हर महिला के लिए पीरियड्स के लक्षण और जटिलताएं अलग-अलग हो सकती हैं। पर कुछ सबसे सामान्य लक्षणों में पेट में ऐंठन, पैरों में दर्द, पीठ में दर्द, अत्यधिक रक्तस्राव और टेंडर ब्रेस्ट शामिल हैं। अध्ययनों के अनुसार, लड़कियों को अमूमन 11 से 14 वर्ष की उम्र के आसपास पीरियड होना शुरू हो जाते हैं और तब तक जारी रहते हैं जब तक कि वे मेनोपॉज के चरण तक नहीं पहुंच जाती। यह 40 और 50 वर्ष के बीच का समय हो सकता है।
ये खराब लाइफस्टाइल और तनाव का ही परिणाम है कि लड़कियों को पीरियड्स जल्दी शुरू हो रहे हैं और उन्हें युवावस्था में भी अनियमित पीरियड्स का सामना करना पड़ता है। यदि इसका समय रहते इलाज नहीं किया जाता है, तो यह समस्या प्रजनन आयु में और भी ज्यादा परेशान कर सकती है।
ऐसे कई कारक हैं जो अनियमित पीरियड्स के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इनमें तनाव, हार्मोनल समस्याओं के साथ ही और बहुत कुछ शामिल है। नियमित रूप से पीरियड्स न होने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
पर चिंता न करें, क्योंकि विशेषज्ञ मानते हैं कि आपकी रसोई में ही कुछ ऐसी सामग्रियां मौजूद हैं, जो अनियमित पीरियड्स की समस्या को दूर करने में आपकी मदद कर सकती हैं। यहां हम आपको आपके किचन में मौजूद 7 ऐसी ही सामग्रियों के बारे में बता रहे हैं।
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हल्दी की जड़ में करक्यूमिन होता है, जो कई लाभकारी स्वास्थ्य प्रभावों को दर्शाता है। इसमें सूजन को कम करना और मूड में सुधार करना शामिल है। इन प्रभावों के कारण, करक्यूमिन युक्त सप्लीमेंट लेने से पीएमएस के लक्षण कम हो सकते हैं। इसके अलावा हल्दी में एस्ट्रोजन हार्मोन के समान प्रभाव हो सकता है। इसका मतलब है कि यह आपके मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने में भी मदद कर सकता है।
दालचीनी आपके शरीर में इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है, जिसका असर अन्य हार्मोन और मासिक धर्म चक्र पर पड़ सकता है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) वाली महिलाओं में जिनमें अकसर इंसुलिन का स्तर हाई होता है और अनियमित पीरियड्स की समस्या होती है, उन्हें दालचीनी का सेवन करने से पीरियड्स को नियमित करने में मदद मिल सकती है।
कुछ पुराने अध्ययनों से पता चलता है कि ईवनिंग प्रिमरोज तेल पीएमएस के लक्षणों को कम कर सकता है। ईवनिंग प्रिमरोज तेल में गामा-लिनोलेनिक एसिड (जीएलए), एक ओमेगा-6 फैटी एसिड होता है, जो सूजन को कम करता है।
ईवनिंग प्रिमरोज़ तेल का उपयोग महिलाओं की कई स्वास्थ्य चिंताओं के लिए किया जाता है, जिसमें हॉट फ्लैशेस (hot flashes), स्तन में दर्द और पीएमएस (PMS) के लक्षण शामिल हैं। ईवनिंग प्रिमरोज़ तेल की 3 से 6 ग्राम की खुराक रोजाना लेने की सलाह दी जाती है। पर इसके लिए विशेषज्ञ से परामर्श कर लेना जरूरी है।
जानवरों में शोध से पता चलता है कि अरंडी का तेल मासिक धर्म चक्र को प्रभावित कर सकता है। यह सूजन को भी कम कर सकता है, जिससे मासिक धर्म में दर्द और ऐंठन में सुधार हो सकता है।
अरंडी के तेल को पारंपरिक रूप से “एमेनगॉग” (emmenagogue) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जिसका अर्थ है कि यह मासिक धर्म के प्रवाह को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकता है।
इसका उपयोग करने के लिए, तेल में एक फलालैन कपड़ा (flannel cloth) भिगोएं, फिर इससे अतिरिक्त तेल निचोड़ें। अब इस कपड़े को अपने पेट के ऊपर रखें। फलालैन को प्लास्टिक रैप से कवर करें।
प्लास्टिक से ढके फलालैन के ऊपर एक हीटिंग पैड या गर्म पानी की बोतल रखें। आराम करें और 45 से 60 मिनट के लिए इसे छोड़ दें। इसे तीन दिनों के लिए एक बार दैनिक रूप से आज़माएं। यदि आवश्यक हो तो लंबे समय तक भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
अदरक पीएमएस के लक्षणों को दूर करने और पीरियड्स को नियमित करने में मदद करती है। सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको अपने पीरियड्स की तारीख से सात दिन पहले अदरक का सेवन शुरू करने का सुझाव दिया जाता है। यह पीरियड्स के दौरान खून की कमी को भी कम करने में मदद करती है।
इसे पीने से मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने और पीसीओएस के इलाज में मदद मिलती है। सेब साइडर सिरका का सेवन पतला करने के बाद ही करें।
जीरा गर्भाशय की मांसपेशियों को अनुबंधित करके, अनियमित पीरियड्स को ठीक करने में मदद करता है। इसके सर्वोत्तम परिणाम के लिए गर्म पानी के साथ हर सुबह जीरे को भिगोकर इसका सेवन करें।