अडोलेसेंस यानि किशोरावस्था, जिसमें बढ़ते बच्चों के शरीर में कई प्रकार के परिवर्तन आने लगते हैं। लड़कियों में होने वाली पीरियड्स (Period cycle) की शुरूआत और शारीरिक बदलाव उनके मन में कई प्रकार के सवाल पैदा करते हैं। ऐसे में स्कूल में सेक्स एजुकेशन (Sex education in school) के माध्यम से हम उनके जहन में उठ रहे सवालों को शांत करने का काम करते हैं।
यौन संचारित रोग, गर्भावस्था (Pregnancy) और एचआईवी (HIV) के बारे में जानकारी देना ज़रूरी है। इसके अलावा किशोरावस्था में कदम रख चुकी गर्ल्स को पीरियड्स का कारण और उससे जुड़ी अहम् जानकारी देना ज़रूरी है। आइए जानते है सेक्स एजुकेशन से जुड़ी कौन सी बातें हैं, जो वयस्कों को बताना ज़रूरी है।
सेक्स एजुकेशन एक प्रकार की टीचिंग और लर्निंग है, जो युवाओं को लिव इन रिलेशनशिप्स, फिज़िकल और मेंटल हेल्थ के बारे में बताते हैं। युवाओं को इस बात की जानकारी दी जाती है किआपसी सहमति से किया गया सेक्स आपको खुशी देता है। साथ ही इससे शरीर में कई हार्मोनल चेंजिस भी होते हैं। इसके अलावा सेफ सेक्स के बारे कमें जानकारी देना भी बहुत ज़रूरी है।
सबसे पहले इस टॉपिक पर फील फ्री होकर पेरेंटस को अपने बच्चों से डिस्कशन करनी चाहिए। अगर सेक्स के बारे में माता पिता बच्चों से खुलकर बात करेंगे, तो ज़ाहिर है, छेड़छाड़ की घटनाओं में अपने आप कमी आने लगेगी। बच्चे माता पिता से कुछ भी छुपाने की ज़रूरत महसूस नहीं करेंगे। वे अच्छी और हेल्दी सेक्सुअल लाइफ जी पाएंगे।
नॉलेज का होना बेहद ज़रूरी है। इसके लिए आपके अंदर जब तक फिजीकल और मेंटल मैच्योरिटी नहीं आती है। तब तक आप सेक्स करने के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं। अगर आप इसके सभी आस्पेक्टस को जानते हैं और पूरी तरह से समझते हैं। फिर आप अपने पार्टनर की सहमति से सेक्स कर सकते हैं।
एक पतले पर्दे के समान झिल्ली को हाइमन कहा जाता है, जो अक्सर प्रैगनेंसी के दौरान टूट जाती है और उससे ब्लीडिंग होने लगती है। ये किसी भी तरह से डर का विषय नहीं। इसके अलावा लंबे समय तक दौड़ने, ज्यादा खेलने, तेज साइकिल चलाने और कई बार जिम में वर्कआउट करने से भी हाइमन का पर्दा हट जाता है। योनि के ठीक उपर होने वाली ये झिल्ली किसी प्रकार के बैक्टीरियल इंफेक्शन से वजाइना को प्रोटेक्ट करने का काम करती है। इस बारे में बच्चों को जानकारी देना बेहद ज़रूरी है। कई बार सेक्स को लेकर अनेक प्रकार के मिथक बच्चों को गलत रास्ते पर ले जाते है।
एक दूसरे को छूना, किसिंग और ओरल सेक्स से प्रेग्नेंसी की संभावना रहती है। इस प्रकार के मिथकों को दूर करके बच्चों को हेल्दी सेक्सुअल रिलेशन बनाने की जानकारी देनी चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि महज एक दूसरे के करीब आने से नहीं बल्कि शारीरिक सबंध बनाने से कोई लड़की गर्भावस्था में कदम रखती है।
एचआईवी से दूर रहने के लिए सेफ सेक्स बेहद ज़रूरी है। अलग अलग लोगों से सेक्स करने के कारण न केवल वो व्यक्ति सेक्सुअल ट्रांसमिटिड डिज़ीज का शिकार हो जाता है। इसके अलावा उससे सेक्स करने वाले अन्य लोग भी इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में सैक्स के दौरान कण्डोम का इस्तेमाल ज़रूर करें। कण्डोम एक ऐसा सुरक्षा कवच है, जो आपको सेक्सुअल ट्रांसमिटिड डिज़ीज़ से बचाने का काम करता है।
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