भारत में सेक्स एजुकेशन को लेकर बहुत बदलाव किए जाने की आवश्यकता है। हमारे समाज में बच्चों को सेक्स से जुड़ी जानकारी नहीं दी जाती और अंत में वे ये सब जानकारी गलत स्रोतों से हासिल करने की कोशिश करते हैं। हालांकि हम और आप पूरा सिस्टम तो नहीं बदल सकते, लेकिन हम कोशिश कर सकते हैं कि हमारे भाई-बहनों को सेक्स के बारे में कोई भी गलत जानकारी न दें। और उसकी शुरुआत उन्हें HIV-AIDS की जानकारी देने से करें।
भारत HIV के केसेस में विश्व में तीसरे नम्बर पर है, जहां 2.1 मिलियन एड्स ग्रस्त हैं।
HIV एक तरह का वायरस है जिससे होने वाली बीमारी है एड्स। AIDS यानी अक्वायर्ड इम्युनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम कोई एक बीमारी नहीं है। यह शरीर की एक स्थिति है जिसमें इम्यून सिस्टम इतना कमजोर हो जाता है कि कोई भी बीमारी व्यक्ति को आसानी से हो सकती है। अगर HIV का इलाज नहीं किया जाए तो शरीर के CD4 सेल्स खत्म हो जाते हैं, जो इम्यून सिस्टम के लिए आवश्यक होते हैं।
सेक्स के दौरान होने वाले संक्रमण में एड्स सबसे आम और सबसे खतरनाक है। और असुरक्षित सेक्स इसका सबसे बड़ा कारण है। असुरक्षित सेक्स का अर्थ है बिना कंडोम के सेक्स करना। इतना ही नहीं, एक से अधिक पार्टनर होने से भी HIV संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है। सेंटर ऑफ डिसीस कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के डेटा के अनुसार असुरक्षित सेक्स के कारण अमेरिका में हर 7 में से एक व्यक्ति HIV पोसिटिव है।
HIV वायरस वेजाइनल या ऐनल सेक्स से ही फैलता है। किस करने, ओरल सेक्स से एड्स नहीं होता है। असल में लार या थूक एड्स फैलने का माध्यम नहीं है। लेकिन अगर संक्रमित व्यक्ति के मुंह मे कोई जख्म है, मसूड़ों में खून आता है या छाले हैं तो किसिंग से भी एड्स हो सकता है।
अगर कोई व्यक्ति HIV पॉजिटिव होता है, खासकर बच्चे, तो ये सवाल उठना लाजमी है। HIV खून, सीमन और ऐनल फ्लूइड से फैलता है। ऐसे में संक्रमित खून HIV का दूसरा सबसे बड़ा कारण होता है। इन्फेक्टेड इंजेक्शन का इस्तेमाल करना, ड्रग्स, संक्रमित व्यक्ति से खून या अंग लेना और मां से शिशु में HIV आसानी से जा सकता है।
संक्रमण होने के तीन चरण हैं- पहला है एक्यूट स्टेज जो संक्रमण के शुरुआती हफ्तों में होती है। दूसरी स्टेज है क्लीनिकल लेटेंसी और तीसरी है एड्स। यदि कोई व्यक्ति पहली स्टेज में डायग्नोस हो जाता है तो जीवन काल पर बहुत प्रभाव नहीं पड़ता। नियमित दवा लेकर व्यक्ति एक सामान्य जीवन जी सकता है। लेकिन अगर एड्स हो गया तो व्यक्ति के पास 3 से 5 साल बचते हैं। एड्स की कोई वेक्सीन या इलाज उपलब्ध नहीं है।
एक समस्या जो हमारे समाज मे अक्सर देखी जाती है वह है भेदभाव। और HIV पॉजिटिव व्यक्ति को नियमित रूप से सामाजिक भेदभाव का सामना करना ही पड़ता है। यहां ये जानना जरूरी है कि छूने, साथ उठने बैठने या साथ मे खाने से एड्स नहीं फैलता। एड्स तभी फैलता है जब संक्रमित खून या सीमन आपके शरीर के अंदर प्रवेश करे। इसलिए भेदभाव से ऊपर उठे और संवेदनशील बनें।
एड्स में बारे में यह मूलभूत और आवश्यक जानकारी आपको होनी जरूरी है।