अकसर दादी-नानी के जमाने से हम योनि प्रसव को सामान्य प्रसव के रूप में सुनते आ रहे हैं। जबकि यह दर्द की एक लंबी प्रक्रिया के बाद होता है। वहीं सी-सेक्शन के बाद कई तरह की सावधानियों का पालन करना पड़ता है। ऐसे में गर्भवती स्त्री का प्रसव की प्रक्रिया को लेकर कन्फ्यूज होना स्वभाविक है। आपकी कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए हमने इस बारे में एक एक्सपर्ट से बात की। जो बता रहे हैं कि योनि प्रसव और सी सेक्शन (Vaginal Birth Vs C section) में से क्या है प्रसव की ज्यादा सुरक्षित प्रक्रिया।
वेजाइनल बर्थ या सिजेरियन बर्थ दोनों में कौन सी प्रक्रिया ज्यादा सुरक्षित है, यह जानने के लिए हमने गुरुग्राम के पारस अस्पताल में कंसल्टेंट ऑब्सटेट्रिक्स ऐंड गाइनेकोलॉजी डॉ. मनप्रीत सोढ़ी से बात की।
डॉ. मनप्रीत सोढ़ी बताती हैं, “योनि से जब प्रसव होता है, तो इसमें सर्जरी नहीं होती है। इसलिए सर्जरी के संभावित जोखिमों का सामना नहीं करना पड़ता है। इसमें महिलाओं को अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है। सी-सेक्शन की तुलना में वे सामान्य दैनिक गतिविधियों में तेजी से वापसी करती हैं और चाइल्ड बर्थ के बाद होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से भी उन्हें कम मुकाबला करना पड़ता है।’
यदि आप योनि से बच्चे को जन्म देना चाहती हैं, तो वीबीएसी (VBAC-Vaginal birth after cesarean) भी आपके लिए ऑप्शन हो सकता है। यहां संभावित गर्भधारण को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। यदि आप अतिरिक्त बच्चे पैदा करने का इरादा रखती हैं, तो VBAC आपको कई सीजेरियन डिलीवरी के खतरों से बचने में मदद कर सकता है, जैसे कि प्लेसेंटल इसूज।
सिजेरियन डिलीवरी के दौरान बच्चे को जन्म देने के लिए मां के पेट पर एक हॉरिजेंटल या वर्टिकल चीरा लगाया जाता है। इस प्रक्रिया से मां और बच्चे की जान लगभग पूरी तरह से बच जाती है। सी-सेक्शन या सिजेरियन सेक्शन इसके अन्य नाम हैं।
वेजाइनल बर्थ हो या सिजेरियन बर्थ, सभी के अपने फायदे और नुकसान हैं।
वेजाइनल बर्थ के फायदे
डॉ. मनप्रीत कहती हैं, वेजाइनल बर्थ एक प्राकृतिक तरीका है। इसके कोई साइड इफेक्ट्स नहीं हैं या इससे शरीर को कोई परेशानी नहीं होती है।
सिजेरियन कराने की जरूरी वजह भी होनी चाहिए। इसलिए बच्चे को जन्म देने का यह सबसे अच्छा और सुरक्षित तरीका माना जाता है।
इसमें डिलीवरी के बाद मां को कम दिक्कत होती है।
एनाल्जेसिया होने के कारण इसे बिना दर्द के भी किया जा सकता है।
यदि वेजाइनल डिलीवरी में ज्यादा मेहनत करनी पड़े या जबर्दस्ती कराई जाए, तो मां के बर्थ कैनाल में चोट लग सकती है।
बच्चे की डिलीवरी के बाद कितनी देर तक दर्द सहना होगा, यह निश्चित नहीं होता है।
हालांकि किसी भी डिलीवरी प्रोसेस को अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। डॉक्टर आपके वर्तमान स्वास्थ्य को देखते हुए आपके लिए सुरक्षित विकल्प के बारे में बताते हैं।
ऐसे मामलों में जहां महिला या बच्चा किसी चिकित्सीय स्थिति के कारण खतरे में हैं, तो सिजेरियन सेक्शन अक्सर वेजाइनल बर्थ की तुलना में अधिक सुरक्षित होता है।
यह डिलीवरी मां और बच्चे की मृत्यु दर और संक्रमण के जोखिम को कम करता है। मां की सुविधा के अनुसार प्रसव का समय निर्धारित किया जा सकता है।
यदि किसी महिला का सी सेक्शन हुआ है, तो उसे रिकवर होने में समय लग सकता है।
सर्जरी के दौरान अत्यधिक ब्लड निकलने से मां को एनीमिया हो सकता है।
इसके तुरंत बाद स्तनपान संभव नहीं है। इसमें थोड़ा समय लगता है। जबकि नॉर्मल डिलीवरी के तुरंत बाद बच्चे को स्तनपान कराया जा सकता है। बच्चे को कोलोस्ट्रम मिल पाता है। डिलीवरी के बाद स्तनों में जो पहला दूध आता है, उसे कोलोस्ट्रम कहते हैं।
यदि आर्थिक दृष्टिकोण से देखें, तो सिजेरियन ज्यादा खर्चीली प्रक्रिया है।
यह भी पढ़ें:-सेक्स डिजायर और ऑर्गेज़्म दोनों में मददगार साबित हो सकता है संगीत, जानिए कैसे
सेChat करें