बर्थ कंट्रोल पिल्स (Birth control pills) एक समय में सबसे ज्यादा प्रचलित काॅन्ट्रासेप्टिव मेथड था। 80 और 90 के दशक में 90 फीसदी महिलाएं गर्भ निरोध के लिए इनका इस्तेमाल करती थीं। मगर जैसे-जैसे महिलाओं में अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ी, उन्होंने गर्भनिरोधक गोलियों की बजाए दूसरे विकल्पों को प्राथमिकता देना शुरु कर दिया। इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय कंडोम हैं। मेल और फीमेल दोनों तरह की कंडोम उपलब्ध होने के बावजूद मेल कंडोम ही इस समय गर्भ निरोध का सबसे लोकप्रिय तरीका है। क्या वजह है कि अब ज्यादातर महिलाएं ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स अर्थात गर्भनिरोधक गोलियाें को लेना पसंद नहीं करती। एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से हमने जानें गर्भ निरोधक गोलियों (Birth control pills side effects) के स्वास्थ्य जोखिम।
अनचाहे गर्भ से बचने के लिए गर्भ निरोधक गोलियां एक विश्वसनीय माध्यम हुआ करती थीं। जो हर दिन नियमित रूप से लेने पर 99% प्रभावी होती हैं। इसके बावजूद महिलाएं इसे लेने से घबराती हैं। यह घबराहट बेवजह नहीं है। असल में इनके तात्कालिक (Birth control pills side effects) और लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट्स (Birth control pills long term side effects) किसी भी महिला को परेशान कर सकते हैं। इसलिए इन्हें सबसे कम पसंद किया जाने वाला गर्भनिरोधक उपाय माना जाता है। आइए जानते हैं क्या हैं गर्भनिरोधक गोलियों के नुकसान।
नारायणा हॉस्पिटल जयपुर में गायनेकोलॉजी एंड ऑब्सट्रिक्स डिपार्टमेंट में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मंजू गोयल, बताती हैं कि “ये एक प्रकार का ओरल काॅन्ट्रासेप्टिव मेथड है जो हार्मोन्स का उपयोग करके कन्सीव करने को रोकती है। ओरल का मतलब है कि इसे मुंह से लिया जाता है। काॅन्ट्रासेप्शन का मतलब गर्भधारण को रोकने का कोई भी तरीका।
बर्थ कंट्रोल पिल्स आपके हार्मोन को कंट्रोल करके कंसीव करने से रोकती हैं।चित्र- अडोबीस्टाॅक
इन गोलियों में ऐसे हार्मोन्स होते हैं जो पीरियड्स को कंट्रोल करते हैं, PMS के लक्षणों को कम करते हैं, ओवरी और यूट्रस के कैंसर का खतरा कम करते हैं, और एंडोमेट्रियोसिस का इलाज करते हैं। कई लोगों के लिए, यह गोली उनके दैनिक रूटीन का एक हिस्सा होती है। जब आप इन्हें रोज़, पूरे तरह से निर्धारित तरीके से लेते हैं, तो यह गर्भधारण को 99% तक रोकती हैं।”
डाॅ मंजू आगे समझाते हुए कहती हैं कि “यह गोलियां गर्भधारण को रोकने के लिए हार्मोन्स का उपयोग करती हैं, जो स्पर्म को एग्स के फर्टिलाइजेशन से रोकती हैं। ये आपकी यूट्रस में भी बदलाव लाती हैं ताकि आप गोली लेते समय कंसीव न करें।
यह ओव्यूलेशन को रोकती हैं या कम करती हैं। सर्विक म्यूकस को गाढ़ा करती हैं, जो स्पर्म को यूट्रस में जाने से रोकता है। आपकी यूट्रस की परत को पतला करती हैं ।”
वो इसके बारे मे सचेत करती हैं कि “काॅन्ट्रासेप्टिव पिल्स को डॉक्टर के परामर्श के साथ लिया जा सकता है लेकिन इन्हे ज्यादा खाना सेहत के लिए नुकसानदेय हो सकता है क्योंकि इसके कई स्वास्थ्य संबंधी जोखिम हो सकते हैं।
इन्हे लेने के बाद आपको ब्रेस्ट में सूजन या दर्द, हैवी ब्लीडिंग, मूड स्विंग, हल्का सिरदर्द और पेट दर्द जैसे लक्षणों का अनुभव भी हो सकता है। जो महिलाओं मे कमजोरी का कारण बन सकती हैं।
निम्नलिखित दुष्प्रभाव, जिन्हें “ACHES” शब्द से याद रखना आसान है,ये कम सामान्य लेकिन गंभीर होते हैं। यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण हो, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। ये लक्षण गंभीर बीमारियों जैसे लीवर डीजीज, ब्लैडर का रोग, स्ट्रोक, ब्लड क्लाॅटिंग, हाई ब्लडप्रेशर, हृदय रोग, स्ट्रोक, ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer) का खतरा, मानसिक स्वास्थ्य (Mental health problems) समस्याएं, वजन बढ़ना, मासिक धर्म में बदलाव, इन्फर्टिलिटी (Infertility) आदि का जोखिम बना रहता है। ये हैं-
डाॅ मंजू बताती हैं, “हालांकि, हार्मोनल काॅन्ट्रासेप्टिव तरीके अधिकांश लोगों के लिए सुरक्षित होती हैं, बशर्ते उन्हें डॉक्टर की मंजूरी मिली हो। लेकिन कुछ लोगों में काॅन्ट्रासेप्टिव पिल्स के लाॅन्ग टर्म साइड इफेक्ट्स में ब्लड क्लाॅटिंग और कुछ कैंसर का जोखिम शामिल हो सकता है। ये उस काॅन्ट्रासेप्टिव पिल के प्रकार से निर्भर होते हैं, जिसे आप चुनते हैं।”
गोलियां लेने वाले लोगों में ब्लड क्लाॅटिंग का जोखिम अधिक हो सकता है। हाई एस्ट्रोजन वाली गोलियां इस खतरे को और बढ़ा देती हैं। कुछ मामलों में, ये क्लाॅटिंग जीवन के लिए खतरा बन सकते हैं यदि वे ब्लड फ्लो के माध्यम से दिमाग, लंग्स और दिल तक पहुँचते हैं।
स्ट्रोक या हार्ट अटैक का जोखिम गोलियां लेने वाले लोगों में अधिक हो सकता है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि इस्कीमिक स्ट्रोक (जो रुकावट के कारण होता है) का जोखिम हर 10 माइक्रोग्राम एस्ट्रोजन में बढ़ता है, साथ ही ओरल काॅन्ट्रासेप्टिव के उपयोग के पांच साल के अंतराल में भी। हार्ट अटैक का खतरा गोलियों में एस्ट्रोजन की खुराक के साथ बढ़ता है।
कुछ अध्ययनों से यह पता चला है कि गोलियां लेने वाले लोगों में उन लोगों की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर विकसित होने की संभावना अधिक होती है, जो ओरल काॅन्ट्रासेपशन का उपयोग नहीं करते। इसमें पाया जानु वाला सिंथेटिक एस्ट्रोजन मुख्य चिंता का विषय है।
इस संबंध पर रीसर्च के परिणाम मिश्रित रहे हैं। नए रीसर्च के मुताबिक हार्मोनल काॅन्ट्रासेप्शन के उपयोग और ब्रेस्ट कैंसर के बीच का संबंध वास्तव में ट्यूमर के टाइप पर निर्भर कर सकता है। गोलियाँ लेने वाले लोगों में यूट्रस कैंसर विकसित होने का जोखिम भी अधिक होता है।
जो लोग माइग्रेन के सिरदर्द का अनुभव करते हैं, उन्हें ऐसे काॅन्ट्रासेप्टिव पिल्स से बचना चाहिए जिनमें एस्ट्रोजन हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) 35 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए, जो माइग्रेन का अनुभव करते हैं, एस्ट्रोजन वाली गोलियों के उपयोग की सलाह नहीं देता। दूसरी ओर, ये उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती हैं, जो पीरीयड्स में माइग्रेन का सामना करती हैं।
शोध से पता चलता है कि कुछ हार्मोनल काॅन्ट्रासेप्टिव पिल्स गाॅल ब्लैडर की बीमारी का जोखिम बढ़ा सकती हैं, लेकिन ओरल काॅन्ट्रासेप्शन इनमें से नहीं हैं। डेपो-प्रोवेरा में प्रोजेस्टिन और लेवोनोर्गेस्ट्रेल अंतर्गर्भाशयी उपकरण (IUD) के उपयोग ने इस जोखिम को बढ़ा दिया है। ये हेपेटोसेलुलर एडेनोमा लगभग 4% मामलों में कैंसर में बदल सकते हैं।
ये ट्यूमर फट भी सकते हैं और ब्लीडिंग हो सकती है, इसलिए ट्यूमर वाले लोगों के लिए ओरल काॅन्ट्रासेपशन से बचना जरूरी है।
इसके अलावा आप डाॅ मंजू के सुझाए गए कुछ अन्य विकल्प अपना सकते हैं, जैसे- कंडोम का इस्तेमाल, आईयूडी (इन्ट्रायूटरिन डिवाइस), इम्प्लांट, शॉट्स, पैच, रिंग, नेचुरल फैमिली प्लानिंग (एनएफपी)। इससे आपको कई प्रकार के लाभ हो सकते हैं और जोखिम भी कम रहता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि काॅन्ट्रासेप्टिव का चयन व्यक्तिगत पसंद और स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार करना चाहिए। इसलिए, काॅन्ट्रासेप्शन के बारे में किसी भी निर्णय से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।
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