जब हमारे सामने टीन एजर बच्चों को सेक्स के बारे में बताने का मुद्दा आता है, तो हम इधर-उधर देखने लगते हैं। जबकि इंटरनेट पर सेक्स के बारे में बहुत सारी सामग्री मौजूद होती है। क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि हार्मोनल परिवर्तनों के साथ आपका बच्चा इस विषय पर अधिक जानने के लिए उत्सुक महसूस कर सकता है? वेब पर मौजूद सामग्री सेक्स को गलत तरीके से चित्रित करती है। ऐसी स्थिति में बच्चे के गलत ढंग से प्रभावित होने की आशंका बहुत अधिक बढ़ जाती है। हमें टीनएजर्स के सेक्स एजुकेशन (Sex education for teens) के महत्व को समझना चाहिए।
किशोरों के बीच यौन शिक्षा के महत्व को समझने के लिए हेल्थ शॉट्स ने क्लिनिककल साइकोलॉजिस्ट डॉ. कामना छिब्बर और डॉ. स्मिता वासुदेव से बात की।
हर बच्चे को अपने शरीर, युवावस्था में अनुभव होने वाले परिवर्तनों और उनकी बढ़ती सेक्सुअल नीड्स को समझने का अधिकार है।
इंटरनेट पर मौजूद सेक्सुअल कंटेंट जिस तरह से बच्चों तक पहुंचता है, किशोरों के बीच आकर्षण और सेक्सुअल एजुकेशन दोनों पहलुओं पर जागरूकता पैदा करना महत्वपूर्ण है।
डॉ. छिब्बर कहती हैं, “किशोरों को सेक्स के बारे में बताने और उनके शरीर में हो रहे परिवर्तनों को समझने में मदद करने से उन्हें चीजों को समझने और उन्हें संसाधित करने में मदद मिलती है। यह मिथ्स को बढ़ने से भी रोकता है। बच्चे या युवा झूठी धारणाओं से बच पाते हैं।”
सेक्स के बारे में बातचीत सिर्फ एक बार नहीं की जानी चाहिए। पेरेंट्स को लगातार बातचीत करते रहना चाहिए। पेरेंट्स घर में ऐसा माहौल बनाएं, जिसमें बच्चों को अपने प्रश्न पूछने और शंकाओं-असुरक्षाओं का समाधान करने में दिक्कत न हो।
डॉ. वासुदेव के अनुसार, “यह किशोरों को अपने किशोरावस्था में सुरक्षित और सही निर्णय लेने में मदद करता है। उन्हें अनचाही टीन प्रेगनेंसी की कठिनाइयों और चुनौतियों के बारे में जानने को मिलता है। इसलिए वे उनसे बचते हैं।”
यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि सही उम्र में बच्चे को सेक्स एजुकेशन उचित तरीके से मिले। बच्चे अच्छे या बुरे स्पर्श के बीच अंतर करना सीख सकें। यह उन्हें किसी भी तरह के यौन शोषण या हिंसा के शिकार होने से बचा सकता है। बड़े लोगों से अपनी चिंताओं को साझा करने, प्रश्न पूछने और चल रही बातचीत में शामिल होने के लिए टींस की मदद करने में यह पहल करनी चाहिए।
जब आपका बच्चा अपने शरीर के बारे में ठीक से जागरूक होगा, तभी वह प्रजनन स्वास्थ्य और यौन स्वच्छता की तरह अच्छी देखभाल कर पाएगा। साथ ही यह उन्हें सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज होने की संभावना के बारे में भी शिक्षित करेगा।
यदि वे किसी के साथ यौन संबंध बनाने की योजना बनाएं, तो उनसे पहले से सारी जानकारी होनी चाहिए। तभी वे क्या करें और क्या न करें, जान पाएंगे।
प्यूबर्टी में एक बच्चा अपने शरीर में बहुत सारे बदलावों से गुजरता है। सही सेक्स एजुकेशन न केवल सेक्स की बेसिक बातें समझने में मदद करती है, बल्कि उनके शरीर में हो सरहे डेवलपमेंट को समझने में भी मदद करती है। वे अनचाहे सेक्स को ना कहना सीख पाएंगे।
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