महिलाओं में पीरियड से संबंधित समस्याएं होना आम बात है। पीरियड के दौरान अनियमित फ्लो या लगातार फ्लो होना आम समस्या है। कुछ महिलाओं में कमर दर्द, उल्टी या मतली भी इसके कारण हो सकती है। इसकी वजह से उनका पूरा रिप्रोडक्टिव सिस्टम प्रभावित हो सकता है। हर महिला को इन समस्याओं के बारे में जानकारी रखना बेहद जरूरी है। ताकि किसी भी प्रकार की समस्या होने पर वे तुरंत निदान की ओर बढ़ सकें। महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रियंका मौर्या अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में महिलाओं में पीरियड संबंधी समस्याओं (periods related problems) के बारे में विस्तार से बता रही हैं।
डॉ. प्रियंका बताती हैं कि हॉर्मोन में गड़बड़ी की वजह से मेनस्ट्रूअल साइकिल अनियमित हो जाता है। दरअसल मेंस्ट्रुअल साइकिल की शुरुआत पिछले पीरियड के पहले दिन से हो जाती है। यह साइकिल अगले पीरियड के पहले दिन तक चलती है। मेंस्ट्रुअल साइकिल का समय हर महिला के लिए अलग-अलग हो सकता है। यह साइकिल 24 से 28 दिनों के आसपास खत्म हो जाता है। मेन्स्ट्रुअल साइकिल अनियमित होने से पीरियड और रीप्रोडक्टिव सिस्टम में कई तरह की दिक्कतें आ सकती हैं।
डॉ. प्रियंका बताती हैं, ‘हार्मोन में गड़बड़ी की वजह से यह समस्या होती है। महिलाओं के यूट्रस में हर महीने एक परत बन जाती है। पीरियड के दौरान यह ब्लीडिंग के जरिए शरीर से बाहर आती है। जब हार्मोन का स्तर बिगड़ जाता है, तो यह परत बहुत मोटी हो जाती है। इसकी वजह से पीरियड के दौरान योनि से होने वाली ब्लीडिंग प्रभावित हो जाती है। इसके कारण लगातार लंबे समय तक हैवी ब्लीडिंग होती है। कुछ महिलाएं क्लोटिंग एवं हैवी ब्लीडिंग की भी शिकायत करती हैं।’
मेट्रोरेजिया में फ्रीक्वेंट इर्रेगुलर पीरियड होते हैं। इस स्थिति में महीने में कई बार पीरियड हो जाता है। इसमें ब्लड गर्भाशय से आता है। इसमें ब्लीडिंग सामान्य अवधि तक नहीं, बल्कि असामान्य अवधि तक होती है। असामान्य रूप से लगातार ब्लीडिंग होने के कारण शरीर में कमजोरी भी हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
डॉ. प्रियंका बताती हैं, ‘एमेनोरिया में कई महीने तक महिलाओं को माहवारी आती ही नहीं है। ज्यादातर पीसीओडी (PCOD) के मामलों में यह समस्या देखी जाती है। एमेनोरिया होने पर पीरियड्स नहीं होने के साथ-साथ बाल झड़ना और सिरदर्द का भी सामना करना पड़ता है।’
4 डिस्मेनोरिया (dysmenorrhea)
डिस्मेनोरिया के कारण होने वाली समस्या को ही पीरियड क्रैम्प कहा जाता है। आमतौर पर टीन एज में जब पीरियड शुरू होता है, तो इस लक्षण की भी शुरुआत हो जाती है। इसके कारण महिलाओं को पेल्विक एरिया में बहुत दर्द होता है।
पेन आगे बढ़ते हुए शरीर के पिछले हिस्से तक जाता है। कई महिलाओं को जांघों में भी दर्द होता है। कुछ महिलाएं चक्कर आने की शिकायत करती हैं। वहीं कुछ मतली और उल्टी की भी शिकायत करती हैं।
इस स्थिति में योनि में बैड बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं। जिसकी वजह से वेजाइना से एबनॉर्मल डिस्चार्ज होता है। यह यूट्रस में इन्फ्लेमेशन के कारण होता है। इसमें कमर दर्द की समस्या होना सामान्य है। शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण भी यह हो सकता है। इसके कारण इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है। लिकोरिया की वजह से कुछ लोगों में सेक्सुअल डिजायर की कमी हो जाती है। वे इंटरकोर्स के दौरान दर्द भी महसूस कर सकती हैं।
यह महिलाओं के पीरियड साइकिल की प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें पीरियड्स होने बंद हो जाते हैं। 45-50 वर्ष की उम्र में यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है। कई महिलाओं को मेनोपॉज के दौरान हॉट फ्लेशेज (Hot Flashes) होते हैं। हार्मोन में बदलाव के कारण कुछ महिलाओं को अचानक बहुत तेज गर्मी लगने लगती है। इसमें तेज पीठ दर्द भी हो सकता है। इस दौरान महिलाओं को अपने मानसिक स्वास्थ्य का बहुत ध्यान रखना चाहिए। मेनोपॉज के बाद बहुत सारी महिलाएं लो कॉन्फिडेंस लेवल और जल्दी तनाव का अनुभव करने लगती हैं।
उपरोक्त किसी भी स्थिति में आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ताकि वे पीरियड्स से संबंधित किसी भी आसामान्य स्थिति से उबरने में आपकी मदद कर सकें। इसके लिए कुछ दवाएं भी सुझायी जा सकती हैं। पर डाॅक्टर की सलाह के बिना अपने आप किसी भी दवा का सेवन न करें।
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