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क्या छोटी बच्चियों को भी हो सकता है यूटीआई? तो जवाब है हां, जानिए कैसे

यूटीआई सिर्फ यौन रूप से सक्रिय महिलाओं की ही समस्या नहीं है, बल्कि ये छोटी बच्चियों को भी हो सकता है। आइए जानते हैं इस बारे में सब कुछ।
बच्चों को भी हो सकता है यूरीनल इन्फेक्शन। चित ; शटरस्टॉक
शालिनी पाण्डेय Updated: 26 May 2022, 19:55 pm IST
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क्या आपके बच्चे को भी पेशाब करने के दौरान जलन होती है? या पेशाब करने में तकलीफ होती है? तो ये दोनों ही यूटीआई के लक्षण हो सकते हैं। बच्चों को यूटीआई? हैरान हो गईं न! पर इसमें हैरानी की कोई बात नहीं है, क्योंकि छोटी बच्चियों को भी यूटीआई हो सकता है। आइए जानते हैं बच्चों में होने वाली यूटीआई (UTI in kids) की समस्या के बारे में विस्तार से।

पूजा की सात वर्षीय बेटी अविका लगातार कुछ दिनों से थोड़ी-थोड़ी देर पर टॉयलेट जाने को कहती और फिर जलन और दर्द के कारण ठीक से पेशाब न कर पाने की वजह से रोने लगी। पहले तो पूजा को लगा कि गर्मी और पानी की कमी की वजह से अविका को यह दिक्कत हो रही है। पर जब तमाम प्रीकॉशंस के बावजूद अविका की समस्या नहीं सुलझी, तो पूजा उसे लेकर चाइल्ड स्पेशलिस्ट के पास गई। वहां पूजा ने जाना कि अविका को यूटीआई है। इतनी कम उम्र में अविका को यह इन्फेक्शन होना पूजा के लिए बिलकुल नई बात थी।

बच्चों में यूटीआई (UTI in kids)

वयस्कों में पेशाब करने के रास्ते में होने वाला संक्रमण ( Urinary tract infection-UTI) सामान्य है। लेकिन क्या आप जानती हैं कि बच्चे भी इस समस्या से ग्रस्त हो सकते हैं। हां, आपने सही पढ़ा है। यह समस्या कब होती है, इसके क्या कारण है और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है, इस बारे में विस्तार से बात कर रहे हैं मूलचंद हॉस्पिटल, कंसलटेंट पीडियाट्रीशियन डॉ शेखर वशिष्ठ

डॉ शेखर कहते हैं, “ बच्चे ही नहीं शिशुओं को भी यूटीआई हो सकता है। फीमेल चाइल्ड में इस इन्फेक्शन की संभावना अधिक होती है। वहीं दिव्यांग बच्चे को यूटीआई का खतरा स्वस्थ बच्चों की तुलना में ज़्यादा हो सकता है।

क्या है यूटीआई?

यूटीआई को यूरीनल ट्रैक यानी पेशाब के रास्ते के उस हिस्से की सूजन के रूप में समझा जा सकता है, जिसमें गुर्दे, यूरीनल ग्लैंड, ब्लैडर और यूरीनल ट्रैक (kidneys, ureters, bladder, and urethra) शामिल हैं। यूटीआई का सबसे आम कारण बैक्टीरिया है और यह मूत्र प्रणाली के किसी भी हिस्से को संक्रमित कर सकता है।

” यह किसी को भी हो सकता है। जब रोगाणु मूत्रमार्ग में प्रवेश करते हैं, तो मूत्राशय, मूत्रवाहिनी और गुर्दे में भी जाते हैं और फिर बढ़ते जाते हैं। यूटीआई के लिए जिम्मेदार सबसे आम बैक्टीरिया एस्चेरिचिया कोलाई (ई. कोलाई) है, जो कोलन में मौजूद होता है।”

बच्चों को पेशाब के रास्ते की सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए

कैसे पता चलेगा कि बच्चे को यूटीआई है?

यूटीआई के लक्षणों के बारे में पूछे जाने पर, डॉक्टर शेखर जवाब देते हैं, “यदि आपके बच्चे को बुखार, दुर्गंधयुक्त पेशाब और पेशाब करने में जलन एक साथ हो, तो ये यूटीआई के लक्षण हो सकते हैं। बच्चा अगर बहुत छोटा है, तो वह बता नहीं पाएगा, पर उसका रोना बहुत बढ़ जाएगा। विशेषकर पेशाब के दौरान।

कई बार स्थिति उलट भी हो सकती है। बुखार के कारण उसका रेस्टलेस होना या दूध नहीं पीना भी यूरिनल इन्फेक्शन की ओर संकेत करता है। अचानक पेशाब लगना , बार-बार पेशाब आना, पेशाब के रास्ते में खुजली होना, पेशाब करते हुए दर्द होना, थकान, पेशाब में खून आना और बुखार होना बड़े बच्चों में देखे जा सकने वाले लक्षण हैं।”

इन्फेक्शन से बचने के लिए जरूरी है टॉयलेट हाइजीन । चित्र:शटरस्टॉक

बच्चों की यूटीआई का कैसे होता है उपचार

इलाज के लिए मूत्र परीक्षण यानी यूरिन कल्चर कराना पहला चरण है। यूटीआई की जांच के लिए यूरिन कल्चर और एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी या किडनी का अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है।

डॉक्टर शेखर सलाह देते हैं, “एक बार जब आप लक्षणों को नोटिस करते हैं, तो और देरी न करें, क्योंकि इससे आपके बच्चे की हालत खराब हो सकती है।” उपचार किस तरह का हो यह बच्चे की उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। वे आगे कहते हैं, “बच्चे का दर्द कम करने के लिए एंटीबायोटिक्स दी जाती है जो इसका एक मात्र उपाय है।

दर्द से आराम के लिए अगर आप भी बच्चे को हॉट बैग्स का इस्तेमाल करने की सलाह दे रहीं हैं, तो ध्यान रखें यह इसका इलाज नहीं है। पर्याप्त पानी पीना इस समस्या को दूर तो नहीं कर सकता पर इससे निपटने में मदद ज़रूर कर सकता है। यूटीआई की समस्या कई बार बढ़ कर खतरनाक रूप ले लेती है। ऐसे में बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता भी पड़ सकती है।”

कैसे हो बचाव

जब बच्चों में यूटीआई को रोकने की बात आती है, तो डॉक्टर शेखर कहते हैं –

1 माता-पिता को बच्चों की हाइजीन का खास ख्याल रखना चाहिए।
2 अगर बच्चा बड़ा है तो उसे अपने पेशाब के रास्ते को अच्छी तरह साफ़ करना सिखाना चाहिए। 3 बच्चे को बताए कि पेशाब रोकना उसके लिए खतरनाक हो सकता है।
4 शरीर की ज़रूरत के अनुसार खूब पानी पीना चाहिए और पर्सनल हाइजीन का ध्यान रखने के लिए पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
5 इसके अलावा, संक्रमण से बचने के लिए लड़कियों को खास तौर पर सिखाना चाहिए कि पॉटी या मल त्याग के बाद आगे से पीछे की ओर धोया जाना चाहिए न कि पीछे से आगे की ओर।
6 वेस्टर्न टॉयलेट की जगह इन्डियन टॉयलेट सीट का इस्तेमाल किया जाना बेहतर रहता है।
7 अंडरगारमेंट को कॉटन का चुना जाना सेहतमंद रहेगा।
8 जननांग क्षेत्र के आसपास केमिकल बेस्ड उत्पादों का उपयोग न करना भी यूटीआई से बचने में मदद करता है।

ध्यान रहे

यूटीआई जिसे आम भाषा में यूरीनल इन्फेक्शन के तौर पर जाना जाता है, को नज़रंदाज़ करना या डॉक्टर की सलाह के बिना इलाज करने की कोशिश करना निश्चित रूप से इसे खतरनाक बना सकता है। इससे इन्फेक्शन बढ़ते-बढ़ते बच्चे के ब्लैडर और फिर किडनी तक पहुंच सकता है, जो जानलेवा भी साबित हो सकता है।

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शालिनी पाण्डेय

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