क्या आपके साथ भी ऐसा हुआ है कि बाहर ट्रैवल करने पर आपको समझ नहीं आता है कि यूरिनेट (Urinate) करें या नहीं, या कहीं मुझे कोई देख तो नहीं रहा है? क्योंकि हर जगह के वॉशरूम साफ नहीं होते हैं और भारत में ऐसी जगहों की कमी नहीं है, जहां वॉशरूम में लॉक ही नहीं होते। इस वजह से क्या आप भी ट्रैवल (Travelling) करते वक्त कम पानी पीती हैं, ताकि आपको पेशाब करने न जाना पड़े। अगर ऐसा है तो आप भी शाय ब्लैडर की शिकार (Shy Bladder Syndrome) हैं।
हम जानते हैं हर महिला को अपने जीवन में कई बार इस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा होगा। मगर क्या आपके साथ यह हर समय होता है? क्या आप पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करने से डरती हैं? यदि हां… तो आप भी शाय ब्लैडर सिंड्रोम (Shy Bladder Syndrome) से ग्रस्त हो सकती हैं।
शाय ब्लैडर सिंड्रोम को पैरुरिसिस (Paruresis) भी कहा जाता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को अन्य लोगों के आसपास होने पर पेशाब करना (Urinate) करना मुश्किल या असंभव लगता है। पैरुरिसिस को एक सामान्य प्रकार का सामाजिक भय माना जाता है। पैरुरिसिस (Paruresis) अक्सर पहली बार स्कूल में अनुभव किया जाता है। यह स्थिति किसी भी वर्ग के पुरुषों और महिलाओं को प्रभावित कर सकती है।
हल्के मामलों में, पैरुरिसिस एक सामयिक घटना है। उदाहरण के लिए, एक सार्वजनिक मूत्रालय में एक आदमी को लग सकता है कि जब वह अन्य पुरुषों के साथ है, तो वह पेशाब करने में असमर्थ है। गंभीर मामलों में, पैरुरिसिस वाला व्यक्ति घर पर अकेले होने पर ही पेशाब कर सकता है। इस स्थिति को ‘एविडेंट पैरुरिसिस’, ‘साइकोजेनिक यूरिनरी रिटेंशन’ और ‘पी-फोबिया’ के रूप में भी जाना जाता है।
इंटरनेशनल पैरुरिसिस एसोसिएशन (International Paruresis Association) के अनुसार अमेरिका में अनुमानित 20 मिलियन लोग ‘शाय ब्लैडर सिंड्रोम’ से प्रभावित हैं। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक यह स्थिति किसी भी उम्र में हो सकती है।
पैरुरिसिस से ग्रसित व्यक्ति को डर लगता है यदि कोई उनसे वॉशरूम जाने के बारे में बात करे या उनका मज़ाक बनाए। इसके लक्षणों में शामिल है –
शौचालय जाते समय पूर्ण गोपनीयता की आवश्यकता
अन्य लोगों के पेशाब की आवाज सुनकर शौचालय के पानी में गिरने का डर
लोगों के उनके मूत्र को सूंघने का डर
पेशाब करने की कोशिश करते समय नेगेटिव सेल्फ टॉक, उदाहरण के लिए: ‘मैं यह नहीं कर सकता। मैं कभी पेशाब नहीं करना चाहता। मैं एक बेवकूफ हूं।”
सार्वजनिक शौचालयों या अन्य लोगों के घरों में पेशाब करने में असमर्थता
मेहमानों के मौजूद होने पर घर में भी पेशाब करने में असमर्थता
शौचालय के बाहर कोई प्रतीक्षा कर रहा हो, तो घर पर पेशाब करने में असमर्थता
वॉशरूम जाने की आवश्यकता के बारे में चिंतित महसूस करना
पेशाब की आवश्यकता को कम करने के लिए पानी कम पीना
यात्रा और सामाजिक आयोजनों से बचना
पर्यावरणीय कारक, जैसे टॉयलेट का उपयोग करने के संबंध में दूसरों द्वारा प्रताड़ित किया जाना, परेशान करने या शर्मिंदा होने का इतिहास
चिंता की एक जेनेटिक प्रवृत्ति
शारीरिक कारक, जिसमें चिकित्सा स्थितियों का इतिहास शामिल है। जो पेशाब करने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं
लंबे वक्त तक पेशाब रोकने से कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसकी वजह से ब्लैडर में दर्द (Pain) हो सकता है और यूटीआई (Urinary Tract Infection) का जोखिम बढ़ सकता है। साथ ही पेलविक फ्लोर की मसल पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है और लीकेज भी हो सकती है। हर समय पेशाब रोकने से किडनी स्टोन (Kidney Stone) भी बन सकते हैं।
एक मनोवैज्ञानिक से बात करना मददगार हो सकता है। पैरुरिसिस के इलाज में कई तरीके शामिल हैं।
रिलैक्सेशन तकनीक – चिंता को कम करने में मदद करने के लिए कई तरह की रणनीतियां सीखना।
मनोचिकित्सा – एक प्रकार का परामर्श जो आपको इससे निपटने में मदद कर सके। यह समस्या को हल करना सिखाता है।
बिहेवियर थेरेपी – आपके सोचने और व्यवहार करने के तरीके को बदलना।
तो यदि आपको भी शाय ब्लैडर सिंड्रोम या पी फोबिया है तो डरें नहीं और चिकित्सीय मदद लें!
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