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Tender breast : किसी भी महिला को करना पड़ सकता है इस समस्या का सामना, हम बता रहे हैं इसके कारण

उम्र के अलग-अलग पड़ाव पर आपके स्तनों के आकार में बदलाव देखा जा सकता है। वहीं कुछ ऐसी समस्याएं भी हैं, जो आपको असहज कर सकती हैं। ऐसी ही एक समस्या है स्तनों में होने वाला दर्द।
Updated On: 10 Mar 2023, 06:01 pm IST
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स्तनों में दर्द पीरियड के दौरान या इससे पहले आम है, पीरियड आने से एक सप्ताह पहले कई महिलाएं अपने स्तनों में दर्द महसूस करती है। चित्र अडोबी स्टॉक

स्तनों का कोमल होना या दर्द (mastalgia) कभी न कभी हर महिला इसका अनुभव करती है। स्तनों में दर्द ब्रेस्ट के ऊतकों में कोमलता, चुभन, जलन दर्द या जकड़न जैसी चीजें महसूस करता है। स्तनों में दर्द की समस्या कभी-कभी या फिर लगातार भी हो सकती है। पुरुष और महिला दोनों को ये दर्द हो सकता है लेकिन महिलाओं में यह अधिकतर देखा गया है।

स्तनों में दर्द पीरियड के दौरान या उससे पहले आम है, पीरियड आने से एक सप्ताह पहले कई महिलाएं अपने स्तनों में दर्द महसूस करती है। इस प्रकार के कभी कभी होने वाले और सिर्फ पीरियड के दौरान होने वाले ब्रेस्ट पेन को दवाइयों और जीवनशैली में बदलाव करके ठीक किया जा सकता है। 30 से 50 के उम्र की महिलाओं में ये दर्द आम है। स्तनों में दर्द का मतलब हमेशा स्तनों में कैंसर का वजह से नही होता है इसके कई और भी कारण हो सकते है। ब्रेस्ट कैंसर में स्तनों में गांठ बन जाती है लेकिन स्तनों में दर्द मात्रा से ही यह कैंसर नहीं होता है।

दो प्रकार के होते है ब्रेस्ट पेन

ब्रेस्ट पेन हो तरह के होते है साइक्लिक (cyclical) और नॉन साइक्लिक ( non cyclical)
साइक्लिक का मतलब है कि ये दर्द पीरियड से जुड़ा है। पीरियड के दौरान या उससे पहले ये दर्द होता है और उसके बाद ठीक हो जाता है या खत्म हो जाता है। यह दर्द आम हर महिला अपने जीवन काल में इस दर्द का सामना करती है।

नॉन साइक्लिक दर्द सामान्य नही होते है। यह दर्द पीरियड के समय होने वाले दर्द से अलग होते है। इनके कारण को पता चलना आसान नहीं होता है। ये दर्द ब्रेस्ट में न होकर मांसपेशियों और उत्तकों में होता है। यह दर्द गंभीर भी हो सकता है।

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1 हार्मोन में बदलाव होने पर

पीरियड के दौरान या हार्मोन में बदलाव, उतार चढ़ाव के कारण स्तनों में दर्द की समय होती है। मेनोपॉज और हार्मोन थेरेपी कराते समय भी हार्मोन में उतार चढ़ाव होता है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन में बदलाव भी स्तनों में सूजन, गांठ और दर्द की वजह बनते है।
किसी किसी को प्रीमेनोपॉज़, पेरिमेनोपॉज और पोस्ट मेनोपॉज के दौरान दर्द का अनुभव होता है जो की मेनोपॉज के बाद खत्म हो जाता है।

periods mei kyu hota hai breast pain
मासिक धर्म के समय स्तन में होने वाले दर्द को मास्टलगिया कहा जाता है। मेंस्ट्रुअल साईकिल के दौरान होने वाली ब्रेस्ट पेन के पीछे कई कारण है। चित्र अडोबी स्टॉक

2 स्तनों में गांठ होने पर

जैसे जैसे उम्र बढ़ती है स्तनों में वसा उत्तकों को बदल देता है। जिससे स्तनों में जुड़ाव महसूस होता है। इस कारण स्तनों में सिस्ट और रेशेदार उत्तक विकसित हो जाते है जिन्हें फाइब्रोसिस्टिक स्तन ऊतक कहा जाता है। फाइब्रोसिस्टिक स्तन में दर्द नहीं होता है लेकिन कुछ परिस्थितियों में दर्द हो सकता है। यह चिंता का विषय नहीं होते है।

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3 स्तनपान कराने के दौरान

स्तनपान कराने से भी महिलाओं के स्तनों में दर्द महसूस होता है। इसके तीन कारण हो सकते है। स्तनों में सूजन होना, स्तनों का पूरी तरह से भरा होना और बच्चे का गलत तरीके से निप्पल पकड़ना।

मास्टिटिस जिसे दूध की नली में सूजन से जाना जाता है। स्तन का नालियों में सूजन और संक्रमण के कारण स्तनपान कराने के दौरान सूजन हो सकती है। स्तनपान के समय दर्द होने का दूसरा कारण है कि इंगोर्जमेंट जिसमें स्तन दूध से पूरी तरह भरे होते है। स्तनों के भरे होने पर स्तनों काफी बड़े, कठोर और दर्द भी होता है।

तीसरा कारण होता है कि आपका बच्चा ठीक से निप्पल नहीं पकड़ रहा हो या आप लैच नहीं कर रही हो ये भी स्तनों और निप्पल में दर्द का कारण होता है।

पीरियड के दौरान या हार्मोन में बदलाव, उतार चढ़ाव के कारण स्तनों में दर्द की समयस्या होती है।

4 ब्रा की खराब फिटिंग

अगर आपकी ब्रा का साइज गलत है तो यह आपके ब्रेस्ट और कंधे में दर्द का कारण बन सकती है। यदि आपकी स्ट्रैप ज्यादा टाइट है तो आपको कंधों में दर्द का अनुभव हो सकता है। कप का साइज, गैर, कप ज्यादा टाइट होने के कारण भी आपको स्तनों में दर्द महसूस हो सकता है इसलिए ये जरूरी है कि आपको अपने ब्रा का सही साइज पता हो ताकि आपको दर्द न हो।

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डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
संध्या सिंह
संध्या सिंह

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं।

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