लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप में सेक्सुअल कंसेंट कितनी ज़रूरी है? क्या ये वाकई मायने रखती है?

लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप में यौन सहमति बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि आपके पार्टनर को कभी भी ऐसा महसूस नहीं होना चाहिए कि आपका रिश्ता सिर्फ जिस्मानी है।
महामारी के दौरान सेक्स करते वक़्त इन बातों का रखें ख्याल। चित्र : शटरस्‍टॉक
महामारी के दौरान सेक्स करते वक़्त इन बातों का रखें ख्याल। चित्र : शटरस्‍टॉक
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2019 में, ‘बॉलीवुड फिल्म पति, पत्नी और वो’, एक विशेष संवाद के कारण विवादों में घिर गई, जहां कार्तिक आर्यन एक दोस्त से कहता है कि- “वह अपनी पत्नी से सेक्स के लिए नहीं कह सकता, न ही वह उसे इसके लिए मना सकता है और न ही वह इनकार कर सकता है, क्योंकि इन सभी को समाज द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है।”

इस संवाद को कुछ लोगों द्वारा हास्य के रूप में देखा गया, लेकिन दुर्भाग्य से, जब आप किसी के साथ रिलेशनशिप में होते हैं, तो लोग ये मान लेते हैं कि आपकी सहमति हर स्तर पर होगी। खैर, ऐसा सोचना बहुत गलत है!

यह ‘सहमति’ शब्द की एक Myopic समझ के कारण होता है, जहां परिभाषा को बहुत शाब्दिक रूप में लिया जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो सहमति दो लोगों के बीच एक स्वैच्छिक समझौता है। ऐसा देखा गया है कि एक रिश्ते को भी इसी आधार पर परिभाषित किया जाता है। इस परिभाषा से यह अनुमान लगाना आसान हो जाता है कि दीर्घकालिक संबंध में सहमति निहित है।

सोशल मीडिया और कुछ ऑनलाइन अभियानों का धन्यवाद, जिन्‍होंने हमारी शब्दावली और स्वस्थ संबंधों की समझ में कई गुना वृद्धि हुई है। आज लोगों ने यह माना है कि लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप में कंसेंट एक ज़रूरी मुद्दा है। कोई भी स्वस्थ संबंध परस्पर सम्मान और प्रेम के सिद्धांत पर आधारित होता है। ऐसा मान लेना कि दीर्घकालिक संबंध का मतलब हर समय सहमति है, तो यह सिद्धांतों का उल्लंघन है।

रिश्‍ता निभाना एक आर्ट है और ये आप जानती हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
रिश्‍ता निभाना एक आर्ट है और ये आप जानती हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

एक स्वस्थ लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप में दोनों साथी एक दूसरे की सहमति को महत्ता देते हैं, क्योंकि रिश्ता हमेशा बराबरी का होना चाहिए।

सहमति से उपजती है विचारों की स्वतंत्रता

हमने ऐसा अक्सर सुना है कि एक स्वस्थ रिश्ते का आधार विचारों की स्वतंत्रता है। एक रिश्ता किसी भी पार्टनरशिप से कम नहीं होता है और दोनों लोगों की समान भागीदारी से चलता है। आप चाहें तो भी अपने साथी के लिए निर्णय नहीं ले सकते। क्योंकि इससे उनके मन में अलगाव की भावना पैदा हो सकती है और अंततः रिश्ता टूट भी सकता है।

हम सभी चाहते हैं कि हमारा साथी हमारी कद्र करें और हम जो कहते हैं उसे ध्यान से सुनें। यह ‘सहमति’ के संदर्भ में और भी महत्वपूर्ण है। यदि आप अपने साथी के ‘नहीं’ को नज़रअंदाज़ करते हैं, तो यह उन्हें विश्वास दिलाएगा कि आप इस बात की परवाह नहीं करते हैं कि वे क्या चाहते हैं। जल्दी ही, यह जीवन के अन्य क्षेत्रों तक विस्तारित होगा और इससे पहले कि आप इसे समझ पायें, आप उनसे दूर हो जाएंगे।

कोई भी अपने साथी के साथ असुरक्षित महसूस नहीं करना चाहता

हम सभी किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहना चाहते हैं जिसके साथ हम सुरक्षित महसूस करें, जिसे हम अपनी कमियां भी दिखा सकें। एक ऐसा रिश्ता जिसमें सहमति न हो, आपको असुरक्षित महसूस करने पर मजबूर कर सकता है। जब अनुरोध मांगों में बदल जाए और सामने वाला आप पर हावी होने लगे तो समझ लीजिये रिश्ते का अंत नज़दीक है।

अपने पार्टनर से कंसेंट न लेना, न सिर्फ उन्हें आपके आसपास असुरक्षित महसूस करवाएगा, बल्कि आपके लिए उनके प्रति सम्मान और प्यार को भी कम करेगा।

एक अच्‍छे रिश्‍ते में एक-दूसरे की पसंद-नापसंद का सम्‍मान होना चाहिए। चित्र: शटरस्‍टॉक
एक अच्‍छे रिश्‍ते में एक-दूसरे की पसंद-नापसंद का सम्‍मान होना चाहिए। चित्र: शटरस्‍टॉक

हम सिर्फ सेक्स की बात नहीं कर रहें है

आम तौर पर लोग समझते हैं कि लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप में सब कुछ जायज़ होता है। ऐसी स्थिति में, कंसेंट के बारे में बोलना और पारस्परिक निष्कर्ष पर आना सबसे अच्छा है। लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप की बात करें, तो सहमति एक आधारशिला है। जो तय करेगी कि आपका रिश्ता कितना आगे जाएगा और यह निश्चित रूप से सेक्स के बारे में नहीं है।

आपको अपने साथी को कम्फर्टेेबल महसूस कराने के लिए हर चीज़ पर ध्यान देने की ज़रूरत है। जिसमें बातचीत करने से लेकर, उनके लिए कितने ड्रिंक्स आर्डर करने है, सबका ध्यान रखना ज़रूरी है। ऐसा न करने पर असंतोष पैदा होगा, जिसका दीर्घकालिक संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

एक स्वस्थ रिश्ता प्यार पर आधारित होता है, नियंत्रण पर नहीं

यदि आपको लगता है कि आप अपने साथी और दोस्तों के सामने अपने पार्टनर के साथ कुछ भी कर सकते हैं, तो आप उन्हें कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे हैं। एक रिश्ता, अपनी शक्ति का प्रदर्शन नहीं है। ज्यादातर लोग एक रिश्ते में इसलिए आ जाते हैं क्योंकि वे एक-दूसरे से प्यार करते हैं। लेकिन, जब आपका साथी आपको किसी वस्तु की तरह महसूस करने लगता है, तो इसका आपके रिश्ते पर प्रतिकूल प्रभाव होगा।

इसलिए, अपने साथी से ’नहीं’ सुनना कोई अपमानजनक बात नहीं है, बल्कि ये उनकी निजता का सम्मान करना है।

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