बारिश (Rainy season) का तसव्वुर हिंदी फिल्मों में नायिका की भीगी साड़ी और भीगे बालों के बिना अधूरा है। पर केवल आप ही जानती हैं कि बारिश में सिर्फ बाल और साड़ी ही नहीं भीगते, आपकी पैंटी भी भीगती है। कामकाजी महिलाओं के लिए मानसून इंटीमेट हाइजीन (Monsoon intimate hygiene) में गीली पैंटी (Underwear) बड़ी समस्याओं में से एक है। भीगे हुए अंडरगारमेंट्स (Wet panties) आपको कई तरह के स्वास्थ्य जोखिम में डाल सकते हैं। एक्सपर्ट बता रहीं हैं इस बारे में विस्तार से।
मानसून में कपड़ों का न सूखना एक बड़ी समस्या है। ड्रायर में कपड़े सूख तो जाते हैं, परंतु पूरी तरह नमी मुक्त नहीं हो पाते। उस पर कीटाणुओं का खतरा। कुल मिलाकर यह मौसम आपकी इंटीमेट हाइजीन के लिए बहुत सारे जोखिम लेकर आता है। क्या हैं ये जोखिम और आप इनसे कैसे बच सकती हैं, इसके लिए हमने फोर्टिस ला फॅम, नई दिल्ली में एसोसिएट डायरेक्टर – ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी डॉ. अनीता गुप्ता से बात की है। आइए जानते हैं वे क्या कहती हैं-
भारत में जिन विषयों पर सबसे कम चर्चा होती है उनमें से एक है महिलाओं के गुप्तांग की स्वच्छता या इन्टीमेट हाइजीन। अगर इस विषय पर बात होती, तो महिलाओं में वेजाइना (vaginal) व मूत्राशय में संक्रमण के मामले 50-60% घट जाते।
डॉ. अनीता कहती हैं, “महिलाओं को अपने लिए अंडरवियर चुनते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। कॉटन का सफेद अंडरवियर एक बेहतरीन विकल्प है। कॉटन ऐसा फैब्रिक है जो आपकी त्वचा को सूखा व ठंडा रखता है। कॉटन का अंडरवियर पहनने से बैक्टीरिया के पनपने की आशंका कम हो जाती है, क्योंकि यह त्वचा तक हवा की आवाजाही बनाए रखता है। इस वजह से नमी इकट्ठा नहीं हो पाती है।”
अंडरवियर को बहुत माइल्ड डिटर्जेंट से धोएं और संभव हो सके, तो अन्य कपड़ों से अलग धोएं।
व्यायाम के दौरान पहने गए अंडरवियर और गीले स्विमसूट को उतारने के बाद गुप्तांगों को अच्छी तरह साफ करना चाहिए, जिससे संक्रमण होने से रोका जा सके।
बहुत चुस्त या टाइट अंडरवियर या पैंट्स या लैगिंग्स पहनने से परहेज़ करना चाहिए। उनकी वजह से हवा की आवाजाही कम हो सकती है और गुप्तांग में पसीना आ सकता है। अत्यधिक पसीना या नमी इकट्ठा होने के कारण बैक्टीरिया या यीस्ट पैदा हो सकते हैं, जिससे योनि में संक्रमण हो सकता है।
कई बार बदबू से बचने के लिए लड़कियां अपने इंटीमेट एरिया में परफ्यूम भी लगाने लगती हैं। पर यह खतरनाक हो सकता है। डॉ. अनीता कहती हैं, “योनि के आसपास की जगह परफ्यूम या डिओंडरेंट का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे एलर्जी या रैशेज़ हो सकते हैं।”
महिलाओं को अपने इंटीमेट एरिया को बहुत कोमल साबुन व पानी या सिर्फ गुनगुने पानी से अच्छी तरह साफ करना चाहिए। खुशबूदार वॉश या साबुन के तौर पर रसायनों का इस्तेमाल करने से वजाइना का पीएच बदल सकता है, जिसके कारण वहां बैक्टीरिया या यीस्ट विकसित हो सकते हैं।
नियमित रूप से अपना तौलिया बदलें और संभव हो तो रोज़ाना ऐसा करें, क्योंकि गीला व इस्तेमाल किया हुआ तौलिया संक्रमण का स्रोत हो सकता है।
सैनिटरी पैड्स नियमित अंतराल पर बदलती रहें। अगर लंबे समय तक सैनिटरी पैड नहीं बदला जाए, तो उससे त्वचा पर रैशेज़ हो सकते हैं और दुर्गंध भी आती है।
सामान्य प्रवाह वाली महिलाओं को हर 6-8 घंटे में सैनिटरी पैड बदलना चाहिए। यह बात उन दिनों पर भी लागू होती है जब प्रवाह कम होता है। मासिक धर्म के दौरान मेंस्ट्रुअल कप या टैंपून का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
सबसे जरूरी बात जिस पर ध्यान देना ज़रूरी है, वह यह कि स्वस्थ व संतुलित आहार का सेवन आवश्यक है। जिसमें पर्याप्त मात्रा में फल, सब्ज़ियां व फाइबर हों। डॉ. अनीता सुझाव देती हैं, “योगर्ट जैसे खाद्य पदार्थों में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं, जो वेजाइनल फ्लोरा को बरकरार रखते हैं। अगर आपको मूत्राशय का संक्रमण अक्सर होता है, तो ढेर सारा पानी पिएं व अन्य तरल पदार्थों का सेवन करें।”
तो गर्ल्स, बारिश को एन्जॉय करें पर अपनी निजी स्वच्छता से समझौता किए बिना।
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