बचपन से ही हमने अक्सर यही सुना है कि फीमेल हॉरमोन एस्ट्रोजेन होता है और मेल हॉरमोन टेस्टोस्टेरोन। मगर, टेस्टोस्टेरोन हॉरमोन न सिर्फ पुरुषों में बल्कि महिलाओं में भी पाया जाता है। जी हां…महिलाओं के शरीर में भी टेस्टोस्टेरोन होता है, और इसके स्तर में आने वाला उतार – चढ़ाव आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इस हॉरमोन के बारे में और भी बहुत कुछ है जो आपको जानने की जरूरत है तो चलिये पता करते हैं –
महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन हॉरमोन के बारे में समझने के लिए हेल्थ शॉट्स ने फोर्टिस हॉस्पिटल, कनिंघम रोड, बेंगलुरु की कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट – डॉ रुबीना शनवाज़,से संपर्क किया।
मूल रूप से, महिलाओं की प्रणाली एस्ट्रोजन द्वारा संचालित होती है और पुरुष टेस्टोस्टेरोन द्वारा संचालित होते हैं। इसके अलावा, एंड्रोजन हॉरमोन शरीर के विकास और रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
क्या आप जानती हैं कि टीन एज में पहुंचने के बाद महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन बढ़ जाता है? हालांकि, महिलाओं के शरीर में पुरुषों के मुलाबले बहुत कम टेस्टोस्टेरोन उत्पादित होता है, लेकिन फिर भी यह उनकके जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
टेस्टोस्टेरोन का बढ़ता और घटता स्तर दोनों ही महिलाओं के लिए समस्या पैदा कर सकता है। डॉ रुबीना बताती हैं कि महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का लो लेवल आमतौर पर रजोनिवृत्ति के बाद देखा जाता है। रजोनिवृत्ति होने पर एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है और टेस्टोस्टेरोन का स्तर नीचे चला जाता है।
टेस्टोस्टेरोन का निम्न स्तर कामेच्छा में कमी, बालों के झड़ने, मांसपेशियों के झड़ने और थकान का कारण बनता है। कभी-कभी, ये लक्षण पेरिमेनोपॉज़ के दौरान प्रकट होते हैं, जिसके लिए महिलाओं को मौखिक या इंजेक्शन के रूप में सप्लीमेंट दिए जाते हैं।
यौन रूप से संतुष्ट न हो पाना
मांसपेशियों की हानि
मूड स्विंग
थकान
कामेच्छा की कमी
बाल झड़ना
टेस्टोस्टेरोन का लो लेवल कई समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए, डॉक्टर से पूछकर इससे से संबन्धित दवाएं लें। साथ ही, डॉक्टर आपके हॉरमोन को टेस्ट करने करने के लिए ब्लड टेस्ट भी बोल सकते हैं।
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