पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic ovary syndrome) प्रजनन उम्र की महिलाओं में प्रजनन, चयापचय और एंडोक्राइन सिस्टम का सबसे आम विकार है। हालांकि इस सिंड्रोम के सटीक पैथोफिज़ियोलॉजिकल कारण का पता नहीं चल सका है। लेकिन कई कारकों को इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। पिछले दो दशकों में प्लास्टिक का उपयोग तेजी से बढ़ा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक के सिंथेसिस में उपयोग किए जाने वाले बिस्फेनॉल-ए भी पीसीओएस का संभावित कारक हो सकता है।
महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम या पीसीओएस इन दिनों तेज़ी से बढ़ा है। यह चिंताजनक है। यह एक ऐसा सामान्य विकार या सिंड्रोम है, जो प्रसव उम्र की 10 में से 1 महिला को प्रभावित करता है। यह हार्मोनल असंतुलन के कारण हो सकता है। इस सिंड्रोम के परिणामस्वरूप अनियमित पीरियड, मुंहासे, बालों का झड़ना और चेहरे पर बाल आना भी हो सकता है। डॉक्टर और पोषण विशेषज्ञ इसे जीवनशैली विकार के रूप में देखते हैं। हार्मोनल असंतुलन की प्रमुख वजह प्लास्टिक भी बन सकता है।
सेक्सोलोजिस्ट और गायनेकोलोजिस्ट डॉ. अंजलि कुमार अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में बताती हैं, ‘यहां कई कारक हैं, जो पीसीओएस के लिए बहुत अधिक खराब साबित हो सकते हैं। इनमें से एक कारक प्लास्टिक भी हो सकता है। दैनिक जीवन में प्लास्टिक का लगातार उपयोग किया जाता है। यह हमारे चारों तरफ है। किचन, बाथरूम और यहां तक कि वैनिटी बॉक्स में भी यह मौजूद है।
डॉ. अंजलि कहती हैं, माइक्रोप्लास्टिक भोजन और पानी से शरीर में प्रवेश करता है। प्लास्टिक एक प्रमुख एंडोक्राइन डिसरपटर है। इसमें मौजूद बिस्फेनॉल-ए ब्लड फ्लो में हार्मोन की नकल करता है। यह एस्ट्रोजेन हॉर्मोन की मिमिक्री करता है। जिन महिलाओं को पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की समस्या होती है, उनमें एस्ट्रोजेन लेवल कम होता है।
यहीं पर मिमिकर एजेंट बिस्फेनॉल-ए एंडोक्राइन सिस्टम को डिसटर्ब कर देता है। एंडोक्राइन सोसाइटी के वैज्ञानिकों के अनुसार, आम घरेलू प्लास्टिक में पाए जाने वाला बिस्फेनॉल-ए महिलाओं में पीसीओएस के लक्षणों को बढ़ाता है।
डॉ. अंजलि के अनुसार, प्लास्टिक को पूरी तरह नहीं कहने पर (Say no to plastic) ही पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से बचाव किया जा सकता है।
पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लक्षणों से बचाव चाहती हैं, तो प्लास्टिक के विकल्प की तलाश करें। भोजन को कांच या सिरेमिक कंटेनर में स्टोर करें। पुराने और खरोंच वाले प्लास्टिक के कंटेनरों को किचन से बाहर कर दें।
माइक्रोवेव में कभी भी प्लास्टिक के बर्तन में खाना गर्म न करें। प्लास्टिक रैप की जगह टिन फॉइल का इस्तेमाल करें। इन दिनों मिट्टी के बर्तन का फिर से चलन हुआ है। इसे आप भी अपनाएं। बांस से तैयार बर्तन (Bamboo Pot) का भी इस्तेमाल करें।
नियमित पानी की बोतलों को स्टेनलेस स्टील या तांबे की पानी की बोतलों या फ्लास्क से बदल दें। तांबे की पानी की बोतल पीसीओएस से बचाव के साथ-साथ आंत के स्वास्थ्य के लिए भी बढिया है। डिब्बाबंद टमाटर और कोकोनट मिल्क जैसे कुछ डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों की परत बीपीए से बनी होती है।
डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में कांच, कागज और यहां तक कि प्लास्टिक के खाद्य पदार्थों की तुलना में अधिक बीपीए होता है। बीपीए मुक्त डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ खरीदें।
कॉटन शॉपिंग बैग या रीयूजेबल बैग का इस्तेमाल करना शुरू करें। इससे प्लास्टिक बैग प्रोड्कशन और उसे खत्म करने के संसाधनों को भी कम किया जा सकता है। इससे पर्यावरण को प्लास्टिक प्रदूषण से बचाया जा सकता है।
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