पीरियड्स के दौरान अक्सर मूड स्विंग होना, चिड़चिड़ापन और चिंताग्रस्त रहने जैसे लक्षण महिलाओं में दिखने लगते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि पीरियड साइकिल शुरू होने से पहले गर्ल्स में दिखने वाले ऐसे ही लक्षण प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर की ओर इशारा करते हैं। दरअसल, शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव इस समस्या का कारण बन जाते हैं। इससे गर्ल्स को गुस्सा आना, बात बात पर रोना, मन उदास रहना और मूड में उतार चढ़ाव देखने को मिलता है। जानते हैं कि प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (Premenstrual Dysphoric Disorder ) क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है।
प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (Premenstrual Dysphoric Disorder) यानि पीएमडीडी पीरियड साइकिल से एक सप्ताह या कुछ दिन पहले होने वाली एक ऐसी समस्या है, जिसमें महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव आने लगते हैं। ऐसी अवस्था में शरीर में सेरोटोनिन हार्मोन की कमी होने लगती हैं। इससे ब्लड वैसल्स संकुचित होने लगती हैं। इसका असर मेंटल हेल्थ पर दिखता है। जो मूड सि्ंवग की समस्या का कारण बन जाता है। ऐसे में महिलाएं छोटी छोटी बातों पर रिएक्ट करती है और अपने इमोशंस को नियंत्रित नहीं कर पाती हैं।
पीठ, कमर और पेट में ऐंठन का एहसास
बार बार जी का मचलाना
एक्ने और ब्लैक हेड्स की समस्या का बढ़ जाना
सिरदर्द और चक्कर आने की शिकायत करना
शरीर में कमज़ोरी महसूस होना
घबराहट होना और भूख कम लगना
किसी भी बात पर रिएक्ट करना
दूसरों को नकारात्मक दृष्टि से देखना
बात करते करते भूल जाना
मायूस होकर एकांत में बैठना
मूड स्विंग की समस्या का बढ़ जाना
हर वक्त डिप्रेस रहना और अन्य लोगों को अवॉइड करना
अमेरिकन जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी मेंपब्लिश एक रिसर्च के अनुसार वे महिलाएं जो रेगुलर स्मोकिंग करती हैं। उनमें पीएमडीडी के बढ़ने का जोखिम बना रहता है। वे महिलाएं, जो 15 साल की उम्र से पहले स्मोकिंग करना शुरू कर देती हैं। उनमें पीएमडीडी का रिस्क बढ़ जाता है।
साइकॉलोजिकल मैक के मुताबिक वे महिलाएं, जो पहले से ही किसी मूड डिसऑर्डर, डिप्रेशन या तनाव से जूझ रही है। उसमें पीएमडीडी की संभावना बढ़ जाती है। रिसर्च के मुताबिक 50 फीसदी महिलाओं में से 30 महिलाएं, ऐसी है, जो पहले से डिप्रेसिव डिसऑर्डर (depressive disorder) का शिकार थीं।
शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंज़िस इस समस्या का कारण बन जाते हैं। बॉडी में आवेल्यूशन के बाद और पीरियड साइकिल से पहले एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोस में उतार चढ़ाव बढ़ने लगता है। इसका असर मेंटल हेल्थ पर भी दिखने लगता है। इसके कारण शरीर में कई शारीरिक और मानसिक लक्षण नज़र आने लगते हैं।
शरीर को मज़बूती प्रदान करने और एक्टिव रखने के लिए आहार में प्रोटीन भरपूर मात्रा में लें। इससे मसल्स क्रैंपस और थकान की समस्या कम होने लगती हैं। इसके अलावा अत्यधिक शुगर और सॉल्ट इनटेक को कम करें।
बॉडी को हेल्दी बनाए रखने के लिए फाइबर से भरपूर मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करें। इससे घबराहट और चिड़चिड़ापन दूर होने लगता है। साथ ही शरीर हेल्दी और फिट बना रहता है।
खुद को स्ट्रेस फ्री रखने के लिए नियमित तौर पर व्यायाम करें। कुछ योगासन पेल्विक फलोर मसल्स को हेल्दी बनाने में सहायक होते हैं। इसके अलावा मानसिक तनाव से बचने के लिए कुछ देर की गई मेडिटेशन आपको लाभ पहुंचा सकती है।
शरीर में बढ़ रहे तनाव को नियंत्रित करने के लिए कुछ देर अपनी पसंदीदा गतिविधियों को करने में व्यतीत करें। इससे आपके शरीर में हैप्पी हार्मोस रिलीज़ होंगे, जो आपको पीएमडीडी से बचाने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ वक्त प्रकृति के नज़दीक बिताएं और दोस्तों से मिलें जुलें।
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