यदि आप एक अनप्लैंड प्रेगनेंसी का सामना कर रहे हैं और अबॉर्शन पिल्स पर विचार कर रहे हैं, तो आपके सामने आने वाले संभावित जोखिमों और दुष्प्रभावों को व्यापक रूप से समझना बहुत जरूरी है। अपने शरीर और मानसिक स्वास्थ्य पर दवा के प्रभावों के बारे में खुद को शिक्षित करना बहुत जरूरी है। अबॉर्शन पिल्स खाने में बहुत आसान होती है इसलिए हम इसके बारे में सोचे समझे बिना इसका सेवन कर लेते है। आपको पता होना चाहिए की कोई भी दवा आपके शरीर पर कुछ न कुछ नाकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इसलिए इसके बारे में आपको ये जरूर पता होना चाहिए कि ये आपके लिए सही है या नहीं।
अबॉर्शन पिल्स से किए गए अबोर्शन को मेडिकल अबोर्शन कहा जाता है। इसमें गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए दवाएं ली जाती है। मेडिकल अबोर्शन आम तौर पर गर्भावस्था के 10वें सप्ताह तक किया जा सकता है।
इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने संपर्क किया स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रितु सेठी से, रितु सेठी ने अबोर्शन पील के बारे में कई दुष्प्रभाव बनाए।
डॉ. रितु सेठी बताती है कि अबॉर्शन पिल्स अधिक ब्लीडिंग का कारण बन सकती है, जिसके परिणामस्वरूप खुन की हानि हो सकती है। यह ब्लीडिंग गर्भपात प्रक्रिया का एक हिस्सा है क्योंकि दवा गर्भाशय की सामग्री को बाहर निकालने का काम करती है।
लेकिन सामान्य ब्लीडिंग और अत्यधिक ब्लीडिंग के बीच अंतर करना आवश्यक है। अत्यधिक ब्लीडिंग के कारण एनीमिया का खतरा हो सकता है जिस पर ध्यान देना जरूरी है। गर्भपात की गोली लेने पर विचार करने वाले व्यक्तियों के लिए जोखिमों के बारे में जागरूक होना बहुत जरूरी है।
जब आप इस गोली का सेवन करते है तो आपको रक्तस्राव के दौरान आपको कुछ रक्त के थक्के दिखाई दे सकते हैं। यह सामान्य है, जब तक कि वे बड़े न हों या ये 2 घंटे या उससे अधिक समय से निकल रहे हों। इस स्थिति में, तुरंत अपने डॉक्टर से मिलना जरूरी है। नहीं तो ये थक्के आपके गर्भाशय को भी ब्लॉक कर सकते है।
अबॉर्शन पिल्स संक्रमण का कारण बन सकती है। यदि दवा लेने के बाद गर्भाशय पूरी तरह से साफ नहीं होता है, तो संक्रमण हो सकता है। संक्रमण के लक्षणों में बुखार, गंभीर पेट दर्द, वजाइनल डिस्चार्ज और बीमारी के अन्य लक्षण दिख सकते हैं। इस दवा के कारण वेजाइना के कई बैक्टीरिया अलग प्रतिक्रिया कर सकते है जिसके कारण संक्रमण हो सकता है।
अबॉर्शन पिल्स शरीर में हार्मोनल परिवर्तन या असंतुलन का कारण बन सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये दवा, आवश्यक हार्मोनल प्रक्रियाओं को बाधित करने का काम करती है। परिणामस्वरूप, इससे हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव हो सकता है, विशेष रूप से प्रोजेस्टेरोन, जो गर्भावस्था को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। ये हार्मोनल परिवर्तन अनियमित ब्लीडिंग, मूड स्विंग, थकान जैसे लक्षण पैदा कर सकते है।
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