हैवी पीरियड्स (Heavy Periods) को मेनोरेजिया (menorrhagia) भी कहा जाता है। यदि आपका पीरियड साइकल 7 दिनों से अधिक अवधि तक चल रहा है या इस दौरान काफी गाढ़े और ज्यादा खून के थक्के गिर रहे हैं, तो यह हैवी पीरियड्स के संकेत हैं। आम पीरियड्स के मुकाबले इस दौरान आपको अधिक थकान और परेशानी महसूस होती है। रक्त का बहाव तेज होने के कारण (heavy bleeding in periods) कई बार एनीमिया के लक्षण भी नजर आने लगते हैं। इसलिए इस स्थिति को हरगिज इग्नोर न करें, क्योंकि ये किसी अंतर्निहित समस्या का संकेत हो सकता है।
आजकल बहुत सी महिलाओं में हैवी पीरियड्स की शिकायत देखने को मिल रही है। यह समस्या सेहत को नुकसान पहुंचाने के साथ ही नियमित दिनचर्या को भी बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए आपको इस समस्या से जुडी सभी अहम जानकारी होना जरुरी है।
मैत्री वुमन की संस्थापक, सीनियर कंसलटेंट गायनोकोलॉजिस्ट और ऑब्सटेट्रिशियन डॉक्टर अंजली कुमार ने हैवी पीरियड्स को लेकर कुछ जरूरी जानकारी शेयर की है। तो चलिए जानते है इसके कारण और उपाय से जुड़े कुछ जरुरी फैक्ट्स।
असंतुलित हॉरमोन जैसे की थाइरोइड डिसऑर्डर और पीसीओडी।
यूटेराइन फाइब्रॉइड्स यूटेराइन मसल्स में होने वाला एक प्रकार का नॉन कैंसरस ट्यूमर है। इस वजह से भी हैवी पीरियड्स होते हैं।
यूटेराइन पॉलिप्स काफी मुलायम ट्यूमर होता है जो यूटेराइन मसल्स के अंदर स्थिर होते हैं। यह हैवी पीरियड्स का एक कारण हो सकते हैं।
असल में यूटेराइन और पेल्विक इंफेक्शन के कारण पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस होता है साथ ही वजाइनल डिस्चार्ज गाढ़े और बदबूदार होते हैं। यह भी हैवी ब्लीडिंग का एक कारण हो सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस की स्थिति में पीरियड्स हैवी होते हैं और इस दौरान अधिक दर्द महसूस होता है।
कॉपर टी का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में भी हैवी पीरियड्स देखने को मिलता है।
डॉक्टर अंजलि कुमार के अनुसार आपके हेवी पीरियड्स का इलाज पूर्ण रूप से इसके होने के कारण पर निर्भर करता है। वहीं सबसे पहले एनीमिया की समस्या का इलाज करवाएं। इसके अलावा यूटीआई और अन्य वेजाइनल इनफेक्शन का ट्रीटमेंट जरूरी है। इसके साथ ही हार्मोनल डिसऑर्डर जैसे कि पीसीओडी, थाइरोइड, इत्यादि का ट्रीटमेंट किया जाता है।
वहीं फाइब्रॉयड और पॉलिप्स ट्यूमर का इलाज करवाना भी जरूरी है। इसके लिए सर्जिकल मेथड का इस्तेमाल किया जाता है। इसे नॉन सर्जिकल मेथड से भी कम किया जा सकता है इसके लिए अपनी स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। हालांकि, यह समस्या बहुत कम लोगों में देखने को मिलती है।
अंजली कुमार के अनुसार अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां, बीन्स, फलियां, खुबानी, दाल और किशमिश को शामिल करें। इसी के साथ चाय और कॉफी के अधिक सेवन से परहेज रखें।
एस्ट्रोजेन डोमिनेंट डाइट में शामिल है पैक्ड और प्रोसेस्ड फूड। इसीके साथ नॉन आर्गेनिक और रेड मीट खासकर सोया से बने पदार्थों से परहेज रखें। वहीं अल्कोहल से युक्त और प्लास्टिक में पैक्ड फूड्स से भी दूरी बनाए रखें।
अपने बॉडी वेट को बैलेंस्ड रखने की कोशिश करें। इसके लिए सही डाइट लें और नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियों में भाग लेती रहें। वहीं बीएमआई और इंसुलिन रेजिस्टेंस को नियंत्रित रखें।
अंजली कुमार के अनुसार अश्वगंधा, बरबरी, रोजमेरी और ग्रीन टी जैसे हर्ब्स आपको इस समस्या से बाहर आने में मदद करेंगे।
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