हर महिला कभी न कभी पीरियड्स में उतार-चढ़ाव जरूर देखती है। जैसे की कभी पीरियड्स में लंबा गैप तो कभी समय से पहले पीरियड आ जाना। कई बार असहनीय दर्द का अनुभव करना, हेवी ब्लीडिंग, इत्यादि। परंतु पीरियड्स के दौरान शरीर में नजर आने वाले बदलावों को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसके प्रति बरती गई छोटी सी लापरवाही आपको बड़ी परेशानी का शिकार बना सकती है। इसलिए पीरियड्स के दौरान नजर आने वाले छोटे-छोटे बदलावों के बारे में सही जानकारी रखना और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
हेल्थ कोच नेहा रंगलानी ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए पीरियड में नजर आने वाले कुछ रेड फ्लैग्स के बारे में बताया है। तो आइए जानते हैं, ऐसे कौन से रेड फ्लैग हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
प्रेगनेंसी
ब्रेस्टफीडिंग
ईटिंग डिसऑर्डर
ओवरवेट
अंडरवेट
पीसीओएस
यूरिन फाइब्रॉयड
पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज
जरुर से ज्यादा एक्सरसाइज
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कुछ महिलाओं को पीरियड्स में काफी हल्का दर्द महसूस होता है, तो कुछ को थोड़ा ज्यादा। परंतु यदि आपका दर्द पीरियड्स के पांचों दिन बना हुआ है और आपको इसे बर्दाश्त करने के लिए पेन किलर दवाइयों की जरूरत पड़ रही है। वहीं यदि यह आपके नियमित दिनचर्या को भी प्रभावित कर रहा है, तो यह एक रेड फ्लैग हो सकता है। हो सकता है आपको फाइब्रॉयड, एंडोमेट्रियोसिस इत्यादि की समस्या हो। जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर से मिलें और इसकी जांच करवाएं।
यदि आपका पीरियड फ्लो काफी ज्यादा है और 7 दिन या उससे ज्यादा बना रहता है।।तो यह चिंता का विषय हो सकता है। क्योंकि ऐसे में एनीमिया और फर्टिलिटी से जुड़ी समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में असुविधाओं से बचने के लिए समय रहते डॉक्टर से मिलकर इस पर सलाह लेना जरूरी है।
आमतौर पर 21 दिन से पहले और 35 दिन के बाद पीरियड्स आए तो इसे इरेगुलर पीरियड मानते हैं। यदि आपके पीरियड भी अनियमित हैं तो यह एक सबसे बड़ा रेड फ्लैग है। अनियमित पीरियड के कई कारण हो सकते हैं, जैसे की प्रेगनेंसी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन, एक्सट्रीम वेट, बर्थ कंट्रोल पिल्स, इत्यादि। ऐसे में सबसे जरूरी है डॉक्टर से मिलना और अपने अनियमित पीरियड के असल कारण का पता लगाना।
पीरियड्स में आने वाले ब्लड की कंसिस्टेंसी और रंगत में नजर आने वाले बदलाव भी एक रेड फ्लैग हो सकते हैं। एक्सपर्ट के अनुसार आपके खून की रंगत क्रैनबेरी की तरह लाल होनी चाहिए। इसके साथ ही जरूरत से ज्यादा खून के थक्के आना हार्मोनल डिसबैलेंस और यूटरिन फाइब्रॉयड्स की निशानी हो सकती है। वहीं अगर खून का रंग हल्का और पतला है तो शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर से मिले और उनके साथ अपनी समस्या शेयर करें।
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