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माइंडफुल सेक्स से बेहतर हो सकती है आपसी बॉन्डिंग, ये ऑर्गेज़्म में भी है मददगार 

स्त्रियां अपने बिस्तर में दिन भर का तनाव, अगले दिन की तैयारी और यहां तक कि सोशल मीडिया की चिंता भी ले आती हैं। इतनी सारी चीज़ों के साथ ऑर्गेज़्म कैसे संभव हो पाएगा? 
जब दो लोग साथ होते हैं, तो अपनी प्राथमिकताएं अपने पार्टनर के समक्ष रखना किसी भी तरह से गलत नहीं है। चित्र अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 11 Jun 2022, 20:00 pm IST
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बहुत पहले ओशो रजनीश की किताब “संभोग से समाधि’ में पढ़ा था कि सेक्स के दौरान एक बल्ब के जलने के बराबर ऊर्जा निकल सकती है, यानी सेक्स भी असीम ऊर्जा का स्रोत हो सकता है। बशर्ते कि सेक्स करते समय उस प्रक्रिया में खुद को डुबो दिया जाए। हमारा दिमाग इधर-उधर भटकने की बजाय सेक्स पर केंद्रित रहे। इस तरह से सेक्स भी ध्यान का माध्यम बन सकता है। 

भारत के प्राचीन ग्रंथ ‘कामसूत्र’ में भी इसी बात की तस्दीक की गई है। कामसूत्र के अनुसार, संभोग में चरम सुख तभी हासिल किया जा सकता है जब उस क्रिया को एकाग्रचित्त होकर किया जाए। चरम सुख यानी ऑर्गेज्म (Orgasm) हासिल करने के जितने भी स्टेप्स हैं, उन्हें सहजता पूर्वक संपन्न किया जाए।

क्या कहते हैं शोध 

जर्नल ऑफ सेक्स एंड मैरिटल थेरेपी का अध्ययन भी कुछ इसी ओर इशारा करता है। अध्ययन के अनुसार, यदि माइंडफुल सेक्स किया जाए, तो यह और अधिक आनंद प्रदान करने वाला साबित हो सकता है।

अक्सर हम सेक्स के दौरान पुरानी बातों-यादों पर चर्चा करने लगते हैं और तनावग्रस्त हो जाते हैं। कभी-कभी तो शर्म-झिझक या गुस्से के कारण भी हम असहज होने लगते हैं। इन्हीं सब बातों का जर्नल ऑफ सेक्स एंड मैरिटल थेरेपी में अध्ययन किया गया। 

शोधकर्ताओं ने लगभग 200 व्यक्तियों पर अध्ययन किया। इन लोगों में विवाहित, विषमलैंगिक (heterosexual) भी थे, जो 36 से 60 वर्ष की आयु के बीच थे। उनकी सेक्सुअल माइंडफुलनेस को मापने के लिए उनसे कई सवाल किए गए। ये सवाल उनके सेक्स के दौरान पूरी तरह से जागरूक और उपस्थित रहने के बारे में जानने के लिए किए गए। 

उनसे पूछा गया कि वे सेक्स के दौरान यौन संवेदनाओं पर कितना ध्यान दे पाते हैं या अपनी भावनाओं पर कितना ध्यान दे पाते हैं। उनसे अपने यौन जीवन के बारे में और अपने रिश्ते के बारे में कैसा महसूस करते हैं, ये भी पूछा गया।

शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों ने सेक्सुअल माइंडफुलनेस का अभ्यास किया था और सेक्स के दौरान सेल्फ जजमेंट से बचते रहे, उन्होंने एक-दूसरे से यौन संतुष्टि अधिक पाई। यहां तक कि एक-दूसरे के प्रति रिलेशनशिप संतुष्टि भी अधिक हुई। अध्ययन ने यह निष्कर्ष भी निकाला कि माइंडफुलनेस सेक्स में संलग्न होने से ऐसी चिंताएं भी दूर हो सकती हैं, जो पॉजिटिव सेक्स एक्सपीरिएंस होने की राह में बाधा बनती हैं। 

स्ट्रेसफुल सेक्स होने के उन सभी कारकों जैसे कि चिंता, डर और शर्म को भी माइंडफुल सेक्स खत्म कर देता है।

सेक्स की प्रक्रिया बहुत जटिल नहीं हो सकती है यदि हम उसे करते हुए रिलैक्स रहें और अपना दिमाग उस प्रक्रिया पर केंद्रित रखें।

माइंडफुल सेक्स के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है।

1 शुरुआत एक-दूसरे को स्पर्श करने से करें।

2 अपनी सांस पर ध्यान दें।

3 दिमाग को भटकने न दें। अपनी इंद्रियों को सेक्स पर एकाग्रचित्त करें।

4 पुराने सेक्स हैंग अप के विचार मन में आ रहे हैं, तो उसे झटक दें।

5 अपने साथी के गुणों को याद करें, अवगुणों को नहीं।

6 मूड में आने के लिए खुद को समय दें।

7 जब मूड बन जाए, तो सिर्फ चरम सुख प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करें।

सेक्स के समय साथी के गुणों को याद करने पर प्रेम बढ़ता है। चित्र:शटरस्टॉक

माइंडफुल सेक्स के कई फायदे हैं। इससे एक-दूसरे के प्रति प्रेम तो बढ़ेगा ही, सम्मान भी बढ़ेगा। 

1 आनंद में वृद्धि होगी।

2 पार्टनर के साथ बॉन्डिंग व रिलेशनशिप मजबूत होगा।

3 स्वयं से तथा पार्टनर से गहरा लगाव विकसित हो जाएगा।

4 स्वयं तथा स्वयं के शरीर के बारे में सोचना शुरू करेंगी, जिससे आप संबंधों में अधिक सहजता महसूस करेंगी।

5 आर्गेज्म का सुख मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।

6 सेक्स भी आपको अध्यात्म से जोड़ सकता है, यह भाव विकसित होगा।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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