तापमान बढ़ने पर गर्मी लगना जायज़ है। पर मेनोपॉज के दौर से (Menopause) गुजर रही महिलाओं के लिए यह स्थिति और भी जटिल हो सकती है। 80 प्रतिशत महिलाओं को तापमान बढ़ने पर हॉट फ्लैशेज (Hot Flashes) की समस्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है। जिसमें तेज पसीना आने और गर्मी लगने के कारण उनके लिए अपने दैनिक रुटीन को ठीक से संभाल पाना भी मुश्किल हो जाता है। तो क्या इसे मैनेज किया जा सकता है? आइए एक एक्सपर्ट से जानते हैं गर्मियों के मौसम में मेनोपॉज में होने वाले हॉट फ्लैशेज को मैनेज (How to deal with hot flashes in summer) करने का तरीका।
यूके की इंटरनेशनल मेनोपॉज सोसायटी (IMS) ने कुछ साल पहले भारत के शहरी इलाकों में मेनोपॉज से गुजर रही महिलाओं पर एक स्टडी की। यह स्टडी मौसम, ऊंचाई और तापमान को ध्यान में रख कर की गई थी। इसमें भारत के अलग-अलग हिस्सों की 45-55 साल की 717 महिलाओं पर अध्ययन किया गया। इस अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि तापमान बढ़ने पर मेनोपॉज से गुजर रही महिलाओं को हॉट फ्लैशेज का सामना तब बहुत अधिक करना पड़ता है, जब गर्मी में उनके खान-पान का तरीका सही नहीं होता है।
तापमान बढ़ने के बावजूद मेनोपॉज से गुजर रही महिलाएं वाइन, तेल मसालेदार भोजन, हॉट ड्रिंक्स, जंक फूड, कैफीन, सिगरेट का सेवन लगातार करती रहती हैं। इसके अलावा, ऐसी महिलाएं, जो हार्मोनल परिवर्तन के परिणामों से गुजर रही हैं और जो गर्मी में भी सौना बाथ (Sauna Bath) यानी गर्म पानी का स्नान लगातार करती रहती हैं, उन्हें हॉट फ्लैशेज की समस्या अधिक होती है। साथ ही, वातावरण में मौजूद ह्यूमिडिटी भी उनकी समस्या को बढ़ाने वाला कारक साबित होता है।
पर क्या केवल इन चीजों को छोड़ देना काफी है? या हॉट फ्लैशेज को मैनेज करने के लिए कुछ और भी उपाय अपनाने चाहिए? इस बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने बात की गाइनेकोलॉजिस्ट एंड ऑब्सटेट्रिक्स डाॅ. कृति अरोड़ा से।
डॉ. कृति अरोड़ा के अनुसार, यदि मेनोपॉज से गुजर रही महिला को गर्मी के साथ अचानक ठंड का एहसास होने लगे, तो इसका मतलब है कि उन्हें हॉट फ्लैश हो गया है। इसके अलावा, फेस, हेड और हार्ट के पास भी जब अचानक गर्मी का एहसास हो, स्किन पर रेड रैशेज और दाने निकल आएं, हर्ट बीट तेज हो जाए, चक्कर आने लगें और अचानक बहुत अधिक पसीना आने लगे, तो ये सभी हॉट फ्लैशेज के संकेत हैं।
तापमान बढ़ने पर गर्म पेय जैसे कि कैफीन वाली गर्म चाय, कॉफी या दूसरे गर्म पेय पदार्थ लेना बिल्कुल बंद कर दें। इससे बॉडी टेम्प्रेचर बढ़ जाता है और हॉट फ्लैशेज का अनुभव भी। गर्म की बजाय ताजा और ठंडा खाना खाएं। ठंडी चीजें खाएं। नींबू-पानी का सेवन जरूर करें। इसमें आइस भी डाल सकती हैं। हॉट फ्लैशेज का अनुभव होने पर आइसक्रीम भी खाई जा सकती है।
हॉट फ्लैशेज की समस्या उन महिलाओं को अधिक परेशान करती है, जिनका वजन अधिक होता है। ओबेसिटी से ग्रस्त महिलाओं को कभी-कभी इससे गंभीर समस्या भी हो जाती है। एक स्टडी में यह पाया गया कि जिन महिलाओं ने वेट लॉस कर लिया, उन्हें ओबेसिटी की शिकार महिलाओं की तुलना में हॉट फ्लैशेज कम हुए। यदि थायरॉयड की समस्या के कारण मोटापा है, तो दवाइयां समय पर और नियमित तौर पर लें। डॉक्टर से चेकअप भी रेगुलर कराएं। ताकि मोटापे पर नियंत्रण हो सके।
फिटनेस एक्सपर्ट या योगाचार्य के निर्देशन में आपने जो भी योग और मेडिटेशन की शुरुआत की है, उसे नियमित तौर पर करें। अनियमित मेडिटेशन, योग और व्यायाम आपको उसी स्थान पर ले आते हैं, जहां से आपने शुरुआत की थी। ब्रीदिंग एक्सरसाइज जरूर करें। इससे आपके शरीर का तापमान घटता है। आप किसी भी समय शांतिपूर्वक बैठकर गहरी सांस अंदर लेने और फिर उसे बाहर करने का अभ्यास कर सकती हैं।
खुद को कूल रखने के साथ-साथ घर का टेम्प्रेचर भी कूल रखें। घर में ह्यूमिडिटी बढ़ने पर हॉट फ्लैशेज होने की समस्या बढ़ जाती है। इसलिए वेंटिलेशन सही रखें। फ्रीजर में आइस पैक या वॉशक्लॉथ जरूर रखें। यदि आपको थोड़ी-बहुत भी समस्या का अनुभव हो, तो इसे अपने सिर पर या अपनी गर्दन के चारों ओर लपेट लें। इससे आपको तुरंत राहत मिलेगी।
गर्मी बढ़ने पर घर पर हों या बाहर कॉटन के कपड़ों का ही इस्तेमाल करें। जब घर से बाहर निकलें, तो ढीले-ढाले कपड़े पहनकर ही निकलें। यदि लाइट कलर के कपड़ें हों तो और भी अच्छा, क्योंकि डार्क कलर के कपड़े हीट एब्जाॅर्ब करते हैं और बॉडी टेम्प्रेचर बढ़ता है।
मेनोपॉज के फेज में हार्मोंस का उतार-चढ़ाव स्वाभाविक है। इस समय कोई भी दवा या टैबलेट बिना डॉक्टर की सलाह के न लें। इससे स्थति और बिगड़ सकती है और आपको दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
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