कभी-कभी प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को कॉम्प्लीकेशंस हो जाती हैं। उन्हें एबॉर्शन होने की भी आशंका बनी रहती है। इसकी वजह से महिला को डिलीवरी होने तक बेड रेस्ट की सलाह दी जाती है। दिन भर काम में एंगेज रहने वाली महिला को जब बेडरेस्ट के लिए कहा जाता है, तो इतना लंबा समय काटना उसके लिए कठिन हो जाता है। इसमें फिजिकल एक्टिविटीज न के बराबर हो पाती हैं। कई बार ज्यादा आराम भी सही नहीं होता है। वहीं कई बार महिलाएं इसे इस तरह लेती हैं कि उन्हें बिस्तर से उठते हुए भी डर लगता है। इसलिए किसी भी गर्भवती महिला और उसके परिवार के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि प्रेगनेंसी में बेडरेस्ट (dos and don’ts pregnancy bed rest) के दौरान गर्भवती महिला को क्या करना है और क्या नहीं।
गर्भावस्था अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण समय होता है। उस पर जब आपको बेड रेस्ट की सलाह दे दी जाए तो यह और भी कठिन लगने लगता है। कोई काम न करने और अकेले चुपचाप लेटे रहने पर तनाव होना लाजिमी है। इसलिए मेंटल हेल्थ प्रभावित होने की आशंका भी बेडरेस्ट के दौरान बनी रहती है। ऐसी स्थिति में महिला को अपना दोहरा ख्याल रखना पड़ता है। बेडरेस्ट के दौरान महिलाएं अपना ख्याल कैसे (take care yourself in pregnancy bed rest) रखें, इसके लिए हमने बात की सीनियर जनरल फिजिशियन डॉ. गुरविंदर सिंह सोढ़ी से।
डॉ. गुरविंदर बताते हैं, ‘प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज और नॉर्मल एक्टिविटी को सही माना जाता है। जिन महिलाओं को समय से पहले डिलिवरी होने का जोखिम (Preterm Birth Risk) होता है, उन्हें बेड रेस्ट की सलाह दी जाती है।’
योनि और गर्भाशय को जोड़ने वाली नली सर्विक्स समय से पहले खुल जाता है। इससे प्रीमैच्योर बर्थ होने की आशंका होने लगती है। इसके अलावा, हाई ब्लड प्रेशर के कारण भी प्रेगनेंसी के दौरान दिक्कत हो सकती है। रेस्ट करने से ब्ल्ड प्रेशर कंट्रोल रहता है। यदि प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग होने लगती है, तो भी बेड रेस्ट के लिए कहा जा सकता है। कभी-कभार फिजिकल स्ट्रेस और मेंटल स्ट्रेस के कारण प्रीटर्म कॉन्ट्रैक्शन होने लगता है। यह प्रीटर्म लेबर कहलाता है। बेड रेस्ट से प्रीटर्म बर्थ को रोका जा सकता है।’
बेड पर लगातार पड़े रहने से खाली दिमाग हमेशा कुछ न कुछ भोजन की मांग करता रहता है। अगर प्रेगनेंसी के दौरान आप बेड रेस्ट कर रही हैें, तो अपने आप से पूछें कि क्या सचमुच आपको भूख लगी है या काम न रहने के कारण बाेर हो रही हैं। इसलिए कुछ न कुछ लगातार मंचिंग करती जा रही हैं। बहुत अधिक खाने से बचने के लिए अपने दिमाग को किसी एक काम में एंगेज कर सकती हैं।
सोशल साइट्स पर चैटिंग करने की बजाय कोई मजेदार किताब पढ़ने के अलावा, बुनाई, कढ़ाई, सिलाई का काम भी कर सकती हैं। आप अपने अनुभव लिख सकती हैं या कोई बढ़िया सी पेंटिंग बना सकती हैं।
बेड रेस्ट के साथ-साथ डॉक्टर ने आपको कुछ हल्के-फुल्के एक्सरसाइज जरूर बताये होंगे। इन एक्सरसाइज के माध्यम से अपने शरीर के सभी अंगों को एंगेज करें। बेड पर लेटे हुए हेमस्ट्रिंग, ग्लूट्स, क्वाड्स, लेग्स आदि पर ध्यान दें। इन सभी अंगों को 5-10 सेकेंड्स के लिए मोड़े और रिलैक्स करें। ऐसा आप दिन में 10 बार भी कर सकती हैं।
कंधों, गर्दन, कलाइयों, हाथों को भी एंगेज करने वाले हल्के-फुल्के एक्सरसाइज करें। पैरों की अंगुलियों को भी हर आधे घंटे पर हिलाती-डुलाती रहें।
हर 2 घंटे पर करवट बदलती रहें। इन सभी एक्टिविटीज से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही रहेगा और आपकी मसल्स भी मेंटेन रहेगी।
जरूरी नहीं है कि ध्यान बैठकर ही किया जाए। यदि आपको बेड रेस्ट के लिए बैठने से मना किया गया है, तो लेटे हुए किसी एक बिंदु पर ध्यान लगाएं। किसी जलती हुई मोमबत्ती या जलते दिये को लगातार 5-10 मिनट तक देखती रहें। फिर आंखें बंद कर लें। लेटे हुए अनुलोम-विलोम भी कर सकती हैं।
अगर आपको हल्के बेड रेस्ट की सलाह दी गई है, तो डॉक्टर से उन हल्की गतिविधियों के बारे में पूछें, जिन्हें आप इस दौरान कर सकती हैं।
जब आपको बेड रेस्ट की सलाह दी जाती है, तो कई बार सेक्सुअल एक्टिविटीज से भी परहेज की सलाह दी जाती है। इसलिए यह जरूरी है कि इस बारे में भी डॉक्टर से पूछने में संकोच न करें।