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Asthenozoospermia : जानिए क्या है सेलफाेन के ज्यादा इस्तेमाल से पुरुषों में होनी वाली यह यौन समस्या 

स्पर्म क्वालिटी प्रभावित होने पर भी महिलाओं को प्रेगनेंसी में दिक्कत होती है। आइये जानते हैं कि यह क्या है और इसमें किस तरह सुधार लाया जा सकता है।
तनाव कम करने से भी कम होती है ‘लो स्पर्म काउंट’ की समस्या। चित्र: शटरस्टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Published: 2 Oct 2022, 21:30 pm IST
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कभी-कभी लगातार प्रयास के बाद भी आप प्रेगनेंट नहीं हो पातीं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर स्त्री और पुरुष दोनों के स्वास्थ्य की जांच करते हैं। कई बार इनफर्टिलिटी की समस्या महिला में हाेती है, तो कई बार पुरुषों में। पुरुषों में होने वाली ऐसी ही एक समस्या है एस्थेनोज़ोस्पर्मिया (Asthenozoospermia)। जिसके चलते उनके स्पर्म की क्वालिटी इतनी गिर जाती है कि वह एक अंडे को फर्टाइल नहीं कर पाते। आइए जानते हैं एस्थेनोज़ोस्पर्मिया (Asthenozoospermia) के बारे में और भी विस्तार से। 

एस्थेनोज़ोस्पर्मिया (Asthenozoospermia) क्या है

जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल मेडिसिन पत्रिका में वर्ष 2020 में स्पर्म मोटीलिटी रिसर्च पर आधारित आलेख को प्रकाशित किया गया। इसमें पुरुष बांझपन(Male Infertility) के कई कारणों में से एक कारण एस्थेनोज़ोस्पर्मिया को बताया गया।  इसमें स्पर्म माइटोकोंद्रिअल फंक्शन प्रभावित हो जाती है। 

इससे शुक्राणु गतिशीलता (Sperm Motility) घट जाती है, यानी 40% से भी कम हो जाती है। अधिकांश मामलों में इस हानि के पीछे आणविक तंत्र (Molecular Mechanism) को पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है।

रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पेशीज(Reactive Oxygen Species)

इसके पीछे की वजह रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पेशीज (Reactive Oxygen Species) को माना गया है। स्पर्म मोटिलिटी प्रभावित होने के कारण सीमेन में मलोंडीअल्डीहाइड कंसंट्रेशन बाधित हो जाता है।

एस्थेनोज़ोस्पर्मिया के कारण पुरुषों में कोई बाहरी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। अधिकांश मामलों में इसका निदान इनफर्टिलिटी ट्रायल में ही किया जाता है। एग फर्टिलिटी की असमर्थता ही एस्थेनोज़ोस्पर्मिया का सबसे सबसे बड़ा लक्षण है।

लो स्पर्म क्वालिटी की इस समस्या में जिंक थेरेपी है कारगर

एस्थेनोज़ोस्पर्मिया वाले पुरुषों में स्पर्म मोटिलिटी में  सुधार लाने में अहम भूमिका निभा सकती है जिंक थेरेपी।  एंटीऑक्सिडेंट के रूप में इसकी झिल्ली को स्थिर करने में मदद करता है जिंक। साथ ही यह  एंटीस्पर्म एंटीबॉडी और टी एन फाल्फा (TN Falpha) के लेवल  को कम करता है और आईएल -4 को बढ़ा देता है। इससे सेलुलर और ह्यूमर इम्युनिटी प्रभावित होती है।

 यहां हैं एस्थेनोज़ोस्पर्मिया को नेचुरल तरीके से ठीक करने के 4 उपाय

लाइफ स्टाइल में बदलाव लाकर स्पर्म मोटिलिटी को बढाया जा सकता है।  

1 आहार में जिंक फ़ूड को बढ़ावा देकर

पार्टनर के आहार में जिंक, सेलेनियम, विटामिन बी 12 वाले फ़ूड को शामिल करें। इससे स्पर्म काउंट और मोटीलिटी दोनों इमप्रूव होती है। बीफ, सालमन, सारडाइन जैसी मछलियों, ओएस्टर को आहार में शामिल करें।  लेकिन पार्टनर का वेट कभी नहीं बढ़ने दें। ओबेसिटी के कारण स्पर्म काउंट प्रभावित होते हैं।

2 एक्सरसाइज को शामिल करें रूटीन में

नियमित रूप से एक्सरसाइज करने पर आपका वेट कंट्रोल रहता है। शारीरिक समस्याएं भी दूर होती हैं। पब मेड सेंट्रल की स्टडी बताती है की नियमित एक्सरसाइज से स्पर्म मोटीलिटी रेट में सुधार होता है।

3 अल्कोहल और स्मोकिंग को कहें नो

स्टेनफोर्ड युनिवर्सिटी की स्टडी बताती है कि अल्कोहल और स्मोकिंग स्पर्म मोर्फोलोजी और स्पर्म प्रोडक्शन को प्रभावित करती है। अल्कोहल और स्मोकिंग दोनों के कारण सीमेन क्वालिटी भी घाट जाती है। इसलिए पार्टनर से इन दोनों नशा से तौबा करने को कहें।

फर्टिलिटी के लिए पार्टनर को स्मोकिंग नहीं करने कहें। चित्र:शटरस्टॉक

 4 सेलफोन एक्सपोज़र को कम करें

 वर्ष 2016 की पबमेड सेंट्रल की रिसर्च रिपोर्ट बताती है की मोबाइल फोन से निकला इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन माइटोकोंद्रिआ को  प्रभावित करता है। इससे स्पर्म लेवल डिफेक्टिव हो जाती है। जितना संभव हो सके पार्टनर स्पर्म क्वालिटी को बनाये रखने के लिए सेलफोन एक्सपोज़र को कम करने का प्रयास करें। 

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टीम हेल्‍थ शॉट्स

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