वेजाइना यानी की योनि का अपना एक प्राकृतिक पीएच वैल्यू (Vaginal pH value) होता है। एक संतुलित और सामान्य पीएच वैल्यू स्वस्थ वेजाइना की पहचान है। हालांकि, कई ऐसे एनवायरमेंटल फैक्टर और दिन प्रतिदिन में दोहराए जाने वाली गतिविधियां हैं जो वेजाइनल पीएच को प्रभावित कर सकती हैं। पीएच वैल्यू के प्रभावित होने से वेजाइना अधिक संवेदनशील हो जाती है और इंफेक्शन, खुजली, जलन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी सुविधाओं से बचने के लिए सभी महिलाओं को अपने वेजाइनल पीएच से जुड़ी उचित जानकारी होनी चाहिए, साथ ही साथ यह जानना चाहिए कि आखिर पीएच को संतुलित रखने के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर सीके बिरला हॉस्पिटल गुरुग्राम की ऑब्सटेट्रिक्स और गाइनेकोलॉजिस्ट अस्था दयाल से बातचीत की। डॉक्टर ने वेजाइनल पीएच को संतुलित रखने के लिए कुछ प्रभावित टिप्स सुझाए हैं। तो चलिए जानते हैं इस विषय से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ के अनुसार प्राकृतिक न्यूट्रल pH 7 होता है। वहीं नार्मल वेजाइनल pH 3.8 से 5.0 के बीच होता है। हालांकि, मेनोपॉज के बाद महिलाओं का pH स्तर बढ़ जाता है।
पीएच के अधिक अल्कलाइन होने पर वेजाइनल डिसचार्ज का रंग ग्रे, पीला और गाढ़े दही के जैसा नजर आ सकता है। हालांकि, हेल्दी डिस्चार्ज आमतौर पर क्लियर और सफेद रंग का होता है।
वेजाइनल pH के असंतुलित होने पर वेजाइनल डिस्चार्ज से अधिक गंध आ सकता है। हेल्दी डिस्चार्ज में बिल्कुल हल्का और सामान्य गंध होता है, या तो डिस्चार्ज में किसी प्रकार का गंध नहीं होता।
डिजाइनर फ के अधिक अल्कलाइन होने पर यूरिन पास करने के बाद वेजाइनल ओपनिंग के चारों ओर जलन और खुजली का एहसास हो सकता है। इसके अलावा इंटरकोर्स के बाद वेजाइना में जलन होना भी वेजाइनल पीएच के असंतुलित होने की निशानी है।
वेजाइना में गुड और बैड दोनों ही प्रकार के बैक्टीरिया मौजूद होते हैं। अपने वेजाइनल हेल्थ को मेंटेन रखने के लिए आपको अधिक मात्रा में अच्छे बैक्टीरिया की आवश्यकता होती है, वहीं pH के स्तर को संतुलित रखने में भी गुड बैक्टीरिया आपकी मदद करते हैं। ऐसे में हेल्दी बैक्टीरियल ग्रोथ को बढ़ावा देने में प्रोबायोटिक्स आपकी मदद कर सकते हैं।
अपनी डाइट में भरपूर मात्रा में प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें जैसे कि योगर्ट, केफिर, बटर्मिल्क, किमची आदि। यह सभी वेजाइना के साथ पाचन तंत्र में भी हेल्दी बैक्टीरियल ग्रोथ को बढ़ावा देते हैं और आपके समग्र सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं।
लहसुन में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है साथ ही साथ इसमें एलिसीन कंपाउंड मौजूद होते हैं जो बैक्टीरिया से लड़ने में प्रभावी रूप से कार्य करते हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा 2014 में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार वेजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन की स्थिति में कई महिलाओं ने गार्लिक टैबलेट को एंटीबायोटिक के तौर पर लिया, जिससे संक्रमण के लक्षणों से बेहद आराम मिला। वहीं इसके कुछ साइड इफेक्ट भी देखने को मिले। यदि इसका सेवन कर रही हैं, तो विशेष सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।
स्मोकिंग करने वाली महिलाओं में वेजाइनल इन्फेक्शन और यानी संबंधी अन्य समस्याओं का खतरा अधिक होता है। वहीं स्मोकिंग की वजह से वेजाइना में हेल्दी बैक्टीरिया का ग्रोथ कम हो जाता है। ऐसे में वेजाइना अधिक संवेदनशील हो जाती है और संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। इस स्थिति में वेजाइनल pH लेवल को मेंटेन रखने के साथ ही हेल्दी बैक्टीरियल ग्रोथ के लिए धूम्रपान से पूरी तरह से परहेज करना जरूरी है।
यदि आप नियमित रूप से वेजाइना की साफ सफाई पर ध्यान नहीं देती हैं, तो ऐसे में वेजाइनल pH के असंतुलित होने की संभावना अधिक होती है। दिन में दो बार वेजाइना को अच्छी तरह साफ करें। साथ ही साथ हर बार यूरिन पास करने के बाद वेजाइना को ड्राई करना न भूले। पीरियड्स में वेजाइनल हाइजीन का ध्यान रखना अधिक महत्वपूर्ण होता है इसलिए इस दौरान अधिक सचेत रहें।
एक्सपर्ट के अनुसार वेजाइना में हार्स साबुन और केमिकल युक्त फेमिनिन हाइजीन प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने से बचें, क्योंकि यह सभी चीजें वेजाइनल pH के स्तर को असंतुलित कर सकती हैं। वहीं इन्फेक्शन, इचिंग, जलन आदि के खतरे को भी बढ़ा देती हैं।
स्ट्रेस की स्थिति में शरीर में कॉर्टिसोल (स्ट्रेस हॉर्मोन) का स्तर बढ़ जाता है, जिसकी वजह से वेजाइनल pH के स्तर पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज, मेडिटेशन और माइंडफुल तरीकों का इस्तेमाल करें। डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइ का अभ्यास सबसे अधिक कारगर हो सकता है। एक स्वस्थ वजाइना के लिए मानसिक तौर पर संतुलित रखना बेहद महत्वपूर्ण है।
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