हर महीने होने वाली पीरियड साइकिल (period cycle) की समाप्ति को मेनोपॉज (menopause) कहा जाता है। इस दौरान महिलाओं के शरीर में कई प्रकार के बदलाव नज़र आने लगते हैं। मेंटल हेल्थ से लेकर फिज़िकल हेल्थ तक सभी चीजें मेनोपॉज (menopause) के कारण प्रभावित होती हैं। हार्मोनल इंबैलेंस के चलते महिलाओं को अपने शरीर में कई बदलाव महसूस होते हैं। सोने और जागने से लेकर खाने पीते तक हर जगह तब्दीली आने लगती है। जानते हैं वो कौन से संकेत है जो इस ओर इशारा करते हैं कि आप अर्ली मेनोपॉज की ओर बढ़ रही हैं (signs of early menopause)।
इस बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अंजलि कुमार के अनुसार अर्ली मेनोपॉज से तात्पर्य उन महिलाओं से है, जिन्हें 40 या 50 नहीं बल्कि 35 साल की उम्र में मेनोपॉज (menopause) से होकर गुज़रना पड़ता है। रेडिएशन, कीमोथैरेपी और एंडोमीट्रियोसिस अर्ली मेनोपॉज के कारण साबित होते हैं। इस दौर से गुज़रने वाली महिलाओं जहां शारीरिक थकान का अनुभव करती है, तो वहीं मानसिक तौर पर भी परेशान रहती है। तनाव, चिड़चिड़ापन और अनिद्रा की समस्या से होकर गुज़रती हैं।
अक्सर महिलाएं जब मेनोपॉज (menopause) के दौर से गुज़रती हैं, तो उनकी कमर, पीठ और जोड़ों में दर्द की शिकायत बढ़ने लगती है। इससे हड्डियों में हर पल दर्द महसूस होता है। दरअसल हड्डियों का कमज़ोर होना भी इसका एक कारण साबित होता है। शरीर में घटने वाला एस्ट्रोजेन हार्मोन का लेवल थकान और तनाव का कारण साबित होता है।
मेनोपॉज (menopause) के नज़दीक आते ही वेजाइना में ड्राईनेस की शिकायत बढ़ जाती है। इसका असर सेक्स लाइफ पर भी दिखने लगता है। अधिकतर लोगों को पेनिट्रेटिव सेक्स के दौरान दर्द महसूस होता है। योनि में सूखापन होने से सेक्सुअल रिलेशंस में अप डाउन आने लगता है। अर्ली मेनोपॉज का ये एक प्राथामिक संकेत है
5 दिन तक रहने वाली महावारी 7 से 8 दिनों तक रहने लगती है। इसके अलावा ब्लड का हैवी फ्लो भी अर्ली मेनोपॉज (menopause) को दर्शाता है। साथ ही कुछ महिलाओं को स्पॉटिंग की समस्या से होकर गुज़रना पड़ता है।
मेनोपॉज (menopause) से पहले ही महिलाओं को लीकी ब्लैडर की समस्या से होकर गुज़रना पड़ता है। दरअसल, वे यूरिन को कंट्रोल करने में सक्षम नहीं होती है। इस समस्या को दूर करने के लिए पैल्विक फ्लोर एक्सरसाइज़ को अपने रूटीन का हिस्सा बनाएं।
वे महिलाएं जिनमें अर्ली मेनोपॉज (menopause) के साइन दिखने लगते हैं। उन्हें नाइट स्वैट होने लगता है। बार बार घबराहट महसूस होती है। कई बार ज्यादा मसालेदार खाना खाने और स्मोकिंग भी इसके मुख्य कारण साबित हो सकते हैं। हॉट फ्लैशेस से राहत पाने के लिए कॉटन के कपड़े पहनें व गर्म तासीर वाली चीजें खाने से बचें।
मौसमी फलों और सब्जियों को अपनी मील में शामिल करें। वहीं फ्राइड फूड व ज्यादा मीठा व नमकीन चीजों को खाने से बचें। इस तरह मेनोपॉज (menopause) की समस्या को नियंत्रित करना आसान रहता है।
वेटगेन से बचना ज़रूरी है। सिडेंटरी लाइफ स्टाइल अर्ली मेनोपा्ज (menopause) का कारण सिद्ध हो सकता है। इस समस्या से बाहर आने के लिए रोजाना कुछ वक्त व्यायाम के लिए निकालें।
खालीपन को अवॉइड करें अगर आप होम मेकर है, तो खाली वक्त किसी पसंदीदा एक्टिविटी में लगाएं। इससे तनाव का स्तर कम होने लगेगा। साथ ही आप मेंटली तौर पर मज़बू होती हैं।
अर्ली मेनोपॉज (menopause) के लक्षण नज़र आते ही डॉक्टरी सलाह अवश्य लें। इससे आप डॉक्टर के मार्गदर्शन में दवाओं के अलावा अन्य उपचार भी ले सकती हैं।
बार बार आने वाले पसीने से बचने के लिए सूती कपड़े ही पहनें। इससे आप खुद को तरोताज़ा महसूस करती है। ब्रीथएबल कपड़ों को ही चुनें।
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