कई बार महिलाओं के जांघों के अंदरूनी हिस्से में बॉयल यानी फोड़े निकल आते हैं। इन फोड़ों में मवाद होता है और ये बेहद दर्दनाक हो सकते हैं। इस स्थिति में चलने, उठने और बैठने जैसी सामान्य गतिविधियों को करना भी मुश्किल हो जाता है। वहीं परेशानी की बात यह है कि ये फोड़े त्वचा पर फैल सकते हैं। इतना ही नहीं यदि स्थिति अधिक गंभीर हो जाए, तो ये इंटिमेट एरिया को भी संक्रमित कर सकते हैं। इसलिए जितनी जल्दी हो सके इन्हें ट्रीट करना जरूरी है (home remedies for inner thigh boils)।
कोकिलाबाद धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉक्टर जवाहरलाल मनसुखानी ने इनर थाईज बॉयल को ट्रीट करने से लेकर इनसे बचाव के तरीके भी बताए हैं। तो चलिए जानते हैं, इस स्थिति में क्या करना है (home remedies for inner thigh boils)।
बॉयल शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकते हैं, जिसमें जांघ के अंदरूनी हिस्से भी शामिल हैं। हालांकि, लक्षणों की गंभीरता अलग-अलग हो सकती है, लेकिन ज़्यादातर फोड़े गोलाकार, सूजे हुए और उभार होते हैं। इनमें से डेड टिश्यू और ब्लड सेल्स से बना सफ़ेद रंग का मवाद निकलता है। ये कुछ हफ़्तों तक रहते हैं। साथ ही इनके आसपास की त्वचा लाल एवं मुलायम हो जाति है, जिनमें दर्द होता है।
गोलाकार, सूजे और उभरे हुए बॉयल
धीरे-धीरे बढ़ते हैं
कोमल और संवेदनशील होते हैं हवा के प्रति भी संवेदनशील होते हैं
इनमें से मवाद निकलना
यह आसपास की त्वचा पर फैलते हैं
इंफॉर्म्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार फोड़े आमतौर पर बैक्टिरियल इनफेक्शन के कारण होते हैं, सबसे आम तौर पर स्टैफिलोकोकस ऑरियस के कारण। ये बैक्टीरिया त्वचा में छोटे-छोटे कट या टेका के टूटने के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं, अक्सर बालों के रोम के आसपास नजर आते हैं। त्वचा विशेषज्ञ डॉ. जवाहरलाल मनसुखानी ने यहां कुछ कारण बताए हैं:
खराब स्वच्छता: बॉडी को नियमित रूप से क्लीन न करना, बैक्टिरियल ग्रोथ को बढ़ा देता है।
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में बॉयल का खतरा बढ़ जाता है।
शेविंग या वैक्सिंग: ये गतिविधियां त्वचा को परेशान कर सकती हैं, और छोटे-छोटे कट बना सकती हैं, जो बैक्टीरिया के लिए प्रवेश का रास्ता खोलते हैं।
मधुमेह की स्थिति: खराब सर्कुलेशन और नर्व डैमेज के कारण डायबिटीज वाले लोगों में बॉयल होने का अधिक जोखिम होता है।
इंग्रोन हेयर: ये सूजन और संक्रमण का कारण बन सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप संभावित रूप से फोड़े हो सकते हैं।
त्वचा की स्थिति: कुछ त्वचा की स्थिति, जैसे कि एक्ने या एक्जिमा, त्वचा को संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकती हैं।
नहाते समय, कीटाणुओं को मारने के लिए एंटीबैक्टीरियल साबुन या एंटीसेप्टिक वॉश का उपयोग करें।
तौलिया, रेज़र या त्वचा पर इस्तेमाल की जाने वाले किसी भी व्यक्तिगत वस्तु को दूसरों के साथ साझा न करें।
यदि थाईज फैट अधिक बढ़ गया है, तो इन्हें कम करने पर ध्यान दें। क्योंकि मसल्स बढ़ने से अधिक फ्रिक्शन होता है, जिसकी वजह से फोड़े निकल आते हैं।
यदि अधिक पसीना आता है, तो कॉटन के कपड़े पहनें। ताकि कपड़ा जांघ के आसपास आने वाले पसीने को सोख ले।
फोड़ों को साफ करने और उसपर दवाई लेने के बाद हाथों को अच्छी तरह क्लीन करें, अन्यथा इनके फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
ज्यादा टाइट कपड़े पहनने से बचें, क्योंकि टाइट कपड़े फ्रिक्शन का कारण बन सकते हैं, जिसकी वजह से बॉयल निकल आते हैं।
जांघों में होने वाले फोड़ों को ट्रीट करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले एंटीसेप्टिक क्रीम रिकमेंड करते हैं, इसके साथ ही कुछ ओरल मेडिकेशन भी दे सकते हैं। इतना ही नहीं फास्ट रिकवरी के लिए डॉक्टर बॉयल पर वार्म कंप्रेस अप्लाई करने की सलाह देते हैं। दिन में कम से कम 3 से 4 बार बॉयल की सिकाई करनी चाहिए।
क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी रिव्यू में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार टी ट्री ऑयल में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो आपके हेयर फॉलिकल्स में संक्रमण पैदा करने वाले कीटाणुओं से लड़ते हैं। टी ट्री ऑयल न केवल रिकवरी को बढ़ावा देता है, बल्कि फोड़ों के निशान को भी हल्का करता है।
जर्नल ऑफ़ ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, हल्दी में मौजूद करक्यूमिन नामक एक्टिव कंपाउंड में एंटीबायोटिक गुण होते हैं, जो बैक्टीरिया के संक्रमण को दूर करने में मदद कर सकते हैं। हल्दी को खुले हुए बॉयल पर सीधा अप्लाई न करें। आप एक चम्मच कोकोनट ऑयल में 2 चुटकी हल्दी मिलाकर इसे अपने बॉयल के आसपास की त्वचा पर अप्लाई कर सकती हैं।
यह भी पढ़ें : मैग्नीशियम की कमी से ज्यादा होते हैं पीरियड क्रैम्प्स, जानिए इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए
नीम में एंटीबैक्टीरियल और एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं। नीम का इस्तेमाल फोड़े के आस-पास की सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है। यह किसी भी संक्रमण का एक बेहद प्रभावी उपचार साबित हो सकता है। परंतु इसे अप्लाई करने का सही तरीका मालूम होना बहुत जरूरी है। नीम की पत्तियों का रस निकालकर इसे पानी के साथ डाइल्यूट करें, और फिर अपने फोड़ों को इससे साफ करें। नीम की पत्तियों की प्रवृत्ति कसौली होती है, यदि आप इसे सीधे अपने घाव पर अप्लाई करती हैं, तो उनमें जलन हो सकता है। इसलिए इन्हे डाइल्यूट करना जरूरी है।
एलोवेरा फोड़े के लिए एक प्रभावी घरेलू उपाय है, क्योंकि यह जलन को कम करता है और उपचार प्रक्रिया को तेज़ करता है। इंडियन जर्नल ऑफ़ डर्मेटोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, इसमें मौजूद एंटीसेप्टिक गुण प्रभावित क्षेत्र में संक्रमण को कम करने में मदद करते हैं, और इसे जल्द से जल्द हिल करते हैं। इसे अप्लाई करना बेहद आसान है, ताजे एलोवेरा जेल को अपनी स्किन पर लगाएं और इसे सूखने दे उसके बाद इसे पानी से क्लीन कर लें।
यह भी पढ़ें : पीसीओएस किसी भी उम्र में हो सकता है, यहां जानिए इसके 5 प्रारंभिक संकेत