प्रेगनेंसी में महिलाओं के शरीर में कई बदलाव देखने को मिलते हैं। बॉडी वेट से लेकर त्वचा एवं बालों से जुड़ी समस्या, यहां तक कि योनि यानी की वेजाइना में भी कई बदलाव आते हैं। खासकर प्रेगनेंसी में महिलाएं वेजाइनल संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं। इसलिए इस दौरान योनि को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। महिलाओं द्वारा बरती गई छोटी सी लापरवाही भी उन्हें गंभीर योनि संक्रमण का शिकार बना सकती है।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर अधिक गंभीरता से समझने के लिए सीके बिरला हॉस्पिटल गुरुग्राम की ऑब्सटेट्रिक्स और गाइनेकोलॉजिस्ट आस्था दयाल से बात की। डॉक्टर ने प्रेगनेंसी के दौरान योनि संवेदनशीलता का कारण बताते हुए, वेजाइना के देखभाल के कुछ जरूरी टिप्स दिए हैं। यदि आप प्रेगनेंट हैं, या कंसीव करने का सोच रही हैं, तो इस लेख को जरूर पढ़ें।
डॉ आस्था दयाल के अनुसार “गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में कई शारीरिक परिवर्तन होते हैं, जिससे वे योनि संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं। गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल संतुलन बदल जाता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है, जो सामान्य वेजाइनल फ़्लोरा को प्रभावित करती है। हार्मोन में यह परिवर्तन यीस्ट और अन्य पैथोजेन्स के विकास को बढ़ावा देता है, जिससे कैंडिडिआसिस या यीस्ट संक्रमण जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
“इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान, वेजाइनल डिस्चार्ज में वृद्धि से योनि के आसपास एक नम वातावरण बनता है, जो यीस्ट और अन्य बैक्टीरियल ग्रोथ के लिए अनुकूल होता है। ऐसे में वेजाइना अधिक फ्रीक्वेंटली संक्रमित हो सकती है। ग्रोइंग फ़ीटस का समर्थन करने के लिए, इम्युनिटी में भी बदलाव आता है, जिसकी वजह से संक्रमण से लड़ने की शारीरिक क्षमता प्रभावित हो सकती है।”
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“प्रेगनेंसी में अधिक फ्रीक्वेंटली यूरिन पास करने की इच्छा होती है, ऐसे में कई बार महिलाएं इसे होल्ड कर लेती हैं, जो योनि तक फैलने वाले यूटीआई के जोखिम को बढ़ा सकता है। ब्लैडर पर विकासशील गर्भाशय के तनाव के कारण महिलाओं को यूरिनरी स्टासिस का सामना करना पर सकता है, जब महिलाएं अपने ब्लैडर को पूरी तरह से खली नहीं कर पति हैं और उनमें यूटीआई सहित अन्य वेजाइनल संक्रमण का खतरा बढ़ जता है।”
डॉक्टर आस्था दयाल के अनुसार इन सुझावों का पालन कर गर्भावस्था से संबंधित योनि संक्रमण से बचा जा सकता है:
प्रेगनेंसी के दौरान इन्फेक्शन से बचाव के लिए इंटिमेट एरिया को पूरी तरह से क्लीन रखना जरुरी है। इसे साफ़ करने के लिए पानी और माइल्ड, फ्रेग्नेंस फ्री साबुन का उपयोग करें। डूशिंग से बचना चाहिए क्योंकि यह योनि वनस्पतियों के सामान्य संतुलन को बिगाड़ सकता है।
नम कपडे, जैसे कि स्विमसूट या पसीने से तर व्यायाम पोशाक को तुरंत बदल दें, ताकि योनि में नमी का वातावरण न बने, जो बैक्टीरिया और यीस्ट के ग्रोथ को बढ़ावा देता है। इसके अलावा बाथरूम के बाद वेजाइना को पानी से क्लीन करने के बाद, उसे टिश्यू से अच्छी तरह ड्राई कर लें।
बैक्टीरिया को एनस एरिया से योनि में जाने से रोकने के लिए, बाथरूम यूज करने के बाद हमेशा आगे से पीछे की ओर पोंछें। दिन में एक बार एनस एरिया को पानी से जरूर साफ़ करें।
बॉडी टॉक्सिन्स भी कई बार संक्रमण का कारन बन सकती है, ऐसे में प्रेगनेंसी में इन्हे बाहर निकालने और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर खुदको हाइड्रेटेड रखें।
यदि प्रेगनेंसी में आपको अधिक डिस्चार्ज हो रहा है, तो सबसे पहले डॉक्टर से मिल स्थिति की जांच करें। यदि यह समान्य है, तो आपको इसे पैंटी पर लगा नहीं छोड़ना है, अन्यथा इससे प्यूबिक एरिया में नमी बानी रहती है। ऐसे में इसे समय समय पर क्लीन करें और वेजाइना को ड्राई रखने की कोशिश करें।
प्रेगनेंसी में अक्सर ब्लड शुगर लेवल में उतार चढाव आ सकता है, जिसके कारण योनि संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करना जरूरी है। वहीं यदि ये असंतुलित रहती है, तो इसे नियमित रखने के लिए जरूरी टिप्स को फॉलो करें।
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