रहें हैं, तो आप को अपने डॉक्टरर से दोनों दवाओं के बीच में टाइम गैप को लेकर चर्चा करनी चाहिए। ध्यान रहें बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी दवा का सेवन करना आप की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
जवाब : संक्रमण से जूझ रहे रोगियों को अपने इन्फेक्शन के आधार पर जांच करवानी चाहिए। यदि आप ज्यादा इन्फेक्टेड हैं, तो आपको अपने डॉक्टर की सलाह से अनुसार जल्दी-जल्दी जांच करवानी पड़ सकती है। संक्रमण के लक्षण महसूस होते ही इसकी जांच करवाना जरूरी है।
आमतौर पर जो टेस्ट भारत में एचआईवी के लिए होता है, वो संक्रमित होने के 10 से 90 दिनों के बाद संक्रमण का पता लगा पाते हैं। बच्चो की बात करें, तो मां से एचआईवी इंफेक्शन का पता लगाने के लिए जन्म के जल्द से जल्द या 6 हफ्ते की उम्र तक वायरोलॉजिकल टेस्टिंग करवा लेनी चाहिए।
जवाब : हर साल दिसंबर 1 को विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत 1 दिसंबर 1988 को हुई थी। जिसका मकसद एचआईवी संक्रमण से जूझ रहे लोगों की मदद करने के लिए धन जुटाना, लोगों में एड्स को रोकने के लिए जागरूकता फैलाना और एड्स से जुड़े मिथ को दूर करते हुए लोगों को शिक्षित करना था। इस साल यानी 2021 की थीम,”असमानताओं को समाप्त करें। एड्स का अंत करें” है।
इसलिए जागरुक रहें, सतर्क रहें और सुरक्षित रहें। आपका और आपके अपनों का जीवन बहुत कीमती है।