इसमें कोई दोराय नहीं कि बेवजह स्पॉटिंग महिलाओं की चिंताओं को बढ़ा देती है। हल्की ब्लीडिंग और स्पॉटिंग कई गंभीर बीमारियों का कारण साबित होती है। हांलाकि, महिलाएं अपने जीवन में पीरियड्स के अलावा कई बार हल्के रक्त स्त्राव का अनुभव करती हैं। मगर बार बार पीरियड्स के बगैर होने वाली स्पॉटिंग (spotting) को लेकर सतर्क हो जाएं। शरीर में कई कारणों से होने वाले हार्मोनल बदलाव स्पॉटिंग का कारण साबित होते हैं। जानते हैं किन कारणों से पीरियड के बगैर होने लगती है स्पॉटिंग की समस्या (spotting instead of period) ।
असामान्य योनि रक्तस्राव को स्पॉटिंग (spotting) कहा जाता है, जो पीरियड साइकल के अलावा अन्य दिनों में होता है। स्पॉटिंग (spotting) बेहद हल्की होती है। जो हरे भूरे, लाल या गुलाबी रंग की होता है। ये समस्या कई बार कई दिनों तक बनी रहती है। पीसीओएस, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन, तनाव और अर्ली प्रेगनेंसी समेत कई कारणों से होने लगती है।
गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर आस्था दयाल के अनुसार एक से अधिक व्यक्ति से सेक्सुअल रिलेशनशिप बिल्ड करने से पेल्विक इंफ्लामेटरी डिजीज का खतरा बना रहता है। शरीर में इसका जोखिम बढ़ने से सिरदर्द, बुखार, पेट के निचले हिस्से में ऐंठन और ब्लीडिंग की समस्या बढ़ने लगती है। दरअसल, वेजाइना से रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स तक पहुंचने वाला संक्रमण पीरियड साइकिल न होने के बावजूद भी स्पॉटिंग की समस्या का कारण बनने लगता है। कई बार एसटीआई हिस्ट्री भी समस्या का कारण साबित होता है।
पीसीओएस (PCOS) के कारण अनियमित पीरियड्स (irregular periods) की समस्या से होकर गुज़रना पड़ता है। शरीर में एण्ड्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ने से ओव्यूलेशन में बाधा आने लगती है। साइकल में एक एग की जगह मल्टीपल फॉलिकल्स रिलीज होने लगते हैं। ऐसी स्थिति में पीरियड के दौरान ब्लीडिंग की बजाय कभी भी हल्की फुल्की स्पॉटिंग की संभावना बनी रहती हैं।
एक्सरसाइज़ के कारण विट रिडक्शन होने लगता है, जो इररेगुलर मासिक धर्म का मुख्य कारण साबित होता है। इससे शरीर में हार्मोनल इंबैलेंस होने लगता है। जो शरीर में ओव्यूलेशन को रोककर एमेनोरिया की स्थिति को पैदा करता है। इससे पीरियड साइकल अनियमित होने लगती है। जो स्वॉटिंग का कारण साबित होने लगता है।
प्रारंभिक गर्भावस्था (early pregnancy) के समय स्पॉटिंग होना सामान्य है। इसका रंग भूरा या हल्का गुलाबी रहता है। ओव्यूलेशन के लगभग 10 से 14 दिन बाद होने वाली ब्लीडिंग गर्भावस्था का संकेत है। दरअसल, फर्टिलाइज्ड एग जब यूटर्स की लाइनिंग में गहराई से डूब जाता है, तो उस वक्त स्पॅटिंग की समस्या बढ़ती हैं।
ऑफिस ऑन वुमेन्स हेल्थ के अनुसार शरीर में थायराइड हॉर्मोन की कमी भी स्पॉटिंग का कारण साबित होती है। हर आठ में से 1 महिला थायरॉइड का शिकार होती है। शरीर में हाइपोथयरोइडिस्म और हाइपरथयरोइडिस्म दोनों ही स्थितियों में स्पॉटिंग की समस्या का खतरा रहता है। इसके अलावा इनफर्टिलिटी, वेटगेन और थकान की समस्या भी बनी रहती है।
गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने से भी महिलाओं को स्पॉटिंग की समस्या से गुज़रना पड़ सकता है। इससे पीरियड्स के दौरान वेजाइना से ब्राउन डिस्चार्ज होने लगता है। इससे शरीर में मूड सि्ंवग और सिरदर्द की परेशानी भी बनी रहती है। हार्मोन इंबैलेंस इस समस्या को बढ़ाने का मुख्य कारण साबित होते हैं।
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