महीने के वो दिन जब महिलाएं पीरियड साइकिल से होकर गुज़रती है, उन्हें कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ महिलाओं को ब्लोटिंग की समस्या होने लगती है, तो बहुत सी महिलाएं क्रैम्पस से होने वाले दर्द से होकर गुज़रती है। देखा जाए, तो हर महिला के अनुभव एक.दूसरे से जुदा होते हैं। पीरियड्स के दौरान कुछ चीजें तो बिल्कुल कॉमन हैं, जिनका ज्यादातर महिलाओं को सामना करना पड़ता है। पर कई बार हमारी गलतियों और लापरवाहियों के कारण भी माहवारी (Menstrual cycle) और ज्यादा दर्दनाक हो जाती है। जानते हैं ऐसी ही 6 गलतियों के बारे में, जिन्हें आपको पीरियड्स के दौरान करने से बचना (6 things avoid during periods) चाहिए।
इस बारे में एबीवीआईएमएस और डॉ आरएमएल अस्पताल नई दिल्ली में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अंजुम आरा का कहना है कि पेनफुल पीरियड को डिसमिनोरिया कहा जाता है। उनके मुताबिक डोमेट्रियोसिस, फाइब्रॉएड गर्भाशय, पेल्विक संक्रमण यानि पीआईडी और एसटीआई दर्दनाक पीरियड्स का कारण बनते हैं। अधिकतर एसोलेसेंस गर्ल्स को ज्यादा पीरियड पेन की शिकायत रहती है। अगर आपको महावारी के दौरान पांच दिन तक दर्द रहता है, तो डॉक्टरी जांच ज़रूर करवाएं।
अगर आप पीरियड्स में क्रैम्प्स से बचने के लिए बार बार चाय और काफी का सेवन कर रही हैं, तो ये गलत है। इससे तनाव बढ़ने के अलावा ब्लड प्रेशर और हार्ट बीट बढ़ने लगती है। इससे आप दिनभर थके हुए महसूस करने लगते हैं। इस कंडीशन से बचने के लिए आर्गेनिक टी या फिर हेल्दी जूस और शेक्स को अपने रूटीन में शामिल कर सकते हैं। कई बार कैफीन खुद पेट के निचले हिस्से में ऐंठन का कारण बन सकती है। कैफीन एक डयूरेटिक है, जो हमें डिहाइड्रेट रखने का काम करती है।
इन दिनों में हैवी ब्लीडिंग होने के चलते शरीर में कमज़ोरी महसूस होने लगती है। इन दिनों में खासतौर से उपवास करने से बचें। अपनी डाइट में पोषक तत्वों से भरपूर सुपरफूड को एड करें। इससे शरीर को विटामिन्स, मिनरल्स और कैल्शियम समेत भरपूर पोषण प्राप्त हो। इस समय में मील स्किप करने से शरीर में कई परेशानियां हो सकती है।
पीरियड्स के दौरान पेन रिसेप्टर्स ज्यादा बढ़ जाते हैं। साथ ही स्किन भी अधिक सेंसिटिव हो जाती है। इससे वैक्सिंग सेशन दर्द से भरा लगने लगता है। इन दिनों में वैक्सिंग के समय स्किन के खिंचने से दर्द महसूस होने लगती है। अगर आप वैकि्ंसग को शेंविंग से स्विच करती है, तो उससे त्वचा पर कट लगने का डर रहता है। इस समस्या से बचने के लिए उस समय वक्सिंग करवाने से बचना चाहिए।
बहुत सी लेडीज़ दिनभर में एक ही पैड का इस्तेमाल रहती है। इससे टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम का खतरा बढ़ने लगता है। साथ ही वजाइना में इचिंग और बैक्टीरिया बढ़ सकता है। इस समस्या को रोकने के लिए दिन भर में तीन बार पैड ज़रूर बदलें। करीबन 6 घंटे में पैड बदलने से आप दाग लगने की चिंता और बैड स्मैल की असुविधा से बच सकते हैं।
ज्यादा डेयरी प्रोडक्टस वाटर रिटेंशन का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा इसके अधिक सेवन से आपको एसिडिटी की समस्या होने का खतरा रहता है। पीरियड्स के दौरान लो फैट मिल्क का सेवन करें, जिससे क्रैम्प्स का खतरा नहीं रहता है। साथ ही बहुत सी महिलाओं को कास्टिपेशन की शिकायत भी रहती है।
पीरियड्स में किए जाने वाले सेक्स से शरीर में होने वाले ओरगेज्म से क्रैम्प्स से राहत मिल जाती है। वही मासिक धर्म के दौरान किए जाने वाला सेक्स कई बार आपकी मुश्किलों को बढ़ाने वाला भी हो सकता है। दरअसल, ब्लीडिंग के दौरान इंटिमेट होने से एस टी आई यानि यौन संचारित रोग का खतरा बढ़ सकता है। दरअसल, ये संक्रमण ब्लड में पाए जाते हैं। ऐसे में कण्डोम के बगैर सेक्स करना आपके लिए परेशानी का कारण बन सकता है।
इसके अलावा अत्यधिक चीनी, नमक और डीप फ्राइंग चीजों का सेवन करना भी ब्लॉटिंग, मूड स्विंगस और निर्जलीकरण का कारण सिद्ध हो सकता है।
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