वेजाइना बॉडी का एक सेंसिटिव पार्ट है। वहां पर होने वाली मामूली बदलाव हमारी चिंता का कारण बन जाते हैं। बहुत सी महिलाओं को स्किन पीलिंग यानि योनि की त्वचा छिलने की शिकायत रहती है। बहुत से कारणों से महिलाएं इस समस्या का शिकार हो जाती है। यीस्ट इन्फ़ैक्शन से लेकर एटोपिक डर्माटाइटिस इस परेशानी का मुख्य कारण साबित होते हैं। जानते हैं इस बारे में क्या कहती हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ। आइए जानें वेजाइनल स्किन पीलिंग (vaginal skin peeling) के कारण, लक्षण और इससे बचने के उपाय।
इस बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रितु सेठी बताती हैं कि वेजाइनल पीलिंग (vaginal peeling) यानि योनि के आसपास की स्किन का छिलना। ऐसे कई कारण होते हैं, लिसके चलते स्किन उतरने लगती है। बार बार योनिं के आसपास खुजली करना स्किन पीलिंग का मुख्य कारण है। दरअसल, किसी संकमण की चपेट में आने से स्किन पर रैशेज बनने लगती है। इससे दर्द, जलन और खुजली का होना स्वाभाविक है।
बार बार योनि में खुजली महसूस होना
यूरिन पास करते वक्त जलन का अनुभव
स्किन पर रैशेज का बन जाना और त्वचा पर लालिमा आना
वेजाइनल डिसचार्ज होना
एक्जिमा के कई प्रकार होते है। उन्हीं में से एक है एटोपिक डार्माटाइटिस, जो कई बार खान पान या कपड़ों से होने वाली एलर्जी के कारण सि्ेकन पर उभरने लगता है। इसमें त्वचा पर जगह जगह लाल रंग के रैशेज उभरने लगते हैं। उनमें लगातार खुजली बनी रहती है। जो स्किन में रूखापन बढ़ देता है। इससे स्किन के छिलने या उतरने का भय रहता है। इस स्थिति में डॉक्टरी जांच अवश्य कराएं।
नेशनल सोरायसिस फाउंडेशन के अनुसार सोरायसिस की समस्या जेनिटल्स को प्रभावित करती है। दरअसल, ये एक प्रकार की क्रानिक ऑटो इम्यून कंडीशन है। इसमें स्किन सेल्स तेज़ी से बढ़ते हैं जो त्वचा पर प्लाक बनाते हैं। इससे जेनिटल्स पर सोराटिक घाव बनने लगते हैं। सोरायसिस दो प्रकार का होता है। इनवर्स सोरायसिस और प्लाक सोरायसिस।
महिलाओं में सेक्सुअल रिलेशन बनाने और हाइजीन का ख्याल न रख पाले के चलते यीस्ट इन्फ़ैकशन की शिकायत बढ़ने लगती है। एनीसबीआई के रिसर्च के मुताबिक यीस्ट इन्फ़ैकशन कैंडिडा फंगस के कारण बढ़ने लगता है। अपनी लाइफटाइम में करीबन सभी महिलाओं को इस समस्या से कभी न कभी होकर गुज़रना पड़ता है। इससे वेजाइना का पीएच लेवल गड़बड़ाने लगता है, जो इचिंग, जलन और दर्द का कारण साबित होते हैं। इससे बचने के लिए डॉक्टरी उपचार के अलावा इंटिमेट हाइजीन को बनाए रखना ज़रूरी है।
इसमें व्यक्ति के जेनिटल्स पर बारीक दाने महसूस होने लगते हैं। कई बार कपड़ों को उचित प्रकार से न धोने के कारण ये समस्या बढ़ने लगती है। कपड़ों में से साबुन पूरी तरह से न निकलना इंफैक्शन का कारण बन जाता है। इससे स्किन पर खुजली और लाल निशान दिखने लगते हैं।
अगर आप जलन और इचिंग महसूस कर रही हैं, तो ज्यादा टाइट कपड़े पहनने से बचें। इससे स्कीन ब्रीदएबल नहीं रहती है।
देर तक गीले कपड़े पहनकर न घूमें और बैठें। योनि के गीला रहने से बैक्टीरियल इंफैक्शन का खतरा तेज़ी से बढ़ने लगता है।
सेक्स के बाद वेजाइना को अवश्य क्लीन करें। इससे इंटिमेट हाइजीन बनी रहती है।
दानों में लगातार होने वाली खुजली से राहत पाने के लिए वेजाइना पर बर्फ से सिकाई करें। कोल्ड क्रप्रेंस इचिंग से निजात दिलाता है।
इसके अलावा डॉक्टरी सलाह से एंटी फंगल क्रीम या लोशन अप्लाई करें।
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