सेक्सुअल और मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर सकती है हिस्टेरेक्टॉमी, यूट्रस निकलवाने से पहले जान लें सभी पहलू

कभी-कभी महिलाएं पीरियड क्रैम्प्स और बहुत ज्यादा ब्लीडिंग से बचने के लिए यूट्रस रिमूव करवाने पर विचार करने लगती हैं। पर इसके लिए जाने से पहले आपको इसके बारे में सारे तथ्य जान लेने चाहिए।
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हिस्टेरेक्टॉमी करवाने से पहले एक बार साइड इफेक्ट भी जान लीजिए। चित्र : शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 29 Oct 2023, 20:18 pm IST
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हिस्टेरेक्टॉमी (hysterectomy) यानी यूट्रस या गर्भाशय को कभी-कभी किसी कारणवश निकलवाना पड़ सकता है। यूट्रस में इंफेक्शन सहित कई और कारण इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। हालांकि ज्यादातर मामलों में 60 या उससे अधिक उम्र में महिलाओं को यूट्रस निकलवाने की सलाह दी जाती है। पर अगर आप अपने 40 के दशक में ही इस बारे में सोचने लगी हैं, तो जरूरी है कि आप हिस्टेरेक्टॉमी (hysterectomy side effects) के सभी अच्छे और बुरे पहलुओं के बारे में ठीक से जान लें।

क्या कहते हैं हिस्टेरेक्टॉमी के आंकड़े

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-2016 के अनुसार, 30-39 वर्ष की महिलाओं द्वारा हिस्टेरेक्टॉमी (hysterectomy) कराने का प्रतिशत 3.6 है। इस सर्जरी के पीछे 50 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने मुख्य कारणों में से एक कारण पीरियड्स के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव और असहनीय दर्द होने को माना है।

कुछ मामलों में प्रसव के बाद भी महिलाएं हिस्टेरेक्टोमी (hysterectomy) करा लेती हैं। यहां यह भी जानना जरूरी है कि फैलोपियन ट्यूब, ओवरी या इससे संबंधित किसी अन्य अंग को निकलवाने के लिए भी हिस्टेरेक्टॉमी का इस्तेमाल किया जाता है।

पर यह पूरी तरह हानिरहित नहीं है। इसके कुछ साइड इफैक्ट्स भी हैं।

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यहां जानें हिस्टेरेक्टोमी के साइड इफैक्ट्स

1 बढ़ जाता है हृदय रोग का खतरा

सीनियर कंसल्टेंट और उजाला साइगन्स ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स में ऑब्सटेट्रिक्स ऐंड गाइनेकोलॉजी की हेड डॉ. अक्ता बजाज के अनुसार, यूट्रस में फायब्रॉयड या सिस्ट की समस्या के कारण अत्यधिक रक्तस्राव होता है। यही पीरियड के दौरान असहनीय दर्द का भी कारण बनता है। जिसके कारण महिलाएं कम उम्र में ही हिस्टेरेक्टॉमी करा लेती हैं।

फीमेल रिप्रोडक्शन सिस्टम मुख्य रूप से ओवरी, फैलोपियन ट्यूब और यूट्रस से बना होता है। जब शरीर से यूट्रस को निकाल दिया जाता है, तो ओवरी तक ब्लड सप्लाई कम हो जाती है। इससे ओवरी से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन का प्रोडक्शन भी प्रभावित हो जाता है।

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जैसा कि सभी जानते हैं कि एस्ट्रोजन हमारे हार्ट को सुरक्षित रखता है। यही वजह है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में हार्ट अटैक के मामले कम देखे जाते हैं। एस्ट्रोजन नहीं बनने के कारण महिलाओं में हर्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है। दिल संबंधित दूसरी बीमारियां भी होने की संभावना बढ़ जाती है।

2 होने लगती है साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम

कार्डिएक हेल्थ प्रभावित होने के साथ-साथ ऑस्टियोपोरोसिस, स्किन और हेयर संबंधी समस्याओं का जोखिम भी यूट्रस निकलवाने के बाद बढ़ सकता है। हमारे बालों का टेक्सचर बदल जाता है। कभी-कभी तो बाल झड़ने भी लग जाते हैं। साथ ही साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम होने लगती है। हिस्टेरेक्टोमी के बाद महिलाओं में मूड स्विंग आना तो आम बात है। किसी साधारण-सी बात पर गुस्सा होना भी आम है। उनमें असुरक्षा का भाव जन्म ले लेता है।

3 सेक्सुअल लाइफ भी हो सकती है प्रभावित

हिस्टेरेक्टॉमी से सबसे ज्यादा तो सेक्सुअल लाइफ प्रभावित होती है। सर्जरी के बाद योनि के आकार में बदलाव आ जाता है। ऐसा देखा गया है कि योनि का साइज शॉर्ट हो जाता है। इसकी वजह से सेक्स से अरुचि हो जाती है।
जहां तक संभव हो, हिस्टेरेक्टॉमी को टालने का प्रयास करें। 45 वर्ष की उम्र के बाद हिस्टेरेक्टॉमी कराना सेफ होता है। इसका ऑल्टरनेटिव ट्रीटमेंट और मेडिसिन भी उपलब्ध है। कई एक्सरसाइज भी इस समस्या से निजात दिला सकती हैं। इस समस्या पर अलग-अलग डॉक्टर्स की राय लें। यदि कैंसर का खतरा न हो, तो हिस्टरेक्टॉमी को टालने का प्रयास करें।

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