रोज़मर्रा की ज़िंदगी मे हमें कितनी ही स्वास्थ्य समस्याओं से गुजरना पड़ता है। कई बार तो वो समस्याएं हमारे लिए मैटर ही नहीं करतीं क्योंकि हमें वो इतनी बार हो चुकी होती हैं। जैसे- सर्दी जुकाम या खांसी। लेकिन इससे इन समस्याओं से जन्मी बीमारियां हल्की नहीं हो जातीं। ऐसी ही एक समस्या है यूटीआई (Urinary Tract Infection).
महिलाओं में ये आम है। पुरुषों में ये कम है इसलिए इसके इलाज़ और इसके खतरों पर भी कम बात होती है। जबकि यह इन्फेक्शन ऐसा है कि अगर ठीक समय पर एड्रेस नहीं किया गया तो ये आपकी किडनी तक डैमेज कर सकता है। आज हम इसी पर बात करेंगे। क्या है यूटीआई? क्यों होता है और क्या है इलाज़? डॉक्टर की मदद से समझेंगे।
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) एक तरह का इनफेक्शन है, जो यूरिन से जुड़े शरीर के हिस्सों में होता है। सबसे ज्यादा ये यूरिन पास करने वाली नली को प्रभावित करता है।
दरअसल जब कोई बैक्टीरिया यूरिन से जुड़े हिस्सों में पहुंचकर इनफेक्शन फैलाता है, यह बीमारी तब जन्मती है। यह इनफेक्शन इतना गंभीर है कि आपकी किडनी, यूरेटर, ब्लैडर और यूरिन पास करने वाली पाइप को भी नुकसान पहुंचा सकता है। पुरुषों की तुलना में यह समस्या महिलाओं को ज्यादा होती है लेकिन ये एक आम समस्या है।
फोर्टिस अस्पताल, मुंबई में कार्यरत डॉक्टर स्मृति नासवा के अनुसार UTI के बहुत सारे लक्षण हो सकते हैं और ये लक्षण दिखने पर यूटीआई का इलाज (treatment of uti ) जरूरी है। जैसे
1. पेशाब करते समय जलन या दर्द महसूस होने लगे।
2. कम पेशाब हो लेकिन बार-बार और तुरंत पेशाब लगे।
3. पेशाब का पीला हो जाना। या पेशाब और ज्यादा पीला होने लगना।
4. अगर पेशाब से ज्यादा बदबू आने लगे तो ये भी यूटीआई के संकेत हो सकते हैं।
5. पेट के निचले हिस्से में दर्द या भारीपन महसूस होना भी यूटीआई का लक्षण हो सकता है।
6. कुछ मामलों में बुखार, कंपकंपी या कमजोरी भी महसूस हो सकती है।
7. कुछ मामलों में पेशाब में खून भी आ सकता है।
डॉक्टरी भाषा में पेशाब पास करने वाली नली में ई.कोलाई (E. coli) जैसे बैक्टीरिया का पहुंचना इस इनफेक्शन का सबसे आम कारण है।
साफ सफाई का ख्याल ना रखना इस इनफेक्शन का एक और बड़ा कारण है। गंदगी के कारण ही यह बैक्टीरिया अंदर पहुंचते हैं और यूरेटर को नुकसान पहुंचाते हैं।
कुछ लोग जान बूझ कर पेशाब लंबे समय तक रोक के रखते हैं। डॉक्टर स्मृति नासवा ने हमें बताया था कि यह एक बड़ा फैक्टर है, महिलाओं में, खासकर ग्रामीण इलाकों की महिलाएं जहां शौचालय की सुविधा नहीं, तो वो बार- बार पेशाब करने ना जाना पड़े इसलिए वो कम पानी पीती हैं और पेशाब रोक कर रखती हैं। इस वजह से बैक्टीरिया को बढ़ने का मौका भी मिल जाता है और यूटीआई यहाँ से जन्म लेता है। और ये ना सिर्फ यूरिनरी ट्रैक को नुकसान पहुंचाता है बल्कि वैजाइना पर भी इसका असर पड़ता है।
कोई जरूरी नहीं कि इस इनफेक्शन का कारण केवल इनफेक्टेड व्यक्ति ही हो, कई बार सेक्स के दौरान पार्टनर के थ्रू ये बैक्टीरिया प्रवेश कर जाते हैं और यूरिनरी ट्रैक को डैमेज करते हैं।
अगर आप डाइबिटिक हैं तो आपको इस इनफेक्शन का खतरा ज्यादा होगा। डॉक्टर स्मृति के अनुसार महिलाओं में ये लक्षण कई बार वेजाइना में खुजली, उसका लाल हो जाना के रूप में दिखाई देता है। डायबिटीज के केस में अमूमन यह इनफेक्शन बाहर का नहीं अंदर का ही होता है।
1. पर्याप्त पानी पिएं
पानी पीना कभी मत टालें। शरीर के आवश्यकता अनुसार पानी पीते रहें दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से मूत्र मार्ग (Urinary Tract) साफ रहता है और बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं, जिससे इनफेक्शन का खतरा टल जाता है।
2. सफाई रखें
यूरिनल डिस्चार्ज के बाद हमेशा अच्छे से साफ सफाई करें। यह इनफेक्शन बैक्टीरिया की ही देन होता है और बैक्टीरिया हमेशा गंदगी की वजह से ही पनपते हैं। हमेशा आगे से पीछे की ओर साफ करें।
3. पेशाब रोककर न रखें
किसी भी सूरत में पेशाब को रोक कर नहीं रखना है। जब भी जरूरत लगे, पेशाब कर लीजिए ताकि बैक्टीरिया पनपने की संभावना खत्म हो जाए।
4. प्राइवेट पार्ट में कॉस्मेटिक्स (Cosmetics) का इस्तेमाल न करें
वेजाइना (Vagina) पर साबुन, स्प्रे या अन्य फ्लेवर्ड प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल यूरिनल रूट पर भी असर डालते हैं। इससे भी इनफेक्शन का खतरा बढ़ता है।
5. सेक्स के बाद पेशाब करें
सेक्स के बाद खूब पानी पी कर पेशाब करें ताकि अगर सेक्स के दौरान कोई बैक्टीरिया अंदर गया हो तो वह पेशाब के जरिए बाहर निकल जाए। सेक्स के दौरान भी साफ सफाई रखें। कंडोम के साथ सेक्स करना सबसे सुरक्षित विकल्प है। इससे मूत्र मार्ग में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं।
क्रैनबेरी जूस यूटीआई के इलाज में आपका मददगार हो सकता है। इसमें ऐसे एलीमेंट्स होते हैं जो बैक्टीरिया को यूरिनरी ट्रैक्ट की दीवार से चिपकने से रोकते हैं और इनफेक्शन फैलने की संभावना कम हो जाती है।
दिन में एक या दो गिलास बिना शक्कर वाला क्रैनबेरी जूस पीने से आपको ज्यादा फायदा मिलेगा। हालांकि ये उपाय हर व्यक्ति पर असरदार हो ये जरूरी नहीं तो अगर असर ना हो तो तुरंत डॉक्टर से मिल लें।
अगर यूटीआई के कारण पेट के निचले हिस्से में दर्द हो रहा हो तो गरम पानी की सिंकाई आपकी मदद कर सकती है। एक गरम पानी की बोतल लेकर या सूती कपड़े को गरम पानी से भिगोकर दर्द वाले हिस्से पर सिंकाई करने से आपको आराम मिलेगा। दिन भर में ऐसा 15-20 मिनट करें।
अपने खाने में ऐसी चीजों को शामिल करें जिनके अंदर एंटीबैक्टीरियल गुण हो। जैसे लहसुन, अदरक या दही।
लहसुन: इसमें एलिसिन नाम का एक कंपाउंड होता है जो एक तरह का नेचुरल एंटीबायोटिक ही है।
ये कंपाउंड बैक्टीरिया को खत्म करने में आपकी मदद करेगा और आपको मिलेगा इनफेक्शन से आराम।
अदरक: अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। आप अदरक की चाय पियें या इसे अपने खाने में किसी तौर पर शामिल करें।
दही: दही में वो गुण होते हैं जो अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाकर इनफेक्शन को रोकने में कारगर हैं। यूटीआई दोबारा ना हो इसलिए दही को अपने खाने में हमेशा शामिल करते रहें।
इन सब के साथ पर्याप्त पानी पीना, साफ-सफाई का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है। यदि फिर भी यूटीआई से निजात नहीं मिल रही तो डॉक्टर के पास जाएं और उनसे सलाह ले कर यूटीआई का इलाज (treatment of uti) करें।
1. यदि लक्षण 2-3 दिन में घरेलू उपायों से ठीक न हों।
2. बुखार, ठंड, या पीठ के निचले हिस्से में दर्द महसूस हो।
3. पेशाब में खून आने लगे तो बिना देरी के डॉक्टर के पास जाएं
4. अगर आप बार बार हो रहे यूटीआई से परेशान हैं तो आपको डॉक्टर से मिल लेना चाहिए। बार-बार यूटीआई हो रहा हो।
ध्यान रहे
कहने को यूटीआई एक आम समस्या हो सकती है, लेकिन अगर यूटीआई का सही समय पर इलाज (treatment of uti )न किया जाए तो यह किडनी तक पहुंच सकता है। इससे किडनी इनफेक्शन का खतरा हो सकता है। याद रखें समस्याएं भले छोटी हों लेकिन वो आप मत तय करिए, वो डॉक्टर पर छोड़िए। ताकि आप सुरक्षित रहें।
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