पीरियड्स (periods) के दिनों में महिलाओं को कई समस्याओं से होकर गुज़रना पड़ता है। अगर आप तनाव में है, तो ये समस्याएं विकराल रूप धारण कर लेती है। दरअसल, छोटी छोटी बातों पर होने वाला तनाव हमारे जीवन को कई प्रकार से प्रभावित करता है। महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव और अनहेल्दी लाइफस्टाइल भी तनाव का कारण सिद्ध होते हैं। जानते हैं कि कैसे तनाव पीरियड साइकिल को बना देता है जटिल और खुद को इससे बचाने के लिए क्या करें (how stress affect period cycle)।
एनसीबीआई के अनुसार हाइपोथैलेमस मस्तिष्क का वो हिस्सा है जो पीरियड्स (periods) को नियंत्रित रखता है। स्लीप, एक्सरसाइज और फैमिली प्रोबलम्स को लेकर बेहद सेंसिटिव रहता है। अगर हाइपोथैलेमस पूर्ण रूप से अपना फंक्शन करता है, तो उससे रिलीज़ होने वाले कैमिकल्स पिट्यूटरी ग्रंथि को स्टीम्यूलेट करता है।
इससे बॉडी में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन (Progesterone hormone) प्रोडयूस होते हैं। वहीं जब आप तनाव में होते हैं। उस वक्त शरीर में कोर्टिसोल की मात्रा बढ़ जाती है। जो ओवरी और पिट्यूटरी गलैंण्ड को प्रभावित करता है। इससे पीरियड साइकिल (period cycle) गड़बड़ा जाती हैं।
अगर आप तनाव में रहती हैं, तो उसका असर ब्लड फ्लो पर भी दिखने लगता है। इससे न केवल आपकी पीरियड साइकिल (period cycle) डिस्टर्ब होती है बल्कि बल्ड फ्लो भी नियमित नहीं रहता है। जब आप किसी भी कारण से तनाव में चले जाते हैं, तो आपके माइंड से स्ट्रेस हॉर्मोन रिलीज़ होने लगते हैं, जो ओवरऑल बॉडी के फंक्शन को प्रभावित कर देता है। ऐसे में पीरियड साइकिल 2 से 3 दिन ही चलती है। जो अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण सिद्ध हो सकता है।
तनावग्रस्त रहने से पीरियड्स (periods) में असहनीय दर्द की शिकायत बढ़ने लगती है। पहले और दूसरे दिन महसूस होने वाले पीरियड क्रैंपस (period cramps) से निपटने के लिए लोग दवाओं का सहारा लेते हैं। इसके अलावा कुछ घरेलू नुस्खों से भी पेट में होने वाली ऐंठन को कम किया जा सकता है।
अगर आपकी पीरियड साइकिल 21 से 25 दिनों के फासले के बजाय 35 से 40 दिनों में हो रही है, तो ये भी अत्यधिक तनाव का संकेत हो सकता है। इसका असर रक्त प्रवाह पर भी दिखने लगता है।
तनाव के कारण बॉडी में रिलीज़ होने वाले कार्टिसोल हार्मोन (cortisol hormone) के चलते आपका शरीर थकान और आलस्य से भर जाता है। इसके अलावा ब्लोटिंग और सिरदर्द की समस्या भी बढ़ने लगती है। हार्मोनल इंबैलेंस शरीर में पीरियड्स के दिनों में थकान का कारण बनने लगता है।
बॉडी में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में कमी आने के चलते मासिक धर्म के दौरान मूड सि्ंवग बढ़ जाता है। इससे पीरियड के दौरान चिड़चिड़ापन बना रहता है। इस समस्या से बाहर आने के लिए रूटीन में व्यायाम अवश्य करें।
तनाव से खुद को दूर रखने के लिए हाइड्रेट रहना ज़रूरी है। इससे ब्रेन में ऑक्सीजन सप्लाई सुचारू रहती है, जो आपको चिंता और अवसाइ से बचाती है। इसके अलावा वाटर इनटेक (water intake) बढ़ाने से पीरियड्स में ब्लो फलो भी नियमित बना रहता है।
ऐसा अक्सर सुनने में आता है कि जैस तन वैसा मन। अगर आप डीप फ्राइड और स्पाइसी फूड खाते हैं, तो उससे आपके शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और पोषक तत्वों की पूर्ति नहीं हो पाती है। पीरियड साइकिल (period cycle) को नियमित रखने के लिए हेल्दी डाइट आवश्यक है।
दिनभर में कुछ मिनट की एक्सरसाइज़ आपके पूरे शरीर में संतुलन बनाए रखती है। इससे आपका ब्रेन हेल्दी रहता है, जिससे आपका शरीर उचित तरीके से फंक्शन करने लगता है। योग से पीरियड क्रैंपस और तनाव दोनों को ही आसानी से कम किया जा सकता है।
तनाव से मुक्त रहने के लिए समय से सोना ज़रूरी है। नींद पूरी न होने के चलते आप थकान का अनुभव करते हैं और ब्रेन हैप्पी हार्मोन रिलीज़ नहीं करता है। इससे बचने के लिए आप समय से सोएं और सुबह जल्दी उठकर कुछ वक्त व्यायाम करें।
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