सेक्सुअल वेल बीइंग में रिलेशन, सेक्सुअलिटी और रिलैक्सेशन के लिए शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक पहलुओं को भी शामिल किया जाता है। शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य की तरह यौन स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए। कई सौ साल पहले भारत में यौन स्वास्थ्य के लिए ही लेखक ने कामसूत्र किताब लिखी थी। कलाओं में भी सेक्स पोज को स्थान दिया गया। वर्तमान समय में भारत में सेक्स को एक टैबू मान लिया गया। इस पर स्वस्थ बातचीत बंद कर दी गई। यहां एक्सपर्ट बता रही हैं कि यौन स्वास्थ्य (Sexual health) पर बात नहीं करना भारतीय समाज की विडंबना (irony of Indian society) है। आइये जानते हैं कि भारत में सेक्स (Sex taboos) को लेकर किन विषयों पर बातचीत करना निषिद्ध माना जाता है।
सेक्स एजुकेटर लिजा मंगलदास अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में बताती हैं, सेक्स भारतीय संस्कृति के खिलाफ है। जबकि भारत सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। यहां सेक्स शब्द वर्जित माना जाता है। यह बलात्कार का देश भी कहा जाता है। एशिया में सबसे अधिक सेक्स वर्कर यही हैं। यह भारतीय समाज की विडंबना ही है।
लिजा मंगलदास द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों की मानें, तो भारत में सेक्सुअल हेल्थ के लिए जरूरी कंडोम को भी टैबू माना जाता है। 10 प्रतिशत से भी कम भारतीय कंडोम इस्तेमाल करते हैं। हालांकि भारत में कानूनी रूप से किसी भी उम्र में कंडोम खरीदने की अनुमति है। इसके लिए माता-पिता की सहमति या डॉक्टर के प्रेस्क्रिपशन की जरूरत नहीं पड़ती है। फिर भी लोग इसे खरीदने और इस्तेमाल करने से झिझकते हैं। जबकि कुछ लोंगों को यह असुविधाजनक लगता है।
कई स्कूल, पेरेंट्स, पाॅलिसी मेकर आज भी सेक्स एजुकेशन के खिलाफ हैं। मुंबई में किये गये सर्वे के अनुसार 90 प्रतिशत से अधिक बच्चे चाहते हैं कि स्कूलों में सेक्स एजुकेशन हो। पर भारत में यौन शिक्षा के प्रति माता-पिता और समाज का नकारात्मक रवैया होता है। यही वजह है कि स्कूल में बच्चे सेक्स और पीरियड हाइजीन के बारे में जान नहीं पाते हैं। स्कूल कॉलेज में सेक्स एजुकेशन को लागू करना मुश्किल होता है।
शादी से पहले सेक्स को सही नहीं माना जाता है। आज भी कई स्थानों पर महिलाओं की वर्जिनिटी चेक की जाती है। यह विडम्बना ही है कि शरीर का जरूरी हिस्सा होने के बावजूद सेक्स को बुरा माना जाता है। हालांकि दूसरी तरफ शादी के बाद महिलाओं पर दवाब बनाया जाता है। वे जितनी जल्दी हो सके बच्चे पैदा कर दें। इसके साथ एक और सामजिक विडम्बना जुड़ी हुई है कि मेरिटल रेप को लीगल माना जाता है।
शादी से पहले सेक्स हो या शादी से पहले एबॉर्शन कराने की बात, दोनों को भारतीय समाज मान्यता (Sex taboos) नहीं देता है। लिजा के अनुसार, शादी से पहले आपको यह शो ऑफ़ करना पड़ता है कि आप सेक्स के बारे में कुछ नहीं जानती हैं। शादी से पहले एबोरशन को भी रेस्ट्रिक्ट किया गया है।
मासिक धर्म या मेंसट्रूअल साइकिल से संबंधित भी सामाजिक वर्जना है। कुछ स्थान पर मासिक धर्म को अस्वच्छ या शर्मनाक माना जाता है। यहां तक कि सार्वजनिक रूप से या निजी तौर पर दोस्तों के साथ मिलने-जुलने, घर के पुरुषों के साथ बातचीत करने, घर के काम काज को करने से भी मना किया जाता है। यदि पीरियड क्रेम्प्स की वजह से महिलाओं को आराम करने कहा जाता है, तो ठीक है। लेकिन अस्वच्छता और छुआछूत की वजह से काम करने से मना किया जाता है, तो यह इंडियन सोसाइटी की आयरनी ही है। बातचीत करने से तो नहीं रोका जाये।
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