दिसंबर का महीना यानी छुट्टियों का महीना। ज्यादातर लोग क्रिसमस और नया साल सेलिब्रेट करने के लिए विदेश यात्राएं करते हैं। पर क्या आप जानती हैं कि लंबी दूरी की हवाई यात्रा यानी अलग टाइम जोन में जाना आपके पीरियड्स (period) को भी प्रभावित कर सकता है। जी हां, यह बिल्कुल सच है। असल में नए टाइम जोन में सामंजस्य बैठाने में आपके शरीर को समय लगता है। जिसकी वजह से आपको इर्रेगुलर पीरियड (irregular periods) की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
इर्रेगुलर पीरियड्स के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन कभी – कभी ट्रैवल करने की वजह से भी हमारी पीरियड साइकल प्रभावित हो जाती है। अक्सर देखा गया है कि ये जल्दी आ जाते हैं। मगर ये ट्रैवल के साथ स्लीप साइकल में बदलाव के कारण भी हो सकता है। तो चलिये इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि कैसे ट्रैवलिंग के दौरान बिगड़ा हुआ स्लीप साइकल (sleep cycle) हमारे मासिक धर्म को प्रभावित करता है।
वकेशन्स पर जाना किसे अच्छा नहीं लगता है, लेकिन यदि छुट्टियां के शुरू होते ही आपके पीरियड्स आ जाएं, तो मूड स्विंग, थकान और क्रैंप्स (cramps) की वजह से सारा मज़ा खराब हो जाता है, मगर, हमेशा ऐसे ही होता है कि जब हम ट्रैवल कर रहे होते हैं तभी पीरियड आते हैं या ट्रैवल करके आने के बाद पीरियड साइकल एकदम गड़बड़ा जाता है।
यह भी हमारे बॉडी क्लॉक या स्लीप साइकल में आए बदलाव के कारण होता है, तो चलिये जानते हैं कि कैसे ट्रेवलिंग कर सकती है पीरियड्स को प्रभावित।
आप तक इस बारे में सही जानकारी पहुंचाने के लिए हमने सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल, मुंबई की सलाहकार प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्विन शेट्टी से बात की।
डॉ. अश्विन शेट्टी के अनुसार स्ट्रेस और हार्मोन पीरियड साइकल को सुचारु से चलाये रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन दोनों का पीरियड पर असर पड़ता है। ट्रैवल करते समय नींद पूरी नहीं हो पाती है, जिस वजह से महिलाओं को स्ट्रेस हो सकता है और स्ट्रेस की वजह से हॉरमोन में परिवर्तन होता है। मगर यह सब नींद न पूरी होने के कारण होता है।
ट्रैवल करते समय, खासकर इंटरनेशनल ट्रैवलिंग की वजह से बॉडी क्लॉक बिगड़ जाता है। जिसकी वजह से हमारे सोने और जागने के पैटर्न में अंतर आने लगता है। इस परिवर्तन को जेट लैग अफेक्ट कहा जाता है, जिसका सीधा प्रभाव मेंसट्रूअल साइकल पर पड़ता है।
मेयो क्लीनिक के अनुसार जेट लैग (jet lag), जिसे जेट लैग डिसऑर्डर भी कहा जाता है, एक टेम्परेरी नींद की समस्या है जो किसी को भी प्रभावित कर सकती है। यह समस्या जल्दी – जल्दी कई अलग – अलग टाइम जोन में एक साथ ट्रैवल करने से होती है।
शरीर की अपनी बॉडी क्लॉक (body clock) होती है, जिसे सर्केडियन रिदम (circadian rhythm) कहा जाता है। जो आपके शरीर को संकेत देती हैं कि कब जागना है और कब सोना है। जेट लैग की वजह से दिन में थकान, अस्वस्थ महसूस करना, फोकस करने में परेशानी और पेट की समस्या हो सकती है। हालांकि यह लक्षण ज़्यादा देर तक नहीं रहते हैं।
डॉ. अश्विन शेट्टी के अनुसार हवाई यात्रा महिलाओं को बॉडी क्लॉक की तुलना में तेजी से टाइम जोन पार करने की अनुमति देती है। जिसकी वजह से बॉडी क्लॉक और लाइट – डार्क रिदम गड़बड़ा जाती है, जो नींद और हॉरमोन को प्रभावित करता है।
बॉडी की इंटरनल रिदिम हार्मोन मेलाटोनिन द्वारा नियंत्रित होती है और शरीर के मुख्य तापमान में परिवर्तन होता है और पीरियड इरेगुलर हो जाते हैं। यह उन महिलाओं में ज़्यादा कॉमन है जो नियमित रूप से फ्लाइट अटेंडेंट, पायलट और को-पायलट हैं।
फ्लाइट अटेंडेंट पर किए गए एक अध्ययन में 20% महिलाएं अनियमित पीरियड्स से परेशान हुईं। इसके अलावा, 38% महिलाओं में पीरियड पेन या पेल्विक फ्लोर में समस्याएं देखने को मिलीं।
यदि आप इंटरनेशनल ट्रैवल कर रही हैं तो अपनी फ्लाइट की टिकेट जितना हो सके अपने बॉडी क्लॉक को ध्यान में रखते हुये कराएं।
साथ ही, अपनी स्लीपिंग साइकल का भी पूरा ख्याल रखें। साथ ही, अपने डेली रूटीन के हिसाब से चलें कुछ भी बदलाव न करें। बाहर नींद नहीं आती है तो अपना तकिया साथ लेके चलें।
बाहर ट्रैवलिंग के दौरान ज़्यादा ज़्यादा ड्रिंक न करें और जंक फूड से बचें। पर्याप्त पानी पिएं।
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