प्यूबर्टी (Puberty) शारीरिक परिवर्तन की प्रक्रिया है, जिससे हर कोई गुज़रता है। लड़कियों में पीरियड्स (periods)के साथ इसकी शुरुआत हो जाती है और लड़कों में उनके पीनस साइज़ बढ़ने जैसे कई लक्षण देखने को मिलते हैं। क्लीवलैंड क्लीनिक के अनुसार लड़कियों में प्यूबर्टी 11 और लड़कों में 12 साल में शुरू हो जाती है। यह प्रक्रिया आगे चलकर दोनों की प्रजनन प्रक्रिया को प्रभावित करती है। मगर आजकल बिगड़ती जीनशैली की वजह से लड़कियों में यह उम्र घटकर 8 हो गई है।
अगस्त में जर्नल फ्रंटियर्स इन पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित एक पेपर, ने पाया कि 2016 और 2021 के बीच अर्ली प्यूबर्टी (Early puberty) से पीड़ित लड़कियों की संख्या 2020 के बाद दोगुनी हो गई। यह न सिर्फ भारत में बल्कि कई अन्य देशों में भी देखने को मिल रहा है।
यह आंकड़े काफी हैरान कर देने वाले हैं, लेकिन आखिर इसकी वजह से क्या हो सकती है, यह समझना बहुत ज़रूरी है। तो चलिये जानते हैं कि क्या हो सकते हैं हैं इसके कारण। मगर उससे पहले जान लेते हैं क्या होती है नॉर्मल प्यूबर्टी (normal puberty)
प्यूबर्टी तब होती है जब बच्चों के शरीर युवा वयस्क शरीर में विकसित होने लगते हैं। जब आपकी बेटी प्यूबर्टी से गुजरना शुरू करती है, तो उसकी ग्रंथियां हार्मोन छोड़ती हैं। ये हार्मोन प्यूबर्टी के पहले लक्षणों का कारण बनते हैं, जैसे स्तन बढ़ना, शरीर की गंध, बगल के बाल, प्यूब्स और पिंपल। फिर समय के साथ उनके मासिक धर्म की शुरुआत होती है।
कई बार इस तरह की प्यूबर्टी नॉर्मल होती है। मगर कई बार एड्रेनल ग्लैंड में किसी तरह की कमी के कारण भी जल्दी प्यूबर्टी हो सकती है।
इस तरह की प्यूबर्टी या तो किसी तरह के इलाज के कारण हो सकती है। या फिर शरीर हॉर्मोनल बदलाव के कारण होती है।
मेयो क्लीनिक के अनुसार कई बार ऐसा देखा गया कि जिन लड़कियों का लाइफस्टाइल ज़्यादा एक्टिव नहीं होता है। साथ ही, जो अपने खानपान का ख्याल नहीं रखती हैं उनमें अर्ली प्यूबर्टी के चांस बढ़ जाते हैं।
तुर्की की गाजी यूनिवर्सिटी और अंकारा सिटी हॉस्पिटल के वैज्ञानिकों ने 18 चूहों पर अध्ययन किया। जिसमें यह सामने आया कि जिन चूहों ने लाइट के सामने ज्यादा वक्त बिताया, वे दूसरों के मुकाबले जल्दी मैच्योर हो गए।
अध्ययन के अनुसार डिवाइस की स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट शरीर में मेलाटोनिन हॉर्मोन की मात्रा को घटा सकती है जिसके कारण रिप्रोडक्शन में काम आने वाले हॉर्मोन्स की मात्रा भी बढ़ सकती है, जिससे अर्ली प्यूबर्टी हो सकती है।
इसलिए यदि आपकी बेटियां छोटी हैं, तो उनकी सेहत का खास ख्याल रखें और उन्हें बचपन से ही स्वस्थ तरीके जीवन जीने के लिए प्रोतसाहित करें।
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