आजकल अर्ली ऐज पीरियड की समस्या काफी ज्यादा बच्चियों में देखने को मिल रही है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन नेशनल हेल्थ एंड न्यूट्रिशन एग्जामिनेशन द्वारा किये गए सर्वे के अनुसार पहली बार पीरियड आने का सही उम्र 12 साल और इससे अधिक को माना गया है। परंतु कई ऐसी बच्चियां हैं जिन्हे 8 से 9 साल में भी पीरियड (causes of early puberty) आ जाते हैं। ऐसे में असामान्य समय पर पीरियड आना बिल्कुल भी हेल्दी नही है। इसके साथ ही यदि बच्चियों को कम उम्र में पीरियड आ जाता है तो जरूरी नहीं है कि उनमे से सभी ओव्यूलेट कर सकती हैं। कई बार कम उम्र में पीरियड आने के बाद ओव्यूलेशन नहीं होता। जिस वजह से कुछ साल तक पीरियड काफी ज्यादा इरेगुलर रहते हैं। ऐसे में सही समय पर ही उनकी ओव्यूलेशन शुरू होती है और पीरियड्स नियमित हो जाते हैं।
इन सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए हर माता-पिता को अर्ली एज पीरियड्स से जुड़ी जानकारी होना जरूरी है। इसलिए यदि आप किसी बच्ची के माता-पिता हैं तो पीरियड से जुड़ी जानकारी जरूर रखें। यह आपकी बच्ची के हेल्दी प्यूबर्टी के लिए बहुत जरूरी है।
हेल्थ कोच एवं न्यूट्रीशनिस्ट नेहा रंगलानी ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए बच्चों में कम उम्र में पीरियड्स आने के कुछ सामान्य कारण एवं इसके साइड इफ़ेक्ट पर बातचीत की है। साथ ही उन्होंने बचाव के भी कुछ उपाय बताये हैं। तो चलिए जानते हैं किस तरह
पेरेंट्स को शुरुआत से ही बच्चों की सेहत का रखना चाहिए खास ख्याल।
आजकल की लाइफस्टाइल पूरी तरह बदल चुकी है। छोटी उम्र से ही बच्चों को प्रोसेस्ड और पैक्ड फूड दिए जाते हैं। जिस वजह से शरीर में एक्स्ट्रा फैट जमा हो जाता है। और शरीर में जमे फैट बॉडी में एस्ट्रोजन की मात्रा को बढ़ा देते हैं। ऐसे में 12 साल की उम्र से पहले बच्चों को पीरियड का सामना करना पड़ता है।
नेहा कहती है कि “आजकल के बच्चे शुरुआत से हीं तरह तरह के केमिकल युक्त पदार्थों के संपर्क में रहते हैं। अब चाहे वह फ़ूड प्रोडक्ट हो, दवाइयां हों या उनके बॉडी केयर प्रोडक्ट्स हों। यह केमिकल शरीर में जिनोएस्ट्रोजन को बढ़ा देते हैं। जिस वजह से कम उम्र में ही पीरियड्स आने की संभावना बनी रहती है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित एक स्टडी ने कम उम्र में पीरियड आने का एक कारण स्ट्रेसफुल लाइफ को भी बताया है। घर का माहौल खराब होने के कारण बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर काफी ज्यादा फर्क पड़ता है। ऐसे में यह न केवल मानसिक स्वास्थ्य को बल्कि शारीरिक रूप से भी आपको प्रभावित कर सकता है। जिस वजह से कई बार बच्चों में कम उम्र में हीं पीरियड देखने को मिलता है।
की गयी उपरोक्त स्टडी के अनुसार जो बच्चे 3 से 5 साल की उम्र में प्लांट प्रोटीन की तुलना में एनिमल प्रोटीन का ज्यादा सेवन करते हैं उनमें अर्ली ऐज पीरियड्स देखने को मिलता है।
नेहा रंगलानी के अनुसार कम उम्र में पीरियड्स आने पर कुछ शारीरिक तथा मानसिक समस्याएं होने की संभावना बनी रहती है। तो चलिए जानते हैं आखिर क्या हैं वह समस्याएं।
मोटापे की समस्या।
डायबिटीज का खतरा।
दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा।
कुछ प्रकार के कैंसर की संभावना।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ना। जैसे की एंजाइटी डिप्रेशन की समस्या।
एक्सपर्ट के अनुसार बचपन से ही बच्चों के ऊपर हम तरह-तरह के चाइल्ड केयर प्रोडक्ट्स जैसे कि बॉडी वॉश, शैंपू, हेयर ऑयल, इत्यादि का इस्तेमाल करते हैं। इस दौरान इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। वहीं हमेशा केमिकल फ्री नेचुरल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने की कोशिश करें।
हेल्थ कोच बच्चियों को बचपन से ही फिजिकली एक्टिव रखने की सलाह देती हैं। वे कहती हैं की “उन्हें आउटडोर एक्टिविटी और गेम में भाग लेने के लिए उत्साहित करें। यह उनके शरीर को एक्टिव रखेगा और एक्स्ट्रा फैट को जमा होने से रोकेगा।”
अपने बच्चे को बचपन से ही एक हेल्दी डाइट दें और उन्हें बाहरी जंक फूड, प्रोसेस, फ्राइड फ़ूड, इत्यादि से दूर रखें। अन्यथा इन खाद्य पदार्थों की आदत उनकी समग्र सेहत को प्रभावित कर सकती है। साथ ही साथ यह अर्ली प्यूबर्टी का भी कारण हो सकती है।
बच्चों को एक हेल्दी और हैप्पी एनवायरनमेंट देने की कोशिश करें। खासकर घर पर परिवारिक माहौल को अच्छा रखें। क्योंकि एक खराब वातावरण बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। इसके साथ ही अर्ली प्यूबर्टी का भी कारण बनता है।
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