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सेक्स पर बात नहीं करना चाहते, पर सेक्स करना चाहते हैं, अजीब हैं सेक्स के ये 6 टैबू

सर्वेक्षण में 90 फीसदी छात्र-छात्राओं ने सेक्स एजुकेशन की जरूरत पर सहमति जताई। जबकि पेरेंट्स इसके खिलाफ खड़े रहे। अजीब है न, कामसूत्र और अजंता-एलोरा जैसी अद्भुत कलाकृतियों के देश में सेक्स पर बात करना अपराध जैसा है।
Updated On: 21 May 2023, 02:16 pm IST
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bharat me sex education ko lekar smaj men taboo hai
सेक्स भारतीय संस्कृति के खिलाफ है। जबकि भारत सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। चित्र : अडोबी स्टॉक

सेक्सुअल वेल बीइंग में रिलेशन, सेक्सुअलिटी और रिलैक्सेशन के लिए शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक पहलुओं को भी शामिल किया जाता है। शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य की तरह यौन स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए। कई सौ साल पहले भारत में यौन स्वास्थ्य के लिए ही लेखक ने कामसूत्र किताब लिखी थी। कलाओं में भी सेक्स पोज को स्थान दिया गया। वर्तमान समय में भारत में सेक्स को एक टैबू मान लिया गया। इस पर स्वस्थ बातचीत बंद कर दी गई। यहां एक्सपर्ट बता रही हैं कि यौन स्वास्थ्य (Sexual health) पर बात नहीं करना भारतीय समाज की विडंबना (irony of Indian society) है। आइये जानते हैं कि भारत में सेक्स (Sex taboos) को लेकर किन विषयों पर बातचीत करना निषिद्ध माना जाता है।

भारतीय समाज में सेक्स से जुड़े ये 6 टैबू हैं बहुत अजीब (Sex taboos)

1 सेक्स भारतीय संस्कृति के खिलाफ (Sex is against Indian culture)

सेक्स एजुकेटर लिजा मंगलदास अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में बताती हैं, सेक्स भारतीय संस्कृति के खिलाफ है। जबकि भारत सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। यहां सेक्स शब्द वर्जित माना जाता है। यह बलात्कार का देश भी कहा जाता है। एशिया में सबसे अधिक सेक्स वर्कर यही हैं। यह भारतीय समाज की विडंबना ही है।

2 कंडोम इस्तेमाल करने के प्रति उदासीनता (reluctance to use condoms)

लिजा मंगलदास द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों की मानें, तो भारत में सेक्सुअल हेल्थ के लिए जरूरी कंडोम को भी टैबू माना जाता है। 10 प्रतिशत से भी कम भारतीय कंडोम इस्तेमाल करते हैं। हालांकि भारत में कानूनी रूप से किसी भी उम्र में कंडोम खरीदने की अनुमति है। इसके लिए माता-पिता की सहमति या डॉक्टर के प्रेस्क्रिपशन की जरूरत नहीं पड़ती है। फिर भी लोग इसे खरीदने और इस्तेमाल करने से झिझकते हैं। जबकि कुछ लोंगों को यह असुविधाजनक लगता है।

भारत में सेक्सुअल हेल्थ के लिए जरूरी कंडोम को भी टैबू माना जाता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

3 सेक्स एजुकेशन की मनाही (Prohibition of sex education)

कई स्कूल, पेरेंट्स, पाॅलिसी मेकर आज भी सेक्स एजुकेशन के खिलाफ हैं। मुंबई में किये गये सर्वे के अनुसार 90 प्रतिशत से अधिक बच्चे चाहते हैं कि स्कूलों में सेक्स एजुकेशन हो। पर भारत में यौन शिक्षा के प्रति माता-पिता और समाज का नकारात्मक रवैया होता है। यही वजह है कि स्कूल में बच्चे सेक्स और पीरियड हाइजीन के बारे में जान नहीं पाते हैं। स्कूल कॉलेज में सेक्स एजुकेशन को लागू करना मुश्किल होता है।

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4 शादी से पहले सेक्स खराब है (sex before marriage is bad)

शादी से पहले सेक्स को सही नहीं माना जाता है। आज भी कई स्थानों पर महिलाओं की वर्जिनिटी चेक की जाती है। यह विडम्बना ही है कि शरीर का जरूरी हिस्सा होने के बावजूद सेक्स को बुरा माना जाता है। हालांकि दूसरी तरफ शादी के बाद महिलाओं पर दवाब बनाया जाता है। वे जितनी जल्दी हो सके बच्चे पैदा कर दें। इसके साथ एक और सामजिक विडम्बना जुड़ी हुई है कि मेरिटल रेप को लीगल माना जाता है

5 शादी से पहले एबॉर्शन सही नहीं माना जाता (Abortion is not considered right)

शादी से पहले सेक्स हो या शादी से पहले एबॉर्शन कराने की बात, दोनों को भारतीय समाज मान्यता (Sex taboos) नहीं देता है। लिजा के अनुसार, शादी से पहले आपको यह शो ऑफ़ करना पड़ता है कि आप सेक्स के बारे में कुछ नहीं जानती हैं। शादी से पहले एबोरशन को भी रेस्ट्रिक्ट किया गया है

शादी से पहले सेक्स हो या शादी से पहले एबॉर्शन कराने की बात, दोनों को भारतीय समाज मान्यता नहीं देता है।चित्र : एडोबी स्टॉक

6 पीरियड ब्लड को अस्वच्छ माना जाता है (periods are considered unclean)

मासिक धर्म या मेंसट्रूअल साइकिल से संबंधित भी सामाजिक वर्जना है। कुछ स्थान पर मासिक धर्म को अस्वच्छ या शर्मनाक माना जाता है। यहां तक कि सार्वजनिक रूप से या निजी तौर पर दोस्तों के साथ मिलने-जुलने, घर के पुरुषों के साथ बातचीत करने, घर के काम काज को करने से भी मना किया जाता है। यदि पीरियड क्रेम्प्स की वजह से महिलाओं को आराम करने कहा जाता है, तो ठीक है। लेकिन अस्वच्छता और छुआछूत की वजह से काम करने से मना किया जाता है, तो यह इंडियन सोसाइटी की आयरनी ही है। बातचीत करने से तो नहीं रोका जाये।

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डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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