हम जानते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ लगभग हर किसी के कुछ न कुछ तो बाल झड़ते ही हैं। मेनोपॉज़ के कारण महिलाओं को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से सामना करना पड़ता है। उनमें से एक है बालों का झड़ना। इसके कारण बाल बहुत पतले हो जाते हैं। हम यह जानते हैं कि एस्ट्रोजन बालों के विकास और घनत्व को बढ़ाता है। तो क्या इस फेज में एस्ट्रोजन हॉर्मोन का प्रभावित होना कारण है? क्या यह सही है कि बालों में होने वाला कोई भी बदलाव (menopause side effect) एस्ट्रोजन में गिरावट के कारण होता है या उम्र बढ़ने की प्रक्रिया के कारण है।
यदि आप शॉवर या बाथटब की नाली में अधिक बाल जमा हुआ देखती हैं, तो आप अकेली नहीं हैं। मेनोपॉज फेज में यह आम समस्या है। एस्ट्रोजन बालों के डेवलपमेंट फेज, स्कल और फॉलिकल हेल्थ के लिए जरूरी है। यह बालों को चिकना और चमकदार रखने वाले प्राकृतिक आयल को प्रभावित करता है। जब रजोनिवृत्ति के दौरान एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है, तो बाल झड़ सकते हैं। ये पतले हो सकते हैं, डेंसिटी खो सकते हैं। यहां तक कि टेक्सचर भी बदल सकते हैं और ड्राई हो सकते हैं।
हार्वर्ड हेल्थ के एक अध्ययन में पाया गया कि भाग लेने वाली 200 में से 200 महिलाओं में रजोनिवृत्ति के दौरान बाल झड़ने की समस्या थी। कम एस्ट्रोजन का स्तर बालों के विकास चक्र को भी प्रभावित कर सकता है। यह बालों के दोबारा उगने के चरण में भी देरी कर सकता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, बालों के रोम भी छोटे होते जाते हैं। इसलिए उनसे निकलने वाले बाल पतले होते हैं, जिससे समग्र रूप से डेंसिटी में कमी आती है।
जैसे-जैसे एस्ट्रोजन का स्तर कम होता जाता है, एण्ड्रोजन, जिसे एक पुरुष हार्मोन माना जाता है, बालों के रोमों में अधिक सक्रिय हो जाता है। कुछ ख़ास दवा से एण्ड्रोजन का स्तर कम होता है और बालों को दोबारा उगने में मदद मिलती है। जैसे रजोनिवृत्ति के दौरान त्वचा शुष्क हो जाती है, वैसे ही स्कैल्प और बाल भी शुष्क हो जाते हैं। एस्ट्रोजन का स्तर कम होने का मतलब है कि कम सीबम का उत्पादन होना। सीबम सिर की त्वचा को चिकनाई देता है। इसके कारण ड्राई स्किन और परतदार खोपड़ी है। यदि स्कैल्प पर सीबम कम है, तो बालों में प्रवेश करने की क्षमता भी कम हो जाएगी। इसलिए बाल रूखे, बेजान और अधिक टूटने वाले हो जाते हैं।
हॉर्मोन में बदलाव के कारण बालों की बनावट बदल जाती है। जैसे-जैसे बाल अधिक सफेद होते जाते हैं, बाल अधिक रूखे हो जाते हैं। कुछ स्थानों पर ये अचानक कर्ली भी हो जाते हैं। हार्मोन हेयर फॉलिकल के आकार को प्रभावित कर सकते हैं। सीधे बाल पैदा करने वालेगोल -आकार के रोमों से एग शेप रोमों में बदल सकते हैं, जो घुंघराले बाल पैदा करते हैं।
सीबम बालों के पीएच को स्वस्थ अम्लीय श्रेणी में बनाए रखने में मदद करता है। अम्लता बालों की क्यूटिकल कोशिकाओं को एक-दूसरे से सटी हुई रखती है। मेनोपॉज़ में लो सीबम लेवल होता है। इससे बाल खुरदुरा और चिपचिपा हो जाता है। लो सीबम लेवल पीएच संतुलन को बदल देता है, इसलिए यह कम अम्लीय होता है। इससे क्यूटिकल सेल ऊपर उठने लगती हैं और अलग होने लगती हैं। इससे बाल बेजान और खुरदुरे दिखने लगते हैं।
हल्के से मध्यम बालों के झड़ने के लिए त्वचा विशेषज्ञ अक्सर मिनोक्सिडिल दवा लेने की सलाह देते हैं। यह एक ओवर-द-काउंटर दवा है, जो बालों के विकास को बढ़ावा देती है। यह स्तन कैंसर के इतिहास वाले लोगों के लिए भी सुरक्षित है और मध्यम रूप से प्रभावी है। इन्हें सिर पर तब लगाया जाता है जब हेयर और स्कैल्प सूखे होते हैं। मिनोक्सिडिल स्कैल्प में ब्लड फ्लो में सुधार करता है। यह प्रत्येक हेयर फॉलिकल के विकास को प्रोत्साहित करता है। डॉक्टर बालों को दोबारा उगाने में मदद के लिए ओरल मिनोक्सिडिल भी लिख सकते हैं, खासकर अगर बाल स्तन कैंसर के इलाज के कारण झड़ रहे हैं।
यदि स्कैल्प सूखी है, तो माइल्ड और मॉइस्चराइजिंग शैम्पू का उपयोग करना चाहिए। बाल को कम बार धोएं। हल्के स्कैल्प सीरम नमी प्रदान कर सकते हैं, जो रोम छिद्रों को बंद नहीं करेंगे। ये जड़ों को भी चिकना महसूस नहीं कराएंगे। नियासिनमाइड जैसे कोलेजन- उत्तेजक तत्व और सेरामाइड्स जैसे मॉइस्चराइज़र का प्रयोग किया जा सकता है।
नारियल और एवोकैडो जैसे पौष्टिक तेलों के साथ घरेलू स्मूथिंग उपचार (menopause side effect) किया जा सकता है।
डीप कंडीशनर टूटने वाले बालों को नरम करने और कर्ली हेयर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। हेयर ड्रायर, हेयर स्ट्रेटनर और कर्लिंग आयरन जैसे हॉट स्टाइलिंग टूल का उपयोग करने से बचने में भी मदद मिल सकती है। ये बालों को ड्राई बना देते हैं। साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें। सिर की मालिश के साथ-साथ रिलैक्सिंग टेक्निक अपनाएं।
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