कैंसर के कारण शरीर में कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। किसी भी कैंसर का नाम हमेशा शरीर के उस हिस्से के नाम पर रखा जाता है जहां यह शुरू होता है। भले ही यह बाद में शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाए। जब कैंसर गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विक्स में शुरू होता है, तो इसे सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है। यदि शुरुआती दौर में इसका पता चल जाये, तो इसका उपचार सम्भव है। सर्वाइकल कैंसर की पहचान के लिए पैप स्मीयर टेस्ट जरूरी है। ज्यादातर महिलाएं इस टेस्ट से डरती हैं। वे इस टेस्ट के जटिल होने और योनि में तेज दर्द का कारण मानती हैं। आइये विशेषज्ञ से जानते हैं पैप स्मीयर टेस्ट (Pap Smear Test) के बारे में कुछ जरूरी बातें।
गर्भाशय ग्रीवा या सर्विक्स बर्थ कैनाल को गर्भाशय के ऊपरी भाग से जोड़ती है। गर्भाशय में गर्भावस्था के दौरान बच्चा बढ़ता है। यह अक्सर 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में होता है। ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के कुछ प्रकार के साथ लंबे समय तक चलने वाला संक्रमण सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण है। एचपीवी एक आम वायरस है, जो सेक्स के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। यौन रूप से सक्रिय कम से कम आधे लोगों को अपने जीवन में कभी न कभी एचपीवी संक्रमण होता है। लेकिन इनमें से कुछ लोगों को ही सर्वाइकल कैंसर (pap smear test) होता है।
स्क्रीनिंग परीक्षण और एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर को रोकने में मदद कर सकते हैं। जब सर्वाइकल कैंसर का जल्दी पता चल जाता है, तो इसका इलाज संभव हो सकता है। यह लंबे समय तक जीवित रहने और लोंगीविटी बढ़ाने से जुड़ा होता है। पैप स्मीयर टेस्ट सभी महिलाओं के लिए जरूरी है।
पैप स्मीयर टेस्ट महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का परीक्षण करने की एक प्रक्रिया है। इसमें सर्विक्स से कोशिकाओं को इकट्ठा किया जाता है। यह गर्भाशय के निचला और संकड़ा सिरा है, जो योनि के पर होता है। पैप स्मीयर से सर्वाइकल कैंसर का जल्दी पता लगाने से इलाज अच्छी तरह हो पाता है। पैप स्मीयर सर्विक्स सेल में परिवर्तन का भी पता लगा सकता है, जो भविष्य में कैंसर विकसित होने का संकेत देता है। इससे कैंसर के संभावित विकास को रोका जा सकता है। परीक्षण गर्भाशय ग्रीवा में असामान्य कोशिकाओं की जांच करता है, जो कैंसरग्रस्त हैं या जिनके कैंसरग्रस्त होने की संभावना है।
यह असुविधाजनक लग सकता है। सही तरीके से किए जाने पर परीक्षण से योनि को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। जब स्पेक्युलम योनि को खोलता है, तो पेट या योनि में दबाव महसूस हो सकता है। जब कोशिकाओं को ब्रश या स्पैटुला से हटाया जा रहा होता है, तो चुभन के रूप में हल्की असुविधा भी महसूस हो सकती है।
21 से 29 वर्ष की महिलाओं को हर 3 साल में पैप टेस्ट कराना चाहिए। 25 से 29 वर्ष की महिलाओं के लिए एचपीवी परीक्षण पर भी विचार किया जा सकता है, लेकिन पैप टेस्ट को प्राथमिकता दी जाती है। 30 से 65 वर्ष की महिलाओं के पास परीक्षण के लिए 3 विकल्प हैं। वे हर 5 साल में पैप परीक्षण, एचपीवी टेस्ट और दोनों करा सकती हैं।
पैप स्मीयर के बाद हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग (pap smear test) होना आम बात है। पैप स्मीयर के दौरान हेल्थकेयर प्रोफेशनल सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए सर्वाइकल कोशिकाओं का एक छोटा सा नमूना लेते हैं। गर्भाशय ग्रीवा से कोशिकाओं को जमा करने से हल्का रक्तस्राव या स्पॉटिंग हो सकती है। यह 1-2 दिनों तक रह सकती है।
निगेटिव परिणाम (pap smear test) का मतलब है कि सरविक्स पर कोई कोशिका परिवर्तन नहीं पाया गया। यह अच्छी बात होती है। इसका मतलब है कि महिला स्वस्थ है।लेकिन उसे भविष्य में पैप टेस्ट कराने की जरूरत पड़ेगी। क्योंकि सर्विक्स की कोशिका पर परिवर्तन हो सकते हैं।
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