हमारे आसपास कई ऐसे पौधे हैं, जो हमें स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। कई पौधे की पत्तियां भी कई रोगों से हमारा बचाव करती हैं। और हमें स्वस्थ रखती हैं। ऐसा ही एक पौधा है मोरिंगा ओलीफेरा (Moringa Olifera) यानी सहजन के पत्ते। यह ड्रमस्टिक ट्री (Drumstick Tree) भी कहलाता है। कई शोध बताते हैं कि मोरिंगा की पत्तियां यानी सहजन की पत्तियां महिलाओं के शरीर की संपूर्ण देखभाल कर सकती हैं। सहजन की खूबियों (Moringa leaves for health problems) को देखते हुए ही इसे पाउडर और कैप्सूल रूप में सप्लीमेंट के तौर पर लिया जाने लगा है। रिसर्च बताते हैं कि मोरिंगा की पत्तियों के इस्तेमाल का सही तरीका (how to use Moringa leaves for health problems) जानने से ही फायदा मिलता है।
एशियन पेसिफ़िक जर्नल में शोधकर्ता अब्दुल राज़ी और एम इब्राहिम सहजन की पत्तियों के फायदे पर शोध आलेख प्रकाशित हुए। इसके अनुसार मोरिंगा की पत्तियों में अमीनो एसिड, पोटेशियम, आयरन, जिंक और कैल्शियम जैसे मिनरल्स भी पाए जाते हैं। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन ई और विटामिन बी भरपूर होता है। इसकी पत्तियों में क्वेरसेटिन होता है। यह एक एंटीऑक्सिडेंट है, जो हिस्टामाइन प्रतिक्रिया को अवरुद्ध कर सकता है। हिस्टामाइन कष्टप्रद एलर्जी के लक्षणों को ट्रिगर करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। पत्तियों में क्लोरोजेनिक एसिड होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है।
शोधकर्ता अब्दुल राज़ी और एम इब्राहिम बताते हैं कि एनीमिया के कारण शरीर की कोशिका तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं या हीमोग्लोबिन नहीं होता है। इससे अक्सर थकान, चक्कर आना और सांस लेने में तकलीफ होती है। मोरिंगा की पत्तियां पारंपरिक आयरन सप्लीमेंट की तुलना में अधिक आयरन दे सकती हैं। पालक की तुलना में इसमें 7 गुना अधिक आयरन होता है।
फ़ूड साइंस एंड ह्यूमन वेलनेस जर्नल में शोधकर्ता लक्ष्मीप्रिया गोपालकृष्णन और क्रुति डोरिया के अनुसार, स्तनपान कराने वाली मांओं के लिए मोरिंगा की पत्तियां लाभदायक हैं। अध्ययन बताते हैं कि मोरिंगा नई मांओं के स्तन के दूध की मात्रा को बढ़ा सकता है। जिन नई मांओं ने प्रति दिन 250 मिलीग्राम से अधिक मोरिंगा की पत्तियों का सेवन किया, उन्होंने प्लेसीबो लेने वालों की तुलना में काफी अधिक स्तन दूध का उत्पादन किया।
यह ब्रेस्ट मिल्क के पोषक गुणों को भी समृद्ध करता है। यह विटामिन ए से भरपूर होता है। इसलिए नवजात शिशुओं के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। अफ्रीका में आज भी नई माएं शिशु की पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इसका सेवन करती हैं।
शोधकर्ता लक्ष्मीप्रिया गोपालकृष्णन के अनुसार, मोरिंगा की पत्तियों और फली में फाइबर और प्रोटीन होते हैं। इसलिए इनसे कब्ज और सूजन से राहत मिलती है। यदि दलिया या स्मूदी या सूप के साथ पत्तियों को मिक्स कर सेवन किया जाये तो यह शरीर को अच्छी तरह से पोषित और संतुष्ट करता है। इसके सेवन के बाद भूख कम लगती है। इससे वजन घटाने में मदद मिलती है।
सहजन की पत्तियों को अफ्रीका में औषधीय पौधे के रूप में जाना जाता है। प्लांट प्रोटीन की स्रोत मोरिंगा की पत्ती हार्मोन संतुलन में मदद करती है। इसके फाइबर टोक्सिंस को शरीर से बाहर निकलते हैं।
एक्स्ट्रा एस्ट्रोजन को खत्म करने में मदद करते हैं।यदि कुछ महीनॉन तक भोजन में मोरिंगा की ताजी पत्तियों को शामिल किया जाये, तो पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं में मेनोपॉज के लक्षणों जैसे हॉट फ्लेशेज और नींद की समस्या में सुधार होता है।
जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च में प्रकाशित शोध आलेख के अनुसार, मोरिंगा की पत्तियों की चाय दिन भर में दो बार ली जा सकती है या कैप्सूल के रूप में लिया जा सकता है। यह पीरियड क्रेम्प को काफी कम कर देता है। इसमें ज्यादातर सब्जियों की तुलना में अधिक विटामिन और मिनरल्स होते हैं। समग्र स्वास्थ्य के लिए इसे अपने आहार में शामिल किया जा सकता है।
जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च में प्रकाशित शोध आलेख के अनुसार, मोरिंगा के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी जरूरी है। वे आपके शरीर की जरूरतों के आधार पर आपकी खुराक तय करेंगे।
हालांकि हर दिन मोरिंगा की पत्तियां ली जा सकती हैं। 1 टेबल स्पून मोरिंगा की पत्तियों की चाय पीई जा सकती है। चाय के अलावा, स्मूदी, दलिया में भी 1 टीस्पून मोरिंगा पाउडर मिलाकर ट्राई किया जा सकता है। कैप्सूल फॉर्म में भी 500 मिलीग्राम से 2 ग्राम प्रतिदिन तक लिया जा सकता है।
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