क्या आपने कभी किसी को नींद में चलते देखा है या किसी को नींद में बात करते सुना है? बेशक, आप में से बहुतों ने ऐसा अनुभव किया होगा और फिर उन्हें इसके लिए टोका भी होगा। लेकिन क्या आपने कभी किसी को नींद में सेक्स करते हैं या मास्टरबेट करते देखा है? ज्यादा परेशान न हों, क्योंकि ऐसा भी हो सकता है। मेडिकल टर्म में इसे सेक्सोम्निया (Sexsomnia) या स्लीप सेक्स (Sleep sex) कहते हैं।
अनिद्रा की तरह, यह भी एक तरह का स्लीप डिसऑर्डर है। ऐसा तब होता है जब आपका मस्तिष्क आंशिक रूप से जागृत होता है और आंशिक रूप से सोया हुआ होता है या पैरासोमिया की स्थिति में होता है।
ब्रेन रिसर्च रिव्यू के अनुसार , यह नींद के दौरान असामान्य यौन व्यवहार है। यह उन लोगों में होता है, जिनमें नाइट फॉल, योनि स्नेहन, स्वप्नदोष और स्लीप ऑर्गेज्म जैसी समस्याएं पहले से मौजूद हों।
सेक्सोम्निया की पहचान पहली बार 1996 में तीन शोधकर्ताओं डॉ. कॉलिन शापिरो, डॉ. निक ट्रेजनोविक और डॉ. पॉल फेडोरोफ द्वारा की गई थी।
इसके लक्षण अजीब होते हैं। इसके सामान्य लक्षणों में व्यक्ति का नींद के दौरान सेक्स करना शामिल है। जैसे:
1 साथी के साथ फोरप्ले
2 पैल्विक थ्रस्टिंग
3 यौन संभोग की तरह व्यवहार करना
4 हस्तमैथुन
5 यौन संभोग
6 ऑर्गेज्म
“ स्लीप सेक्स की तीव्रता सभी में अलग-अलग हो सकती है। कुछ यौन संबंध वाले रोगी केवल यौन उत्तेजना वाली आवाजें निकालते हैं, कराहते हैं, और शेकिंग करते हैं, जबकि अन्य यौन गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं, हस्तमैथुन या पार्टनर के साथ सेक्स करने लगते हैं।” केएम हॉस्पिटल और सेठ जी एस मेडिकल कॉलेज, मुंबई में यौन चिकित्सा विभाग के माननीय प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. राजन भोंसले, बताते हैं।
वे कहते हैं:
चरम मामलों में, यौन कार्य करते समय इस विकार से निपटने वाला व्यक्ति हिंसक हो सकता है ज्यादा खतरनाक क्या है, वही जो स्लीपवॉकिंग और बात करने के दौरान होता है, कि बाद में व्यक्ति को यह याद ही नहीं रहता कि उसने क्या किया था।
डॉ. भोंसले का कहना है कि तनाव इस विकार का सबसे बड़े कारणों में से एक है। तनाव के अलावा, ऐसे अन्य कारक भी हैं जो यह विकार पैदा कर सकते हैं:
i) नींद की कमी या नींद एपनिया
ii) अत्यधिक शराब पीना
iii) रीक्रिएशनल दवाओं का सेवन
वे कहते हैं, “ शायद, शायद नहीं। कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि यह एक आनुवंशिक घटक है जो इस समस्या का कारण बन सकता है,”
साधारण मामलों में, इसका सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता। पर इस एक्टिविटी के कारण आपको शर्मींदगी का सामना करना पड़ सकता है।
डॉ भोंसले कहते हैं, “लेकिन गंभीर मामलों में, कुछ जटिलताएं भी हो सकती है। जैसे रेस्टलेस लैग सिंड्रोम, नींद के दौरान होने वाली मिर्गी, ज्यादा हिंसक सेक्स होने पर चोट भी लग सकती है। इसके अलावा गेस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिसीज (जीईआरडी), या माइग्रेन का शिकार हो सकते हैं।
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट भावना बर्मी के अनुसार, सेक्सोम्निया मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां खड़ी कर सकता है।
वेे कहती है:
सेक्सोम्निया अवसाद, एकाग्रता की कमी, स्टिग्मा और सेक्स जीवन में परेशानी का कारण बन सकता है।
डॉ. भोन्सले के अनुसार, जी हां, इसके लिए कुछ थेरेपी और उपचार आदि हैं।
जर्नल ऑफ क्लिनिकल स्लीप मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार इस स्थिति को पूरी तरह ठीक होने में 6 महीने का समय लग सकता है।
डॉ. भोंसले बताते हैं कि “यह कोई आम समस्या नहीं हैं और हम साल भर सेक्सोम्निया के केवल 8 से 10 मामले ही देखते हैं। हालांकि, तनाव और एंग्जायटी लेवल में बढ़ोतरी होने के कारण इसके मामले भी बढ़ सकते हैं। इसलिए अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना बहुत जरूरी है।”
डॉ. बार्मी समझाती हैं, “किसी मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक से मिलकर भी उस शर्मिंदगी से बाहर आया जा सकता है, जिसके कारण ज्यादातर लोग तनाव में रहने लगते हैं। सेक्सोम्निया से ग्रस्त लोग काउंसलिंग सेशन के बाद भी उस तरह की भावनाओं से बाहर आ सकते हैं, जिनसे वे सेक्सोम्निया के कारण जूझने लगते हैं।”
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