दिन प्रतिदिन डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं महिलाएं भी बड़े आंकड़ों पर इसका शिकार हो रही हैं। आजकल बेहद कम उम्र में ही महिलाओं में प्रीडायबिटीज के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। डायबिटीज की स्थिति में सेहत संबंधित तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है, खासकर महिलाओं में डायबिटीज की स्थिति में योनि स्वास्थ्य के प्रभावित होने का खतरा बढ़ जाता है। परंतु ज्यादातर महिलाएं आज भी इस बात से पूरी तरह अनजान हैं। ऐसे में सभी महिलाओं को इस विषय पर अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है।
डायबिटीज और योनि स्वास्थ्य से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए हेल्थ शॉट्स ने सीके बिरला हॉस्पिटल गुरुग्राम की ऑब्सटेट्रिक्स और गाइनेकोलॉजिस्ट अस्था दयाल से बात की। डॉक्टर ने डायबिटीज में योनि स्वस्घ्य में होने वाले बदलाव पर विशेष जानकारी दी है। साथ ही वेजाइना की देखभाल के कुछ जरूरी टिप्स भी बताए हैं। तो चलिए जानते हैं डायबिटीज में किस तरह करनी है वेजाइना की देखभाल (vaginal hygiene in diabetes)।
बढ़ता ब्लड शुगर लेवल योनि को अधिक संवेदनशील बना देता है और इस दौरान यौन संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। इतना ही नहीं डायबिटीज की स्थिति में महिलाओं में लिबिडो की कमी देखने को मिलती है जिसकी वजह से सेक्स के प्रति ज्यादातर महिलाओं की रुचि कम हो जाती है।
आमतौर पर महिलाओं में वेजाइनल ईस्ट इन्फेक्शन और अन्य प्रकार के योनि संक्रमण देखने को मिलते हैं, परंतु डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में यह समस्या अधिक गंभीर रूप में और बार-बार देखने को मिल सकती है। बढ़ते ब्लड शुगर लेवल की वजह से ब्लड सर्कुलेशन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसकी वजह से शरीर इंफेक्शन से लड़ने के लिए पहले की तरह सक्रिय नहीं रह पाता।
डायबिटीज में फ्रिक्वेंट यूरिनेशन के कारण कई बार महिलाएं यूरिन पास नहीं करती और ब्लैडर में यूरिन के जमाव के कारण बैक्टीरिया ग्रोथ बढ़ जाता है। जिसकी वजह से भी वेजाइनल इन्फेक्शन का खतरा अधिक होता है। डायबिटीज के दौरान महिलाओं को वेजाइनल ड्राइनेस का सामना करना पड़ता है। जिसकी वजह से पेनिट्रेटिव सेक्स काफी पेनफुल हो सकता है।
महिलाओं में मेंस्ट्रूअल साइकिल के दौरान होने वाले हार्मोनल बदलाव की वजह से ब्लड शुगर लेवल में स्पाइक देखने को मिल सकता है। इस दौरान हैवी पीरियड्स का सामना करना पड़ता है साथ ही साथ फूड क्रेविंग्स बढ़ जाती है जिसकी वजह से डायबिटीज को मैनेज करना मुश्किल हो जाता है।
डायबिटीज की स्थिति में वेजाइनल केयर के लिए सबसे महत्वपूर्ण है ब्लड शुगर लेवल को संतुलित रखना। ब्लड शुगर की नियमित जांच करवाएं, साथ ही प्रिसक्राइब्ड दवाइयों का उचित सेवन करें। इसके अलावा खान-पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि ब्लड शुगर में अनावश्यक स्पाइक न हो।
उचित मात्रा में प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। इससे आपके वेजाइना तथा आंतों में हेल्दी बैक्टीरिया का ग्रोथ बढ़ता है, जिससे कि वेजाइनल हेल्थ को स्वस्थ और संतुलित रहने में मदद मिलती है।
शरीर को पूरी तरह हाइड्रेटेड रखें। अक्सर फ्रिक्वेंट यूरिनेशन की वजह से महिलाएं पानी पीने से बचाती हैं, जिसकी वजह से योनि स्वास्थ्य के साथ-साथ त्वचा पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। आमतौर पर प्रति दिन लगभग 2.5-3 लीटर पानी पीना चाहिए, जबकि डायबिटीज पीड़ितों को प्रति दिन कम से कम 4 लीटर पानी सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है।
गुप्तांगों को पूरी तरह साफ और सूखा रखें। हालांकि, यह केवल डायबिटीज पीड़ित महिलाओं के लिए नहीं है बल्कि सभी पर लागू होता है। बैक्टीरिया और फुंगी को नमी पसंद है, ऐसे में योनि इन्हें पनपने में मदद कर सकती है। पुरुषों को चमड़ी के नीचे के क्षेत्र को नियमित रूप से साफ करना चाहिए क्योंकि यह बैक्टीरिया की विभिन्न प्रजातियों के लिए प्रजनन स्थल हो सकता है। इसके साथ ही महिलाओं को प्रत्येक बार पेशाब करने के बाद अपनी वेजाइना को पूरी तरह से ड्राई कर लेना चाहिए।
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साफ, सूती अंडरवियर पहनें जो कपड़े के माध्यम से हवा को गुजरने दे। एक ही अंडरवियर को 16 घंटे से ज्यादा पहनने से बचें। रात को बिस्तर पर जाने से पहले इसे बदले या तो बिना अंडरवियर के सोए। टाइट फिटिंग वाले कपड़ों से बचें, खासकर ऐसे बॉटम्स से बचें जो त्वचा से चिपके रहते हैं क्योंकि यह इंफेक्शन को बढ़ावा देते हैं और जलन पैदा कर सकते हैं। यदि आपको किसी वजह से अधिक पसीना आया है तो अपने अंडरगारमेंट्स को जरूर बदल लें। गर्मी और नमी प्रदान करने वाले वातावरण में बैक्टीरियल ग्रोथ बढ़ जाता है।
महिलाओं को सुगंधित टैम्पून या फेमिनिन स्प्रे का उपयोग करने से बचना चाहिए। ये उत्पाद योनि के पीएच संतुलन को नष्ट कर देते हैं और सभी अच्छे बैक्टीरिया को मार देते हैं जबकि बुरे बैक्टीरिया को पनपने देते हैं। साथ ही सुगंधित टैल्कम पाउडर का उपयोग करने से बचें। हालांकि, यह आपको ताज़ा और शुष्क महसूस कराते हैं, लेकिन इससे महिलाओं में डिम्बग्रंथि के कैंसर के विकास का खतरा बढ़ जाता है और जलन और खुजली हो सकती है।
शौचालय का उपयोग करने के बाद, टॉयलेट पेपर को दूसरे तरीके के बजाय आगे से पीछे की ओर पोंछें, इससे वेजाइनल एरिया में बैक्टीरिया के संचरण का जोखिम कम हो जाता है। शौचालय का उपयोग करने के बाद हाथ धोना जरूरी है। इसके अलावा यदि आप पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल कर रही हैं तो हाइजीन का विशेष ध्यान रखें क्योंकि ऐसी जगह हो पर संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है।