पीरियड क्रैम्प्स कुछ महिलाओं के लिए असहनीय होते हैं, इससे बचने के लिए महिलाएं Painkiller ले लेती है जो उनके स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। मगर कुछ महिलाएं ऑफिस जाने के लिए, काम करने के लिए या कई दूसरी वजहों से दर्द से बचने के लिए दर्दनिवारक (Painkiller) दवाओं का इस्तेमाल करते है। तो आज हम आपको बताते है ऐसे कुछ घरेलू नुस्खे जिस पर डॉक्टर भी विश्वास करते है। जिसका इस्तेमाल करके आप आसानी से दर्द से राहत पा सकते है।
आमतौर पर कुछ लोगों की ये अवधारणा होती है कि लड़कियों या महिलाओं को पीरियड के दौरान पेट में दर्द खून की कमी के कारण होता है। इसलिए उन्हें आयरन की टेबलेट लेने की भी सलाह दी जाती है।
इसी को जानने के लिए हमने बात की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. पूजा दिवान से। उन्होंने बताया कि,’ एक केमिकल होता है प्रोस्टाग्लैंडिंस। जिसकी मात्रा पीरियड के समय बढ़ जाती है जिससे दर्द होता है। दूसरा कारण है कि गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) या Mouth of the Uterus टाइट है, तो ब्लड को बाहर निकलने में तकलीफ होती है। जिससे क्रैम्प्स होते हैं।
ऐसा माना जाता है कि डिलीवरी के बाद पीरियड के दौरान दर्द कम हो जाता है। पर ये जरूरी नहीं है। इसके अलावा अगर किसी को रसौली, पॉलीप्स, ट्यूमर की समस्या है तो उसे ये दर्द हो सकता है।’
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन यूनाइटेड स्टेट्स अनुसार डॉक्टर दो प्रकार के पीरियड दर्द बताते है, जिन्हें प्राइमरी और सेकेंडरी डिसमेनोरिया कहा जाता है। प्राथमिक डिसमेनोरिया वह जगह है जहां मासिक धर्म का दर्द केवल गर्भ की मांसपेशियों के संकुचन के कारण होता है।
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प्रोस्टाग्लैंडिंस नामक हार्मोन जैसे पदार्थ यहां महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्राथमिक डिसमेनोरिया 30 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं और मासिक धर्म दौरान हैवी ब्लीडिंग होती है उन महिलाओं में ये नॉर्मल है।
मासिक धर्म का दर्द जो मांसपेशियों के संकुचन के अलावा किसी अन्य कारण से होता है, उसे सेकेंडरी डिसमेनोरिया कहा जाता है। गर्भ में (गैर-कैंसर) (non-cancerous) वृद्धि, जैसे कि फाइब्रॉएड या पॉलीप्स, अक्सर सेकेंडरी डिसमेनोरिया के लिए जिम्मेदार होते हैं। गंभीर पीरियड दर्द एंडोमेट्रियोसिस के कारण भी हो सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस में, ऊतक का प्रकार जो गर्भ (एंडोमेट्रियम) को रेखाबद्ध करता है, पेट में कहीं और भी बढ़ता है। कभी-कभी गर्भनिरोधक कॉइल (IUDs: intrauterine devices) भी सेकेंडरी डिसमेनोरिया का कारण बन सकते हैं।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. पूजा दिवान ने कुछ ऐसे नुस्खे बताए हैं , जो हानिरहित हैं। आप इन्हें बिना किसी टेंशन के पीरियड्स में आजमा सकती हैं।
पीरियड्स के दौरान आप ज्यादा से ज्यादा गर्म पानी पी सकती हैं। कोशिश करें कि अपने आप को भी गर्म रख सकें।
पेट पर गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड रखने से मांसपेशियों को आराम मिल सकता है और ऐंठन से राहत मिल सकती है। कमर दर्द से छुटकारा पाने के लिए पीठ के निचले हिस्से पर हीटिंग पैड भी रख सकती हैं। चाहें तो गर्म पानी से नहा सकती हैं, जो पेट, पीठ और पैरों की मांसपेशियों को आराम देने में मदद कर सकता है।
दर्द के दौरान जोरदार व्यायाम फायदेमंद नहीं हो सकता है, लेकिन कोमल स्ट्रेचिंग, टहलना या योग करने से मदद मिल सकती है। व्यायाम से एंडोर्फिन भी निकलता है, जो प्राकृतिक दर्द निवारक हैं।
ताइवान के एक अध्ययन में पाया गया कि 12 सप्ताह की दो बार साप्ताहिक योग कक्षाओं ने अध्ययन प्रतिभागियों में मासिक धर्म की ऐंठन को कम किया।
रात भर जीरे को पानी में भिगोकर सुबह उबालकर उसका पानी पिएं इससे भी पीरियड क्रैम्प में राहत मिलती है।
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