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मेंस्ट्रुअल हाइजीन : लॉकडाउन में भी पीरियड शर्म की नहीं गर्व की बात हो

लॉकडाउन के समय में सभी लोग अपने घरों में कैद हैं, तो कुछ ऐसे भी हैं, जिन तक मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं। इस बार माहवारी स्वच्छता दिवस पर दोनों का ध्यान रखने की जरूरत है।
Updated On: 21 Dec 2020, 07:10 pm IST
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Scented pad aur tampon ke kaaran bhi aa sakti hai badbu
सेंटेड पैड और टैम्पॉन के कारण भी आ सकती हैं बदबू। चित्र: शटरस्टॉक

इस बार का माहवारी स्वच्‍छता दिवस (MHD 2020) 28 मई कुछ अलग है, क्यूंकि इस बार सिर्फ़ पीरियड्स की बात करना अधूरा और बेमानी होगा। इस बारी पीरियड्स लॉकडाउन में हैं। इन्हें लॉकडाउन पीरियड्स या पीरीयड्स इन पैंडेमिक कहना ठीक होगा।

कोरोना वायरस का असर हम सब की ज़िंदगी पर इतना ज़्यादा है कि कुछ भी इससे बच नहीं पा रहा। इस खास दिन पिछले कुछ सालों तक हम माहवारी स्वछता के बारे में बात करते रहें हैं। लेकिन इस बार माहवारी स्वछता को हमें COVID 19 के साथ जोड़कर देखना होगा।

आज देश और दुनिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा COVID 19 से जूझ रहा है। जिसके चलते लोग अपने घरों में कैद हैं। वहीं एक बड़ा तबका अपने घरों में भूख से परेशान होकर सड़कों पर निकल पड़ा है। इस बार हमें दोनो का ही ध्यान रखते हुए इस दिन को मनाना होगा।

कोवि किट

इसके लिए हमें दो तरीक़ों से काम करना होगा, एक फ़ील्ड में उन लोगों के लिए जिनके पास अभी आधारभूत सुविधाओं का भी अभाव है, उन लोगों तक सैनिटेरी नैपकिंस के साथ स्वछता सामग्री पहुंचानी होगी, जिसे हमने COVI- KITS का नाम दिया है।

इस किट में हम महिलाओं और बच्चियों को एक पैकेट पैड, पेंटी, साबुन और मास्क रखा गया है। इसका वितरण राशन वितरण केंद्रो पर, स्वयंसेवी संस्थाओं व कुछ समाजसेवियों द्वारा किया जा रहा है। इस COVI-KITS से हम लोगों की सारी परेशनियां तो दूर नहीं कर सकते मगर उन्हें अपनी माहवारी को सम्मानपूर्वक मैनेज करने में मदद कर सकते हैं।

मेंस्‍ट्रुअल हाइजीन के लिए जागरुकता सबसे ज्‍यादा जरूरी है। चित्र : डॉ. सुरभि सिंह

जागरुकता है जरूरी

दूसरा काम जो बहुत ज़रूरी है वो है जागरूकता। माहवारी स्वछता के लिए जागरूकता सबसे ज्याादा ज़रूरी है। भारत में माहवारी को लेकर जो धरणाए हैं उनको बदले बिना माहवारी स्वछता पर काम करना बेमानी है। अभी तक इसके लिए स्कूाल और कॉलेजों में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित कए जाते रहे हैं।

लॉकडाउन के समय में स्कूल और बाक़ी जगहों पर लोगों को शामिल कर पाना मुश्किल है। ऐसे में इंटरनेट ही एक सहारा है, जिसके माध्यीम से हम लोग लोगों को मोटिवेट कर सकते हैं।

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पुरुषों में महिलाओं को सबसे ज्यादा क्या आकर्षित करता है?

शर्म की नहीं गर्व की बात है

भारत में आज भी स्थिति ये है कि अगर लड़कियों से बात की जाए तो ज़्यादातर लड़कियां इस पर बात करने में शर्माती हैं और हिचकती हैं। कितना अजीब है ना कि एक सामान्य सी शारीरिक प्रक्रिया को सिर्फ़ कुछ लोगों की ग़लत सोच ने शर्म बना दिया है, और इस शर्म का बोझ कितनी सदियों से महिलाएं ढोती आ रही हैं।

माहवारी स्वछता पर जागरूकता, एक प्रयास है माहवारी पर महिलाओं के सम्मान को वापस लाने का। कभी-कभी सोचती हूं कि अगर लड़कियों और महिलाओं ने समाज की शर्म वाली सोच से परेशान होकर इस माहवारी को हमेशा के लिए बंद कर दिया होता (जो आज विज्ञान के युग में कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है) तो क्या होता? कैसी होती ये दुनिया?

क्या होती भी ये दुनिया? क्या इस दुनिया में कोई इंसान आ पाता? क्या जेनरेशन आगे बढ़ पाती? क्या धरती पर इंसान का अस्तित्व बाक़ी रहता? क्या हम भी डायनोसॉर की तरह से दुनिया से हमेशा के लिए ख़त्म नहीं हो गए होते? सोच कर देखिए आज दुनिया में इंसान अगर है तो उसकी वजह ये है कि समाज द्वारा, माहवारी पर महिलाओं के आत्मसम्मान को दिनरात खोखला करने के बावजूद, महिलाओं ने ये कदम कभी नहीं उठाया।

दुनिया इसी से सुंदर है

महिलाओं को पीरियड्स होते हैं, जिसकी वजह से नया इंसान दुनिया में आता है। तभी दुनिया में इंसान का अस्तित्व बचा हुआ है। मगर कितनी अजीब बात है, जो महिलाओं के लिए सम्मान की बात होनी चाहिए थी उसी को उनकी शर्म बना डाला गया। और हम महिलाएं बिना जाने इस शर्मिंदगी का बोझ उठाए बस जिए जा रहें हैं।

सच्ची सहेली द्वारा इस माहवारी स्वछता दिवस यानी मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे पर महिलाओं और पुरुषों की मानसिकता को जानकारी द्वारा बदल कर महिलाओं को इस शर्म के दलदल से निकालने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि वो माहवारी में बिना किसी झिझक के अपना ध्यान रख सकें।

मेंस्‍ट्रुअल हाइजीन के लिए कभी न भूलें ये जरूरी बातें

  • आप घर में हों या कहीं और इस बात का ध्‍यान रखें कि माहवारी के इन पांच दिनों में आपको खुद को साफ़ और सूखा रखना है।
  • पैड्स को हर छः घंटे में बदलती रहें।
  • पैड को लगाने के पहले व लगाने के बाद हाथों को साबुन से ज़रूर धोएं।
  • पैड्स को हमेशा काग़ज़ में लपेट कर किसी ढक्कन वाले कूड़ेदान में ही डालें, खुला ना छोड़ें।
  • अपनी पेंटी को भी साफ़ व सूखा रखें, अपने कपड़ों को तेज धूप में ही सुखायें, दूसरे कपड़ों के नीचे छिपाकर नहीं।
  • अगर किसी वजह से पैड्स उपलब्ध नहीं है तो साफ़ धुले हुए सूती कपड़े से पैड घर पर भी बनाया जा सकता है, और ऊपर बतायी गयी सभी बातें इस पर भी लागू होंगी।

पांच दिन पांच सेशन

किसी भी तरह की परेशानी होने पर अपने घर में बात कर सकें व ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर से मिल सकें। इसके लिए सच्ची सहेली संस्था पांच दिन (21 मई से 26 मई तक) पांच सेशन करके समाज के हर तबके को इस पर अपनी सोच बदलने के लिए प्रेरित करेगी।

इस तरह समाज के हर तबके को उसकी ज़रूरत के हिसाब से जोड़कर उसके लिए काम करने से ही सही मायने में इस माहवारी स्वच्छता दिवस को सफल बनाया जा सकता है।

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
डॉ. सु‍रभि सिंह
डॉ. सु‍रभि सिंह

डॉ. सुरभि सिंह गाइनीकोलॉि‍जिस्‍ट और सोशल वर्कर हैं। मेंस्‍ट्रुअल हाइजीन पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठन सच्‍ची सहेली की संस्‍थापक हैंं।

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