हर एक महिला अपने जीवन में 40 से 50 की उम्र के बीच मेनोपॉज का अनुभव करती है। मेनोपॉज के पहले की स्थति को प्रीमेनोपॉज या पेरिमेनोपॉज कहा जाता है। प्रीमेनोपॉज की अवधि कितनी लंबी होगी यह व्यक्तिगत रूप से हर महिला के लिए अलग हो सकती है। कुछ महिलाएं एक साल, तो कुछ दो से तीन साल तक भी प्रीमेनोपॉज का अनुभव करती हैं। इस दौरान शरीर में एस्ट्रोजेन का गिरता स्तर बॉडी हीट प्रोड्यूस करता है। जिसकी वजह से हॉट फ्लैशेज यानि की शरीर में अचानक से बहुत ज्यादा गर्मी का अनुभव होने लगता है। इसकी वजह से अधिक पसीना आता है और काफी ज्यादा बेचैनी होती है।
गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है, ऐसे में बढ़ता तापमान लोगों की परेशानियों को भी बढ़ा रहा है। समर सीजन में प्रीमेनोपॉज से गुजर रही महिलाओं को विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। उनका शरीर पहले से काफी हीट प्रोड्यूस कर रहा होता है। ऐसे में बढ़ती गर्मी उनके लिए परेशानियां खड़ी कर सकती हैं।
इस बात हो ध्यान में रखते हुए आज हेल्थ शॉट्स आपके लिए लेकर आया है कुछ ऐसे टिप्स जो गर्मी में प्रीमेनोपॉज के लक्षण जैसे की हॉट फ्लैशेज को मैनेज करने में आपकी मदद करेंगे (how to deal with hot flashes in summer)।
प्रीमेनोपॉज या पेरिमेनोपॉज मेनोपॉज के पहले की स्थिति को कहते हैं। इस दौरान महिलाओं के शरीर से एस्ट्रोजेन का स्तर गिरना शुरू हो जाता है। एस्ट्रोजेन महिलाओं के शरीर में मौजूद एक महत्वपूर्ण हॉर्मोन है। प्रीमेनोपॉज की स्थिति मेनोपॉज के लगभग 2 साल पहले से नजर आने लगते हैं।
इस स्थिति में पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं, साथ ही ठीक मेनोपॉज के लक्षण जैसे हॉट फ्लैशेज, बॉडी हीट, नाईट स्वेट, त्वचा से जुडी समस्याएं, इत्यादि का सामना करना पड़ता है। जब पूरे 12 महीने के लिए आपकाे पीरियड्स न आएं, तो इसका अर्थ है कि मेनोपॉज की शुरूआत हो गई है।
अनियमित पीरियड्स या पीरियड्स का स्किप होना।
पीरियड्स के दौरान अधिक या हल्का ब्लड फ्लो।
हॉट फ्लैशेज (अचानक से बहुत तेज गर्मी का एहसास होना।)
सेक्स के दौरान योनि में सूखापन और जलन का अनुभव।
अधिक बार पेशाब करने की आवश्यकता।
नींद की समस्या (अनिद्रा)।
मूड में बदलाव जैसे चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन या मूड स्विंग्स।
स्मोकिंग और सेकंड हैंड स्मोक, टाइट और सिंथेटिक कपड़ें, सोते वक्त भारी ब्लैंकेट और सिंथेटिक बेडशीट का इस्तेमाल, अधिक तीखा और मसालेदार भोजन, शराब और कैफीन का अधिक सेवन न करें, गर्म कमरा और वातावरण में वक्त बिताना और अधिक तनाव वाले माहौल में रहना। यदि हॉट फ्लैशेस से परेशान रहती हैं, तो इन ट्रिगर्स पर ध्यान दें और जितना हो सके इनसे बचें।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर सीके बिरला हॉस्पिटल गुरुग्राम की ऑब्सटेट्रिक्स और गाइनेकोलॉजिस्ट आस्था दयाल से बातचीत की। डॉक्टर ने प्रीमेनोपॉज के दौरान हॉट फलैशेज को अवॉइड करने के लिए कुछ जरुरी टिप्स सुझाये हैं। तो चलिए जानते हैं इस बारे में थोड़ा और विस्तार से।
यदि आपको अचानक से गर्मी लगने लगती है, तो एयर कंडीशन का इस्तेमाल न करें। अपने दिमाग को शांत रखते हुए रूम टेम्प्रेचर को समान्य रहने दें। पंखे के नीचे बैठकर खुदके ऊपर ठंडे पानी का फुहारा दें। अचानक एसी में जाने से आपको तेज ठंड लग सकती है, यह भी हॉट फ्लैशेज का एक लक्षण है।
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यदि आप प्रीमेनोपॉज की स्थिति में हैं, तो हमेशा सोते वक्त कॉटन के हल्के कपड़े पहनें। साथ ही कॉटन की पतली बेडशीट का इस्तेमाल करें। अपने बेड पर नीचे एक से दो पतले लेयर बिछाएं क्युकी मोटा कंफर्टर अधिक हिट प्रोड्यूस करता है।
समर सीजन में आमतौर पर स्वस्थ रहने के लिए शरीर को हाइड्रेटेड रखने की सलाह दी जाती है। वहीं यदि आप प्रीमेनोपॉज की स्थिति से गुजर रही हैं, तो ऐसे में खुदको हाइड्रेटेड रखना सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है। हमेशा अपने साथ ठंडे पानी का एक बॉटल रखें, साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी पियें और हाइड्रेटेड रहें। यह आपके शरीर को अंदर से ठंडक प्रदान करता है और बॉडी हैलट को रिड्यूस करता है।
यदि आप प्रीमेनोपॉज की स्थिति में हैं और हॉट फ्लैशेस से परेशान रहती हैं, तो आपको पालक, ब्रोकली, तरबूज, खीरा, योगर्ट, सेब, केला, ग्रीन टी इत्यादि को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। इन सभी फूड्स की कूलिंग प्रॉपर्टी शरीर को उचित ठंडक प्रदान करते हुए बॉडी हीट को रिड्यूस करती हैं। पोषक तत्वों से भरपूर इन कूलिंग फूड्स में डिजीज फाइटिंग केमिकल्स भी पाए जाते हैं।
एंटीऑक्सीडेंट से युक्त फल और सब्जी का सेवन हॉट फ्लैशेस की स्थिति में कारगर होते हैं। शिमला मिर्च, ब्रोकली, पालक जैसे हरी सब्जियों के साथ कुछ फल जैसे कि गाजर, चुकंदर, एवोकाडो, आम, स्वीट पोटैटो, पत्ता गोभी, चेरी और बेरी में भी भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है। यह सभी फूड्स हॉट फ्लैशेज को मैनेज करने में आपकी मदद करेंगे।
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