कई महिलाओं में पीरियड को लेकर कई तरह की समस्याएं होती है उनमें से एक है, पीसीओएस यानि Polycystic Ovary Syndrome. ये एक तरह की हार्मोन समस्या है जो महिलाओं में प्यूबर्टी के समय सामने आती है। इसमें महिलाओं को पीरियड नहीं आना, काफी लंबे समय के बाद पीरियड आना, एक्ने होना, वजन बढ़ना जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक ऐसी स्थिति है जिसमें अंडाशय एण्ड्रोजन का उत्पादन अधिक होता है। ये पुरुष सेक्स हार्मोन होते है जो की कुछ मात्रा में महिलाओं में भी मौजूद होते है। पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं की ओवरी में अंड नहीं पहुंच पाता है जिसके कारण ओवरी में छोटे छोटे दाने हो जाते है जिसे सिस्ट कहते है। आमतौर पर अंडा परिपक्व होकर ओवरी में फर्टाइल होने पहुंचता है परंतु स्पर्म नहीं मिलने के कारण वो पीरियड के रूप में शरीर से बाहर निकल जाता है।
कुछ महिलाओं में ओव्यूलेट करने के लिए हार्मोन का उत्पादन नही हो पाता है। ओव्यूलेशन नहीं होने के कारण ओवरी में सिस्ट हो जाते है। ये सिस्ट एण्ड्रोजन नामक हार्मोन बनाते हैं। पीसीओएस वाली महिलाओं में अक्सर एण्ड्रोजन का उच्च स्तर होता है। यह एण्ड्रोजन एक महिला के पीरियड को प्रभावित कर सकता है। साथ ही पीसीओएस के कई लक्षण का कारण भी बनता है।
इंस्टाग्राम की लोकप्रिय मिलिनियल डॉक्टर डॉ. तान्या (dr_cuterus) ने एक पोस्ट शेयर कर बताया कि आप अपने पीसीओएस को कैसे मैनेज कर सकते हैं।
डॉ. तान्या बताती है कि आपको 8 घंटे की नींद लेनी बेहद जरूरी है ये आपके पीसीओएस में मदद कर सकता है। अगर आप किसी कारण रात में नहीं सो पा रहे है तो आप जब भी सोते है तो 8 घंटे जरूर सोएं। कई बार नींद पूरी नहीं होने की वजह से भी आपके हार्मोन डिस्टर्ब हो जाते है जिसकी वजह PCOS बन सकता है।
अगर आप ज्यादा तनाव में रहती है तो भी आप में पीसीओएस का कारण बन सकता है। कई महिलाओं में पीसीओएस के कारण भी तनाव होता है जिससे ये समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है। पीसीओएस में एक्ने, पींपल, चहरे पर बालों का बढ़ना, पीरियड मिस होने की वजह से भी कई महिलाओं में तनाव बढ़ता है खासकर यंग महिलाओं में ये तनाव और ज्यादा होता है।
रिसर्च में सामने आया है कि स्वस्थ खाने की आदतों से पीसीओएस को प्रबंधित करने में मदद मिलती है। साबुत अनाज, फल, सब्जियां, प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ और कम वसा या वसा रहित दूध, पनीर या दही खाने से आपको अपना वजन और ब्लड शुगर लेवल दोनों को प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।
हल्के व्यायाम जैसे चलना, जॉगिंग, साइकिल चलाना या तैराकी ये सभी चीजें पीसीओएस में मदद कर सकती हैं। इस प्रकार के व्यायाम से आपके शरीर में इंसुलिन बेहतर होता है, जिससे हृदय रोग और टाइप 2 मधुमेह का खतरा कम हो जाता है। दिन में 30 मिनट या उससे अधिक व्यायाम करने से वजन प्रबंधन, डिप्रेशन और एंग्जाइटी के लक्षणों के साथ-साथ पीरियड और ओव्यूलेशन को सुधारने में भी मदद मिल सकती है।
डॉ तान्या कहती है कि आपको पीसीओएस की ,वजह से बहुत ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि आप अकेली नहीं है। इस समस्या का सामना कई लड़कियां करती है और इसे दवाईयों से या दिनचर्या में बदलाव करके ठीक किया जा सकता है।