पीरियड्स हर महिला के लिए के एक महत्वपूर्ण और कठिन समय होता है। कुछ महिलाओं को इस दौरान हैवी ब्लीडिंग होती है तो कुछ को तेज़ दर्द। कुछ बहुत चिड़चिड़ा महसूस करती हैं तो कुछ इतनी बीमार हो जाती हैं कि उनकी पूरी दिनचर्या खराब हो जाती है। जैसे कि पीरियड्स से एक – दो दिन पहले या पीरियड के दौरान आप इतनी बीमार हो जाती हैं कि आपका सर भारी होने लगता है, हल्का शरीर भी गर्म हो जाता है, इतनी कमजोरी आ जाती है कि कुछ काम नहीं कर पाती आदि। तो क्या आपके साथ भी ऐसा ही कुछ होता है? यदि हां… तो आप अकेली नहीं हैं क्योंकि कई महिलाओं के साथ यह होता है और इसे पीरियड फ्लू कहा जाता है।
“पीरियड फ्लू” एक क्लीनिकल टर्म नहीं है। मगर यह पीरियड् में फ्लू जैसे लक्षणों को संदर्भित करता है, जिसका कुछ महिलाएं पीरियड के कुछ दिन पहले अनुभव करती हैं। पीरियड फ्लू की वजह से कुछ महिलाओं को ऐसा लग सकता है जैसे कि उन्हें फ्लू हो गया है, क्योंकि इसके लक्षण बिल्कुल फ्लू जैसे होते हैं। ये पीएमएस (Premenstrual Syndrome) का ही एक रूप है।
पीरियड फ्लू कोई, इन्फ्लुएंजा नहीं है, जिसे आमतौर पर फ्लू के नाम से जाना जाता है। इसके बजाय, यह एक शब्द है जिसका उपयोग लोग उन लक्षणों का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जिसका महिलाएं पीरियड से ठीक पहले अनुभव करती हैं।
जी मिचलाना
चक्कर आना
मांसपेशियों के दर्द
मुश्किल से फोकस कर पाना
जोड़ों का दर्द
कब्ज
दस्त
थकान
सिर दर्द
पीठ दर्द
सूजन
ऐंठन
बुखार या ठंड लगना
ओव्यूलेशन के बाद महिलाएं आमतौर पर पीरियड फ्लू के लक्षणों का अनुभव करती हैं, जब एस्ट्रोजन का स्तर गिरता है और प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ता है।
जर्नल टेम्परेचर में 2016 में प्रकाशित एक अध्ययन में यह पाया गया है कि प्रोस्टाग्लैंडिंस हाइपोथैलेमस में न्यूरॉन्स को प्रभावित कर सकते हैं। यह आपके मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो आपके शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। ओव्यूलेशन होने पर आपके शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है।
यदि आपको ऐसा महसूस होता है तो आपको यह समझने की ज़रूरत है कि यह कोई डिजीज नहीं है, और न ही इसका कोई खास इलाज है। हां… आप इसे कंट्रोल ज़रूर कर सकती हैं। मगर पीरियड फ्लू की सटीक वजह का अभी तक पता नहीं चल पाया है।
यदि आपको भीपीरियड फ्लू का अनुभव होता है तो आप अपना ख्याल कैसे रख सकती हैं?
ब्लड शुगर कंट्रोल में रखने के लिए छोटे – छोटे भोजन करें।
साबुत अनाज वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जैसे कि साबुत अनाज की ब्रेड, ब्राउन राइस और बीन्स
कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ लें जैसे दही और हरी पत्तेदार सब्जियां आदि
बहुत सारे पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड जैसे मछली, नट्स और फ्लैक्ससीड्स आदि का सेवन करें
इसके अलावा – वसा, चीनी और नमक कम खाएं। साथ ही, शराब, कैफीन और तंबाकू से परहेज करें।
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